लेखक की कलमसम-सामयिक

प्रकृति दे रही चेतावनी

दुनिया के दो देशों में प्रकृति ने भीषण तबाही मचा दी

 

एक सप्ताह में चार दिन के अंतराल में दुनिया के दो देशों में प्रकृति ने भीषण तबाही मचा दी। पहले मोरक्को में भूकंप ने तबाही मचायी तो इस सोमवार की रात लीबिया में तूफान ने पांच हजार से अधिक जान ले ली है। मोरक्को में आये भयंकर भूकंप से मृतकों की गिनती भी नहीं की जा सकी थी कि अफ्रीकी देश लीबिया में तूफान के बाद आई बाढ़ से मरने वालों का आंकड़ा दस हजार पार हो गया। इस तूफान व सुनामी की भयावहता को मद्देनजर यह कह पाना कठिन है कि अभी इंसानी मौतों की तादाद कितना होगी यानि मरने वालों का आंकड़ा काफी तादाद में बढ़ सकता है। दरअसल, लीबिया में डैनियर तूफान व तेज बारिश के बाद बांध टूटने से तबाही और बर्बादी का ऐसा मंजर बन गया है कि डर्ना शहर का एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आकर समुद्र की तरफ बह गया है चारों तरफ लाशों के ढेर बता रहे हैं कि प्रकृति ने कितना कहर बरपाया है, समुद्र में लाशें तैर रही हैं। लाशों की रस्मजनाजा करने के लिए भी लोग परेशान हैं।
गत 8 सितंबर को मोरक्को में भूकंप ने भारी तबाही मचायी इसमें करीब 2,800 लोगों की जान चली गई। भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद अधिकारी सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर रहे थे, जिसमें इस दुखद घटना से पहले, उसके दौरान और बाद के क्षण कैद हो गए हैं। बेहद तीव्रता वाले शक्तिशाली भूकंप से लगभग तीन मिनट पहले शहर के कुछ मकानों में से एक में सुरक्षा कैमरों द्वारा आकाश में नीली रोशनी का दिलचस्प विस्फोट कैद किया गया। इस घटना का कारण रहस्य में डूबा हुआ है, जिससे यह प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या यह आसन्न आपदाओं के किसी प्रकार के अशुभ संकेत के रूप में कार्य करता है।

अब 12 सितंबर को अफ्रीकी देश लीबिया में डेनियल तूफान से आई बाढ़ के चलते मरने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आपातकालीन सेवा कर्मियों ने पूर्वी शहर डेरना में मलवे से सैकड़ों शव निकाले। करीब 700 शवों को दफनाया जा चुका है। डेरना प्रशासन के मुताबिक, डेनियल तूफान के चलते 2,300 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। हालांकि मरने वाले लोगों की संख्या इससे कही ज्यादा बताई जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लीबिया में तूफान और बाढ़ से 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 15 हजार से ज्यादा लोग लापता है। जानकारी के मुताबिक, 700 शव ऐसे हैं जिनकी पहचान तक नहीं हो पाई। हालात ऐसे हैं कि शहर में जिंदा लोगों को कम और मुर्दा लोगों को ज्यादा ढूंढा जा रहा है। रेस्कयू ऑपरेशन में 123 सैनिकों को भी ढूंढने का दौर जारी है। शहर में फौज भी शवों की तलाश करने में बेबस नजर आ रही है।

भीषण तूफान के कारण आई बाढ़ में कम से कम 10,000 लोगों के लापता होने की आशंका है, जिससे बांध टूट गए, इमारतें बह गईं और पूर्वी शहर डर्ना का एक चैथाई हिस्सा नष्ट हो गया। अकेले डर्ना में 2,200 से अधिक लोग मारे गए हैं और 1,000 शव बरामद किए गए हैं। अधिकारियों को आशंका है कि एक दशक से भी अधिक समय से संघर्ष से जूझ रहे देश में तूफान डेनियल के भूमध्य सागर से टकराने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।

1,25,000 निवासियों वाले डर्ना शहर में बाढ़ के कारण सड़कों पर वाहन पलट गए, पेड़ गिर गए और घर खाली हो गए। अधिकारियों ने लगभग 700 शवों को दफना दिया था क्योंकि बचावकर्मी बाढ़ से और शव निकालने के लिए संघर्ष कर रहे थे। यह बहुत विनाशकारी है। शव हर जगह पड़े थे। समुद्र में, घाटियों में, इमारतों के नीचे, नागरिक उड्डयन मंत्री और आपातकालीन समिति के सदस्य हिचेम अबू चकियोआट के बयान के अनुसार शहर का 25 फीसद हिस्सा गायब हो गया कई इमारतें ढह गई। नदी लापता हो गई।
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ द रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज (आईएफआरसी) के एक प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख टैमर रमदान ने जिनेवा में कहा कि लापता लोगों की संख्या 10,000 है।

पूर्वी लीबिया में प्रधानमंत्री ओसामा हमद के हवाले से बताया गया कि दो अपस्ट्रीम बांधों के टूटने के बाद लापता लोगों में से हजारोंलोग बह गए हैं। उन्होंने कहा कि डर्ना में तबाही उनके देश की क्षमताओं से कहीं अधिक है। शहर में मौजूद एयरपोर्ट्स के रनवे भी पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं जिसके चलते यहां पर हैवी कार्गो एयरक्राफ्ट लैंड करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। हेल्थ मिनिस्टर ने लीबिया शहर में आए तूफान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शहर के कई इलाकें ऐसे हैं जहां पानी में लाशें तैरती नजर आ रही हैं। कई घर ऐसे हैं जहां शव सड़ चुके हैं। सड़कों पर बहुत सारे शव पड़े थे। समाचार एजेंसी अल जजीरा के मुताबिक, पोर्ट सिटी डेर्ना के पास दो डैम मौजूद थे, जो तूफान के चलते टूट गए। शहर के पास एक डैम 230 फीट का था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहले यही डैम तबाह हुआ जिसकी देखरेख 20 सालों से नहीं हुई थी। जब यह डैम तबाह हुआ तो इसका पानी पूरे शहर में फैल गया। पोर्ट सिटी डेर्ना में करीब 10 हजार लोग रहते थे लेकिन इस भीषण तबाही में करीब 700 लोगों की मौत हो गई। शहर में हालात इस कदर खराब थे कि मृतकों को दफनाने के लिए जगह नहीं थी। वैसे भी लीबिया बहुत बुरा दौर से गुजर रहा है वहां कर्नल गद्दाफी की मौत के बाद सरकार नामचार की है। वहां दो टुकडों में शासन बंटा हुआ है।

जाहिर है कि दुनिया में प्राकृतिक आपदाओं में भारी बढ़ोतरी हुई है। यह लगातार हर साल बढ़ती जा रही है। कहीं बाढ़ कभी भूकंप कहीं तूफान जीवन प्राणी मात्र के लिए भारी जानलेवा साबित हो रहे हैं। इंसान द्वारा प्रकृति के साथ संतुलन नहीं बनाने और लगातार प्राकृतिक संसाधनों का मनमाना दोहन करने नदियों पेड़ पौधों पहाड़ों और पर्यावरण के साथ लगातार मनमानी खिलवाड़ करना भी इन आपदाओं का एक बड़ा कारण है।

अभी भारत में भी पिछले दिनों मनाली शिमला समेत हिमाचल के कई शहरों में भारी तबाही का दौर देखने को मिला यही नहीं 10-11 सितंबर को अकेले उत्तर प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण दो दर्जन से अधिक लोगों को जान गंवानी पड़ी है। यह सारे हालात बता रहे हैं कि इंसान अपनी विकास की दौड़ में प्राकृतिक संसाधनों का सही संरक्षण न कर उनके साथ संतुलन बनाने के स्थान पर मनमानी कर रहा है और इसी के चलते प्रकृति भी अपना रौद्र रूप दिखा रही है। हमारे देश में भी पहाड़ को काट कर टनल और नदियों के वेग को रोककर बांध बन रहे हैं यह खतरे की घंटी हो सकता है। यदि इंसान ने अपनी नाजायज हरकतों को नहीं रोका तथा पर्यावरण के अनुकूल व्यवहार नहीं बनाया तो तबाही का खतरा और अधिक बढ़ना तय है और जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है तो फिर वह किसी का मान नहीं रखती है। अतः जरूरत इस बात की है कि इंसान पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत हो और प्रकृति के शोषण के स्थान पर सामंजस्य स्थापित करे। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button