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नवरात्र और दशहरा भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म की पहचान

-ओम प्रकाश उनियाल
भारतभूमि विश्व की ऐसी भूमि है जहां हर देवी-देवता को किसी न किसी रूप में पूजा जाता है। सनातन धर्म की विशेषता यही है। इसी कारण भारत में पूरे साल त्यौहारों का सिलसिला चलता ही रहता है। पितृ-पक्ष की समाप्ति के बाद नवरात्र शुरु होते हैं। नवरात्र साल में दो बार मनाए जाते हैं। चौत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र। दोनों नवरात्रों में मां भगवती को पूजा जाता है। शारदीय नवरात्र इस बार 15 अक्टूबर से शुरु होकर 24 अक्टूबर तक हैं। नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। जैसाकि, मां दुर्गा के नौ रूप हैं। नौ देवियों की अलग-अलग दिन विधि-विधानपूर्वक पूजा की जाती है। व्रत रखे जाते हैं। अष्टमी व नवमी को कुंवारी कन्याएं जिमायी जाती हैं। तथा उन्हें दान-दक्षिणा दी जाती है। सभी देवियों के वाहन भी अलग-अलग हैं। देवी के इन नौ रूपों की संयम व नियमबद्ध साधना करने से अपार सुख की प्राप्ति होती है एवं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। दुर्गा के नौ रूप इस प्रकार हैं।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीय ब्रह्मचारिणी।
तृतीय चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रि महागौरी चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुगार्रू प्रकीर्तितारू।
उक्तान्येतनि नामामि ब्रह्मणैव महात्मना।।
(शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री)
दुर्गाोत्सव का असली रंग पश्चिम बंगाल में देखा जाता है। लेकिन देश के हर क्षेत्र में बसने वाले हिन्दु इस नौ दिन के उत्सव को पूरी श्रद्धा एवं उल्लास से मनाते हैं। इन दिनों घरों व मंदिरों में माता के पूजन के अलावा जागरण, भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं। यहां तक कि विदेश में रहने वाले हिन्दू भी इस त्यौहार को परंपरागत रूप से मनाते हैं।
नवरात्र के साथ-साथ भगवान राम की लीलाओं का मंचन भी किया जाता है। जो कि दस दिन चलता है। प्रभु श्रीराम के जन्म से लेकर रावण वध तक की लीला मंच पर खेली जाती है। शोभा-यात्राएं व झांकियां निकाली जाती हैं। दसवें दिन दशहरा पर्व मनाया जाता है। जो कि विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। रामलीलाओं का आयोजन समाज को बुराईयों से दूर रहने का संदेश देता है। एवं भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए जाग्रत करता है।
कुल मिलाकर एक साथ दो पर्वों का मनाया जाना भारतीय संस्कृति व हिन्दू धर्म की पहचान का द्योतक है।

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