अफ्रीकी देश घाना पहुंचे मोदी, जोरदार स्वागत

भारत की डिप्लोमेसी में जिन देशों को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नैचुरल रिसोर्स से भरपूर वैसे देशों से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना शुरू किया है। पीएम मोदी 2 जुलाई 2025 को पांच देशों की यात्रा पर रवाना हुए। इनमें घाना, त्रिनिनाद एंड टोबैगो, नामीबिया, अर्जेंटीना और ब्राजील शामिल हैं। इनमें से पहले तीन देशों को पहले उतना महत्व नहीं दिया जाता था। ये तीनों देश प्राकृतिक खनिज संपदा से संपन्न देश हैं। यहां रेयर अर्थ मैटीरियल भी पाए जाते हैं, जो रणनीतिक तौर पर काफी महत्वपूर्ण हैं। पीएम मोदी का घाना दौरा काफी महत्वपूर्ण है। इसे भारत का ‘गोल्ड रिजर्व’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह अफ्रीकी देश अपने कुल उत्पादन का 70 फीसद सोना भारत को ही एक्सपोर्ट करता है। घाना में मोदी का जोरदार स्वागत किया गया।
घाना और भारत के बीच संबंध कोई नया अध्याय नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक गाथा है, जिसकी शुरुआत घाना की स्वतंत्रता से भी पहले हो चुकी थी। साल 1953 में भारत ने राजधानी अक्रा में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जब घाना ब्रिटिश उपनिवेश था। यह केवल एक राजनयिक कदम नहीं, बल्कि भारत की ओर से अफ्रीकी स्वतंत्रता आंदोलनों के प्रति समर्थन का स्पष्ट संकेत था। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और घाना के पहले राष्ट्रपति क्वामे एनक्रूमा के बीच मित्रता और उपनिवेशवाद विरोधी दृष्टिकोण ने इन संबंधों को मजबूती दी। साल 1957 में घाना की स्वतंत्रता के तुरंत बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की औपचारिक शुरुआत हुई। भारत ने अक्रा में उच्चायोग स्थापित किया, जबकि घाना ने नई दिल्ली में। दिलचस्प यह है कि भारत का अक्रा स्थित मिशन पड़ोसी देशों बुर्किना फासो, टोगो और सिएरा लियोन को भी सेवाएं देता है, जिससे क्षेत्रीय प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। आज के समय में घाना में लगभग 15,000 भारतीय रहते हैं, जिनमें कई परिवार चैथी पीढ़ी से जुड़े हैं। साथ ही 1940 के दशक से शुरू हुई एक स्थानीय हिंदू आबादी भी है, जिसमें लगभग 13,000 परिवार शामिल हैं। सिंधी व्यापारियों से लेकर अंतर-जातीय विवाहों तक और अक्रा के भारतीय मंदिर में होने वाले सामाजिक आयोजनों तक, यह प्रवासी समुदाय दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक पुल की तरह कार्य कर रहा है। अक्रा में हिन्दू मंदिर है, जिससे रोज घंटियों की आवाजें आती हैं।