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थाईलैण्ड में मोदी का धर्मशास्त्र, बुद्ध के मंदिर पहुंचे

धर्म शास्त्रों में लिखा है कि जिस देश का राजा धर्म की मुताबिक आचरण करेगा, उस देश की प्रजा सदैव सुखी रहेगी और देश खुशहाल रहेगा। प्रधानमंत्री मोदी पहले भी अलग-अलग देशों के साथ भारत के अनेकों प्राचीन मंदिरों एवं धर्म स्थानों पर देश की खुशहाली के लिये यात्रा कर चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को दो दिन के थाईलैंड दौरे पर उन्होंने थाईलैंड की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात की। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से भारत और थाईलैंड के संबंधों में मजबूती प्राप्त होगी। दोनों देशों के मध्य पर्यटन की दृष्टि से काफी मजबूत सम्बन्ध हैं।
वाट फो मंदिर जाएंगे मोदी: वाट फो मंदिर थाईलैंड का एक बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा है। यह थाईलैंड की सबसे बड़ी लेटी हुई प्रतिमा है। इस मंदिर में प्रवेश करने की एक विशेष ड्रेस कोड होता है, जिसमें पुरुषों के लिए पैंट और पूरी बाजू की शर्ट, महिलाओं के लिए घुटने से नीचे तक के कपड़े शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी इस मंदिर में जाकर देश की खुशहाली की कामना करेंगे। प्रधानमंत्री इस मंदिर में दर्शन से दुनिया को भगवान बुद्ध के संदेश प्रचारित करेंगे। लेटी हुई अवस्था में दिया बुद्ध ने आखिरी संदेश रू भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा को महापरिनिर्वाण मुद्रा भी कहा जाता है। यह भगवान बुद्ध के जीवन के अंतिम चरण उनके देह त्यागने की अवस्था मानी जाती है। यह अवस्था दुनिया को शांति, ज्ञान और निर्माण का संदेश देती है। भगवान बुद्ध ने विषैला भोजन खाने के बाद इस अवस्था में जमीन पर लेटकर अपने शरीर का त्याग किया था। बुद्ध ने अपना आखिरी संदेश इसी रूप में दिया था। बुध की लेटी प्रतिमा का महत्व रू भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा अक्सर पश्चिम दिशा की ओर लेटी हुई पाई जाती है। वास्तु के अनुसार पश्चिम दिशा की ओर लेटी हुई बुद्ध प्रतिमा से घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। योग साधना करने के लिए भी आप इस लेटी हुई प्रतिमा के समक्ष बैठ सकते हैं। प्राचीन और आधुनिक आर्किटेक्ट में इस लेटी हुई प्रतिमा की कला को बहुत सुंदर और आकर्षक माना जाता है।

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