लेखक की कलम

नयी इबारत लिखेगा मोदी का मौजूदा विदेश दौरा

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ताजा विदेश दौरा खास चर्चा में है। यह दौरा तकनीक, विकास और तरक्की की नई पटकथा लिख सकता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर आयोजित वैश्विक सम्मेलन की भारत सह अध्यक्षता कर रहा है, यह स्वयं में गौरवपूर्ण है। भारत और फ्रांस के बीच रिश्ते काफी पुराने और घनिष्ठ रहे हैं। ये पारंपरिक होने के बावजूद बहुत व्यावहारिक हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों देशों ने अपने संबंधों को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में बदलते हालातों के अनुकूल बनाया है। रूस और अमेरिका के बीच संतुलन बनाकर चलने वाले भारत और फ्रांस ने समय के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाया है। इसका एक नजराना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे के दौरान देखने को मिला है, जहां उनका स्वागत काफी भव्य और गर्मजोशी से किया गया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने गले लगाकर भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत किया है और सबसे अच्छा दोस्त बताया है।
पीएम मोदी का फ्रांस दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इस दौरे के दौरान जहां एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) समिट में भाग लिया है। साथ ही अपने इस दौरे के दौरान मोदी रक्षा और परमाणु समझौतों पर चर्चा करेंगे। इस यात्रा से भारत को अत्याधुनिक तकनीक, सामरिक रक्षा क्षमताओं और ऊर्जा क्षेत्र में बड़े लाभ मिलने की उम्मीद है। भारत के लिए यह यात्रा कई रणनीतिक क्षेत्रों में नए समझौतों की नींव रख सकती है। खासकर 26 राफेल-एम लड़ाकू विमानों की खरीद और परमाणु ऊर्जा सहयोग को लेकर। इसके अलावा दोनों नेता फ्रांस के ऐतिहासिक शहर मार्सिले में भारत के नए वाणिज्य दूतावास का उद्घाटन भी करेंगे। एआई एक्शन समिट की सह अध्यक्षता करना भारत के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, क्योंकि इससे इसमें 100 से अधिक देशों के नेता, सीईओ और तकनीकी विशेषज्ञ भाग रहे हैं। प्रमुख प्रतिभागियों में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी बेंस, चीनी उप प्रधानमंत्री झांग गुओकिंग, ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई शामिल हैं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य तेजी से विकसित हो रही प्रौद्योगिकी को विनियमित करने के लिए एक रूपरेखा स्थापित करना है। प्रधानमंत्री मोदी ने एआई समिट में शामिल देशों को भारत के विजन के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से नौकरियां नहीं जाएंगी, बल्कि नए तरह के अवसर पैदा होंगे। पीएम मोदी ने शिक्षा और खेती जैसे क्षेत्रों में एआई के इस्तेमाल की बात की और खतरों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग पर भी जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि तकनीक से काम खत्म नहीं होते। बल्कि काम का स्वरूप बदलता है और नए तरह के रोजगार पैदा होते हैं। उन्होंने लोगों को नए स्किल सीखने की जरूरत पर भी जोर दिया, क्योंकि इससे लोगों की जिंदगियां बदल सकती है। पीएम मोदी के अनुसार एआई को लेकर ऐसे नियम और मानक बनाने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है जो हमारे साझा मूल्यों को कायम रखें, जोखिमों का समाधान करें और विश्वास पैदा करें। सबसे बड़ी बात है कि अगले एआई समिट की अध्यक्षता भारत करेगा, जो एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पीएम मोदी का यह दौरा इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी 2047 का रोडमैप तैयार किया जायेगा। मोदी और मैक्रों मिलकर दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत करने के लिए द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। साथ ही भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बड़े समझौतों की उम्मीद की प्रबल संभावना है। भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल एम लड़ाकू विमानों के सौदे पर अंतिम मुहर लग सकती है। यह सौदा 7 अरब यूरो का बताया जा रहा है, जिससे भारतीय नौसेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। रक्षा सहयोग के अलावा, भारत-फ्रांस ऊर्जा साझेदारी को भी और मजबूत करने पर जोर देगा। साथ ही कैडारैचे में स्थित अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर का दौरा करेंगे, जहां स्वच्छ परमाणु ऊर्जा पर सहयोग को लेकर चर्चा होगी। साथ ही पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों की इस मुलाकात में दोनों देशों के बीच व्यापार, विज्ञान, तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर भी चर्चा होगी। भारत-फ्रांस सीईओ फोरम में दोनों देश अपने कारोबारी संबंधों को नई ऊंचाई देने की योजना बनाएंगे। फ्रांस, भारत से मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर प्रणाली पिनाक खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। यदि यह समझौता सफल रहा, तो पहली बार ऐसा होगा कि भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता उससे हथियार खरीदेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक है, लेकिन हाल के वर्षों में वह हथियारों की जरूरतें पूरी करने के लिए अपना उत्पादन बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही भारत धीरे-धीरे रक्षा निर्यात भी बढ़ा रहा है।
पीएम मोदी की यह यात्रा भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने वाली साबित हो सकती है। भारत-फ्रांस त्रिकोणीय विकास सहयोग पहल भी शुरू होने की संभावना है। दोनों देशों द्वारा 2026 को भारत-फ्रांस इनोवेशन ईयर घोषित करने की उम्मीद है। चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री फांस इंडिया के अध्यक्ष कुमार आनंद के अनुसार, भारत और फ्रांस के बीच व्यापार 20 अरब डॉलर से कम रहा, जिसमें अधिकांश लेन-देन रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों पर केंद्रित है। भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए फ्रांस एक अहम साझेदार है। भारत और फ्रांस तीसरे देशों के लाभ सहित एडवांस रक्षा टेक्नोलॉजी के सह-विकास और सह-उत्पादन में सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अगर देखा जाए तो जमीन से आसमान तक कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें भारत और फ्रांस मिलकर काम नहीं कर रहे। फ्रांस से भारत फिलहाल फाइटर प्लेन के अलावा एयरक्राफ्ट उपकरण, हेलीकॉप्टर, एलएनजी, टर्बो जेट्स, नेविगेशन इक्विपमेंट और टर्बाइन आयात करता है। वहीं, फ्रांस अपने इस रणनीतिक और रक्षा साझेदार देश से एटीएफ, डीजल, कपड़े, जूते-चप्पल, स्मार्टफोन, सोने के गहने, एयरोप्लेन के पार्ट्स, दवाइयां और केमिकल मंगाता है। इनके अलावा दोनों देशों में एक दूसरे के यहां की कंपनियां काम कर रही हैं। इनमें फ्रांस की इंजी सोलर कंपनी भारतीय सौर ऊर्जा क्षेत्र की सबसे बड़ी विदेशी निवेशक है। भारत में 800 मेगावाट के सोलर प्रोजेक्ट व 280 मेगाबाट का विंड पावर प्रोजेक्ट स्थापित है। ये उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में चल रहे हैं। इसके अलावा फ्रेंच व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी पीएसए ग्रुप ने भारतीय सीके बिरला समूह के साथतमिलनाडु में पावरट्रेन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई है। इसे भारत-फ्रांस सहयोग के इतिहास में स्वर्णिम कदम ही माना जाना चाहिए। इस लिए रणनीतिक रूप से भी मोदी का यह दौरा खासा महत्व रखता है।
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत को अपनी जरूरत की तकनीक और लड़ाकू विमान आदि जुटाने के लिए अपने सहयोगी देशों के साथ रिश्तों में गर्मजोशी लाने की जरूरत है। पीएम मोदी दौरा यही काम कर रहा हैं। (हिफी)

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