राजनीति

मोदी को लगे ‘मोहन’ प्यारे

 

छत्तीसगढ़ मंे विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने के बाद भाजपा ने मध्य प्रदेश मंे भी मुख्यमंत्री का मनोनयन कर लिया। मोहन यादव ने 13 दिसम्बर को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ग्रहण कर ली है। दो डिप्टी सीएम बनाए गये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 2024 के लोकसभा चुनाव की गणित के चलते मोहन यादव सबसे बेहतर नजर आये। बिहार में जातीय गणना के बाद अदर बैकवर्ड कास्ट (ओबीसी) की राजनीति गहरी हो गयी है और आम चुनाव पर इसका असर भी पड़ेगा। इसीलिए पिछड़े वर्ग से मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। राज्य मंे मुख्यमंत्री को लेकर लगभग 10 दिनों से मंथन चल रहा था और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान प्रबल दावेदार भी माने जा रहे थे लेकिन इस बार भाजपा का हर फैसला अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनजर लिया जा रहा है और पार्टी के जानकार बताते हैं कि हाईकमान ने नये चेहरे लाने का इरादा पहले ही बना लिया था। शिवराज सिंह चैहान को सदमा जरूर पहुंचा। इसीलिए सीएम की घोषणा से पहले ही मामा ने सोशल मीडिया पर सभी को राम-राम का मैसेज दिया था। मोहन यादव युवा नेता हैं और चैहान की सरकार में मंत्री भी रहे हैं। मोहन यादव को सीएम बनाने के साथ जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ला को डिप्टी सीएम बनाया गया है। मोहन यादव ओबीसी चेहरा हैं तो राजेन्द्र शुक्ला ब्राह्मण चेहरा हैं। मोहन यादव के चलते भाजपा यूपी मंे समाजवादी पार्टी के यादव वोट बैंक मंे भी सेंध लगा सकती है।

इसमंे संदेह नहीं कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव के नाम ने सबको चैंका दिया। किसी ने भी यादव के सीएम बनने के कयास नहीं लगाए थे लेकिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से एक मुलाकात के बाद उनके सीएम बनने की स्क्रिप्ट लिखा गई थी। बताते हैं 6 दिसंबर को मोहन यादव सड़क मार्ग से भोपाल से उज्जैन जा रहे थे। बीच रास्ते में उन्हें नड्डा के यहां से फोन आया और तत्काल दिल्ली आने के लिए कहा गया। यह भी पता चला कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने ही डॉ. मोहन यादव की रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दी थी। इसके बाद चार दौर की बैठक में डॉ. यादव का नाम तय किया गया। मोदी को मोहन प्यारे लगे क्योंकि वे संघ के करीबी हैं। बीजेपी ने ओबीसी चेहरे के तौर पर मोहन यादव को आगे किया है। इससे पहले वे 2004 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद यादव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सिंहस्थ में जमकर काम किया। आखिरकार वर्ष 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से चुनाव जीतकर विधायक बने। मोहन 2018 में फिर से विधायक बने और वर्ष 2020 में उच्च शिक्षा मंत्री का दायित्व मिला। उनके दोनों डिप्टी सीएम अलग-अलग समुदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार मघ्य प्रदेश मंे 2024 के लेाकसभा चुनाव की मजबूत किलेबंदी कर दी गयी है।

सरल स्वभाव लेकिन गतिशील व्यक्तित्व वाले हैं मोहन यादव। बीजेपी विधायक दल की बैठक से पहले सभी विधायकों का फोटो सेशन हुआ। इसमें मोहन यादव तीसरी पंक्ति में बैठे थे। इसके बाद बैठक शुरू हुई। बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शिवराज सिंह चैहान को नए सीएम का नाम प्रस्तावित करने के लिए कहा। शिवराज ने नाम पढ़ा तो मोहन यादव खड़े हुए और हाथ जोड़े। इस प्रकार मोहन यादव को मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। उज्जैन जिले से तीन बार के विधायक, 58 वर्षीय मोहन यादव की नियुक्ति को व्यापक रूप से उनके पूर्ववर्ती राजनीतिक कामकाज से जोड़ा जा रहा है।

मोहन यादव ने एमबीए और पीएचडी तक पढ़ाई की है। उनके चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार, उनके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला नहीं है और उनके पास 4 करोड़ 20 लाख रुपये की संपत्ति है। वह पेशे से किसान हैं। मध्य प्रदेश मंे भाजपा ने दो उपमुख्यमंत्रियों-जगदीश देवड़ा और राजेश शुक्ला को भी महत्व दिया है। पिछले महीने चुनाव लड़ने वाले तीन पूर्व कैबिनेट सदस्यों में से एक पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। मोहन यादव अपने को पार्टी का एक छोटा कार्यकर्ता बताते हैं।

भाजपा यह पहले से ही तय था कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में नए चेहरों को सीएम पद की जिम्मेदारी देगी। पार्टी किसी पुराने सीएम को दोबारा कुर्सी पर बैठाने के मूड में नहीं थी। तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय हो चुके थे और बीजेपी ने आधिकारिक तौर पर चुने गए उम्मीदवारों पर अपनी मुहर लगा दी थी। पार्टी ने इन फैसलों का मजबूती से समर्थन किया है। आगामी लोकसभा चुनाव और भविष्य के नेतृत्व को ध्यान में रखते हुए, पार्टी का लक्ष्य ऐसे मुख्यमंत्रियों को नियुक्त करना है जो उनके दृष्टिकोण के अनुरूप हों। इसके साथ ही, तीनों राज्यों में डिप्टी सीएम की नियुक्ति की गयी है। पार्टी नेतृत्व अपने मुख्यमंत्रियों को चुनता है तो पीढ़ीगत बदलाव से इनकार नहीं किया जा सकता है। भाजपा विधायक दल की बैठक पार्टी के प्रदेश कार्यालय में हुई और उज्जैन दक्षिण से विधायक मोहन यादव को सर्वसम्मति से नेता चुना गया। उसके बाद यादव ने पार्टी नेताओं के साथ राजभवन पहुंचकर राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया। इस दौरान शिवराजसिंह चैहान और पार्टी के तीनों पर्यवेक्षक हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. लक्ष्मण एवं पार्टी की राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा भी मौजूद थीं। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा, विधायक नरेन्द्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रह्लाद पटेल और प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल समेत उनके साथ राजभवन गये थे।

मध्य प्रदेश मंे 17 नवंबर को हुए चुनाव में भाजपा ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें जीतकर सत्ता बरकरार रखी, जबकि कांग्रेस 66 सीट के साथ दूसरे स्थान पर रही। भाजपा ने चुनाव में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर किसी को पेश नहीं किया था और एक तरह से पूरा प्रचार अभियान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अपील पर टिका था। मध्य प्रदेश में भाजपा दो दशक में पांचवीं बार सरकार बनाने जा रही है। इससे पहले 2003, 2008, 2013 और 2020 में भाजपा सत्ता में आई थी। जनता ने 2018 में कांग्रेस को सत्ता जरूर सौंपी थी लेकिन पार्टी मंे कलह के चलते भाजपा ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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