अध्यात्म

हाथी पर सवार शुभ-शुभ लेकर आ रही माँ

(पं. आर.एस. द्विवेदी-हिफी फीचर)
वासंतिक नवरात्र 2025 का प्रारम्भ 30 मार्च रविवार से हो रहा है। आगमन और विदाई के दिवस के आधार पर ही माँ की सवारी निर्धारित होती है। इस बार दुर्गा माता हाथी पर सवार होकर आ रही हैं और विदा भी हाथी पर सवार होकर होंगी। माता दुर्गा का हाथी पर आगमन अत्यंत शुभ माना जाता है। हाथी को अध्यात्म मंे सुख-समृद्धि और शांति का प्रतीक माना जाता है। विद्वानों के अनुसार अगर नवरात्र रविवार या सोमवार से प्रारम्भ होती है तब माता हाथी पर सवार होकर आती हैं और हाथी पर ही विदा होती हैं। अगर नवरात्र मंगलवार या शनिवार को शुरू या समाप्त होती है तो ऐसे में माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। अगर नवरात्र मंगलवार या शनिवार को शुरू या समाप्त होती है तो ऐसे में माता घोड़े पर सवार होकर आती है। इसे संघर्ष और उथल-पुथल का संकेत माना जाता है। इसी प्रकार यदि नवरात्र गुरुवार या शुक्रवार को प्रारम्भ और समाप्त हो रही है तो ऐसे मंे माता दुर्गा की सवारी पालकी होती है। इस वाहन को अच्छा नहीं माना जाता है। जन-धन की हानि का संकेत होता है। अस्थिरता और चुनौतियों का ज्यादा सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त नवरात्र यदि बुधवार से शुरू और समाप्त भी होते हैं तो माता की सवारी नौका अर्थात् नाव होती है। इसका संकेत है बारिश भरपूर होगी। साथ ही आपदा से मुक्ति मिलेगी और जीवन में शाति बनी रहेगी। बहरहाल, इस बार वासंतिक नवरात्र में माता रानी सब कुछ शुभ-शुभ लेकर आ रही हैं। हम सभी उनका आह्वान करें, प्रतिष्ठापित करें और प्रार्थना करें-या देवि सर्वभूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है। इस बार चौत्र नवरात्र की शुरुआत सर्वार्थ सिद्धि समेत कई शुभ योग में हो रही है। इनकी वजह से नवरात्र पर मां दुर्गा का पूजन अति फलदायी होने वाला है। हालांकि, रविवार से शुरू हो रही नवरात्र में इस बार 8 दिन ही व्रत रखा जाएगा, लेकिन माता के नौ स्वरूपों की पूजा होगी।
इस बार 30 मार्च प्रतिपदा (मां शैलपुत्री पूजन), 31 मार्च द्वितीया तिथि (मां ब्रह्मचारिणी पूजन) सुबह 90.12 बजे तक है, इसके बाद तृतीया तिथि (मां चंद्रघंटा पूजन) लगेगी, लेकिन इसका क्षय होगा, 1 अप्रैल चतुर्थी तिथि (मां कूष्मांडा पूजन), 2 अप्रैल पंचमी (मां स्कंदमाता पूजन), 3 अप्रैल षष्ठी (मां कात्यायनी पूजन), 4 अप्रैल सप्तमी (मां कालरात्रि पूजन), 5 अप्रैल अष्टमी (मां महागौरी पूजन), 6 अप्रैल नवमी (मां सिद्धिदात्री पूजन) और
7 अप्रैल दशहरा मनाया जाएगा।
नवरात्र की शुरुआत कई शुभ योग के साथ हो रही है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग, ऐंद्र योग, बुधादित्य योग, शुक्रादित्य योग और लक्ष्मीनारायण योग बन रहे हैं। ये लाभदायक और उन्नतिकारक योग हैं। मां दुर्गा की भक्तिभाव से पूजा करके आप इन योग में अपने जीवन को सुखी और समृ्द्ध बना सकते हैं।
चैत्र नवरात्र का आरंभ 30 मार्च को सूर्योदय के साथ होगा और यह 6 मार्च को नवमी तिथि के समाप्त होगी। इसमें पूजा का आरंभ करने के लिए दोपहर में अभिजीत मुहूर्त उत्तम है, जिसमें घटस्थापना करना बेहद शुभ होगा। वैसे सूर्योदय के साथ भी आप नवरात्र पूजन शुरू कर सकते हैं, लेकिन सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12 बजे के बीच घटस्थापना करने से बचें। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। माता का हाथी पर सवार होकर आना शुभ माना जाता है। हाथी को शांति और शुभता का प्रतीक माना जाता है। मां का हाथी पर आना खुशहाली और धन-धान्य में बढ़ोतरी का संकेत समझा जाता है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, मां को पहाड़ों की पुत्री माना जाता है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है, मां ब्रह्म के समान आचरण करने वाली हैं। तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होगी, माता चांद की तरह चमकने वाली हैं। चौथे दिन मां कूष्मांडा का पूजन होता है। मां के पूरे संसार में पैर फैले हैं। पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। मां कार्तिक स्वामी की माता हैं। छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, मां का जन्म कात्यायन आश्रम में हुआ था इसलिए उन्हें इस नाम से जाना जाता है। सातवें दिन कालरात्रि की पूजा होगी, मां काल का नाश करती हैं। आठवें दिन मां महागौरी का पूजन होगा, मां सफेद रंग वाली हैं और 9वें दिन सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
श्रीमद्देवी भागवत पुराण के अनुसार, देवी का आवाहन सुबह के समय किया जाता है। घटस्थापना को चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग को करना भी वर्जित माना जाता है। 30 मार्च 2025 को सुबह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा उदय व्यापिनी है। इसलिए इस दिन ही घटस्थापना की जाएगी। शास्त्रों के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना करना सबसे उत्तम माना जाता है। 30 मार्च रविवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह में 12 बजकर 1 मिनट से 1 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में घटस्थापना के लिए 50 मिनट का यह मुहूर्त सबसे शुभ रहेगा। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना करने के साथ ही मां दुर्गा का पूजन किया जाता है। मान्यता के अनुसार, दुर्गा उपासना द्विस्वभाव लग्न में मां दुर्गा की उपासना करना अच्छा माना जाता है। द्विस्वभाव लग्न मीन में घटस्थापना करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए सुबह 6 बजकर 3 मिनट से 7 बजकर 9 मिनट तक का समय भी घटस्थापना के लिए अच्छा रहेगा।
कलश को तीर्थों का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में कलश स्थापना करने के साथ ही देवी देवताओं का आवाहन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कलश के अलग अलग भागों में त्रिदेवों का वास होता है। कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ पर भगवान शिव और मूल में ब्रह्माजी का स्थान माना गया है। कलश के मध्य भाग में मातृ शक्तियों का निवास होता है। इसलिए नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना करने के साथ ही देवी देवताओं को घर में निमंत्रण दिया जाता है।
हिन्दू धर्म में नवरात्र का पर्व बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह साल में 4 बार मनाई जाती है, जिसमें 2 प्रकट नवरात्रि यानी चैत्र और शारदीय और बाकी 2 गुप्त नवरात्र।
चैत्र नवरात्र 2025 में मां दुर्गा की सवारी क्या होगी, माता का वाहन सप्ताह के दिन के मुताबिक तय होता है चैत्र नवरात्रि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। साल 2025 में पड़ने वाले चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा इस बार हाथी पर सवार होकर आएगी। मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बहुत शुभ माना गया है। चैत्र नवरात्र का समापन 7 अप्रैल सोमवार को होगा। इसीलिए चैत्र नवरात्रि में मां भगवती हाथी पर सवार होकर आएंगी और प्रस्थान भी हाथी पर बैठकर ही करेंगी। माता का हाथी पर सवार होकर आना और जाना इस बात का संकेत है कि साल 2025 में खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा। वहीं खुशियों और सुख-समृद्धि का वास होगा। (हिफी)

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