मोइज्जू चीन के चंगुल में!

मुइज्जू की सरकार चीन का भारी कर्जदार होने के बावजूद चीनी निवेशकों के लिए अवसरों की बात कर रही है और भारतीय सैनिकों को हटाने का राग अलाप रही है। दोनों राष्ट्रपतियों ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की भी घोषणा की।
मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोइज्जू लगता है चीन के चंगुल मंे फंस गये हैं। उन्हांेने पीएम मोदी से पंगा लेकर मुसीबत बुला ली। कोढ़ मंे खाज का काम उनके मंत्रियों ने कर दिया। राष्ट्रपति मोइज्जू ने उस समय भारत को अपना सबसे घनिष्ठ मित्र बताया और पीएम नरेन्द्र मोदी की तारीफ भी की थी। इतना ही नहीं उन्हांेने पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले अपने मंत्रियों को निलंबित भी कर दिया था। इससे लग रहा था कि मोइज्जू अपनी गलती को सुधारना चाहते हैं। हालंाकि भारत और मालदीव के बीच समुद्री अनुसंधान का समझौता और मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने की मांग का मामला दोनों देशांे के संबंधों को मधुर बनाने मंे बाधा बन रहा था लेकिन इस तरह के मामले देर-सबेर सुलझ ही जाते हैं। सबसे बड़ी आशंका यही थी कि मोइज्जू कहीं शी जिनपिंग के शिकंजे मंे न फंस जाएं। अब यही आशंका सच साबित होती दिख रही है। भारत के पीएम मोदी पर अभद्र टिप्पणी के बाद मालदीव के खिलाफ भारतीयों का मुखर होना स्वाभाविक था और यह भी स्पष्ट हो गया कि मालदीव के पर्यटन पर इसका प्रभाव पड़ेगा। प्रारम्भिक संकेत भी मिलने लगे कि मालदीव की जगह भारत के पर्यटक लक्षद्वीप जाने लगे हैं। ऐसे मंे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू चीन की यात्रा पर चले गये। मोइज्जू ने चीन से अधिक से अधिक पर्यटक भेजने का आग्रह किया। चीन ने इन हालात का फायदा उठाने की सोच ली और मोइज्जू पर डोरे डाल दिये हैं। चीन मालदीव को अपने कर्ज के जाल मंे फंसाना चाहता है। इसलिए चीन ने गीदड़ भभकी दी है। चीन ने कहा कि अगर मालदीव के आंतरिक मामले मंे किसी ने हस्तक्षेप किया तो चीन उसका विरोध करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का चीन प्रेम अब खुलकर सामने आ गया है। नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की बीजिंग की पहली राजकीय यात्रा के दौरान चीन और मालदीव का नया गठजोड़ देखने को मिला। मोहम्मद मुइज्जू की इस यात्रा के दौरान मालदीव ने चीन संग अपने संबंधों को प्रगाढ़ किया। मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत को संप्रभुता के लिए खतरा बताया है।
दरअसल, चीन की यात्रा पर गए मुइज्जू ने 10 जनवरी कोे अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की। इसके बाद दोनों देशों ने पर्यटन सहयोग सहित 20 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए और अपने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की घोषणा की। भारत संग मालदीव की तकरार को चीन ने मौके के रूप में लिया और मालदीव को पुराना दोस्त बताकर इसका फायदा उठाया। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में अपने संबोधन के दौरान मोहम्मद मुइज्जू को ‘पुराना दोस्त’ कहा, क्योंकि चीन व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति देकर हिंद महासागर द्वीपसमूह में आगे के निवेश के लिए मंच तैयार किया था। चीनी सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग ने मुइज्जू से कहा, ‘चीन और मालदीव के पास अतीत के संबंध को आगे बढ़ाने है।’ शी जिनपिंग इस बात पर बल दिया कि चीन राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल विकास राह तलाशने में मालदीव का समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि चीन राष्ट्रीय संप्रभुता, स्वतंत्रता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय गरिमा की रक्षा करने में मालदीव का दृढ़तापूर्वक समर्थन करता है। दोनों राष्ट्रपतियों ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाने की भी घोषणा की।
इस प्रकार मालदीव के साथ संबंधों को उन्नत करके चीन उस क्षेत्र में और निवेश के लिए मंच तैयार कर रहा है, जहां भारत पहले से ही एक और पड़ोसी यानी श्रीलंका को चीन की ओर आकर्षित होते देख रहा है। मुइज्जू ने मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने के अभियान के दम पर ही जीत हासिल की है और नवम्बर में पदभार संभाला है। इसके बाद भारतीय सैनिकों की मालदीव में उपस्थिति को मालदीव व उसके लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं। मुइज्जू सरकार चीन का भारी कर्जदार होने के बावजूद चीनी निवेशकों के लिए अवसरों की बात कर रही है और भारतीय सैनिकों को हटाने का राग अलाप रही है। दोनों राष्ट्रपतियों ने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने की भी घोषणा की। मालदीव के राष्ट्रपति नें कहा, ‘मालदीव और चीन की सरकारों के बीच 20 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए और इस मौके पर दोनों राष्ट्रपति मौजूद थे।
बहरहाल, मोहम्मद मुइज्जू और उनकी पत्नी साजिदा मोहम्मद का बीजिंग में गर्मजोशी से स्वागत किया गया। राष्ट्रपति शी और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने उनके सम्मान में राजकीय भोज का आयोजन भी किया। मालदीव के राष्ट्रपति की चीन की राजकीय यात्रा प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ उनके मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों और यूरोपीय संघ चुनाव अवलोकन मिशन की एक रिपोर्ट जारी होने की पृष्ठभूमि में थी। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के सत्तारूढ़ गठबंधन ने 2023 के राष्ट्रपति चुनावों में भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ावा दिया और गलत सूचना फैलाने का प्रयास किया, जिसमें मुइज्जू ने जीत हासिल की। चीन की अपनी पांच दिवसीय आधिकारिक यात्रा के दूसरे दिन मुइज्जू ने फुजियान प्रांत में ‘मालदीव बिजनेस फोरम’ को संबोधित करते हुए चीन को द्वीपीय राष्ट्र का ‘निकटतम सहयोगी’ बताया था। उन्होंने कहा था कि कोविड से पहले चीन के पर्यटक सबसे अधिक संख्या में हमारे देश में आते थे, और मेरा अनुरोध है कि चीन इस स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास तेज करें। दूसरी तरफ विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, मालदीव पर चीन का 1.37 बिलियन डॉलर या उसके सार्वजनिक ऋण का लगभग 20 फीसद बकाया है। अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट थिंक टैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल होने के फैसले के बाद से चीनी कंपनियों ने मालदीव में 1.37 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त निवेश किया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)