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भारत-चीन रिश्तों की नयी शुरुआत, सेनाएं पीछे हटने लगीं

भारत-चीन के रिश्तों की नई शुरुआत हो चुकी है। लंबे समय से सीमा पर चल रही तनातनी अब खत्म होते दिख रही है। इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है। लगातार बातचीत पर भरोसा जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरकार इस संघर्ष का हल निकाल ही लिया। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने लगी हैं। भारत और चीन की सेनाएं पूर्वी लद्दाख सीमा से पीछे हटना शुरू हो गई हैं। डेमचोक और देपसांग पॉइंट में दोनों सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और शेड हटा लिए हैं। 28 और 29 अक्टूबर तक सेनाएं पूरी तरह से हट जाएंगी।
बता दें कि साढ़े चार साल पहले चीनी घुसपैठ के बाद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य गतिरोध की स्थिति में फंसे भारत और चीन ने क्षेत्र में सात टकराव बिंदुओं में से दो पर सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू करके द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने की दिशा में पहला कदम उठाया था। ताकि वहां दोनों पक्षों के पेट्रोलिंग करने के अधिकार को बहाल किया जा सके। भारतीय सेना के सूत्रों ने पुष्टि की कि देपसांग मैदानों और डेमचोक में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई। एक दिन पहले भारत ने घोषणा की थी कि दोनों पक्षों के बीच पेट्रोलिंग पर एक समझौता हो गया है और 28-29 अक्टूबर तक इसके पूरा होने की संभावना है। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि इन क्षेत्रों में ऊंचाई और मौसम की स्थिति को देखते हुए कोई सख्त समयसीमा नहीं हो सकती है। वर्तमान में दोनों पक्ष पिछले साढ़े चार वर्षों में बनाए गए अस्थायी ढांचों को हटा रहे हैं। हटाए जा रहे अस्थायी ढांचों में पूर्वनिर्मित शेड और टेंट शामिल हैं जिनका इस्तेमाल उपकरण, वाहन और सैनिकों को रखने के लिए किया जा रहा है।
सूत्रों ने रेखांकित किया कि वर्तमान समझौता केवल देपसांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्रों में पेट्रोलिंग के अधिकार को बहाल करने पर है और केवल इन दो टकराव बिंदुओं पर ही वापसी हो रही है। वहां की समस्याओं को विरासत संबंधी मुद्दे कहा जाता है और ये 2020 की चीनी घुसपैठ से पहले की हैं।

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