नीतीश के सियासी पैंतरे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग साल 2010 से ही की जा रही है। इसके लिए 24 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में और 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अधिकार रैली का आयोजन किया गया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति मंे पिछड़ रहे थे। यहां तक कि उनके पूर्व साथी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी कहना शुरू कर दिया था कि नीतीश के नेतृत्व में जद(यू) को 2024 मंे चार-पांच सांसद से ज्यादा नहीं मिलेंगे। नीतीश कुमार को पता है कि अपना कद कैसे बढ़ाया जा सकता है। जातीय सर्वे को उन्हांेने बड़ा मुद्दा बनाया। अदालत ने भी उनका पक्ष सही बताया तो राज्य मंे 75 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक विधानसभा मंे पारित करा लिया। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा को भी विरोध करने का साहस नहीं हुआ। अब नीतीश कुमार ने उसी पैटर्न पर अपनी पुरानी मांग उठा दी। वह बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए यूपीए और एनडीए दोनों सरकारों से कई बार अनुरोध कर चुके हैं। नीतीश जानते हैं कि आरक्षण विधेयक की तरह इसका भी कोई विरोध नहीं करेगा। इसीलिए उन्हांेने गत दिनों (22 नवम्बर) कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाए, यह मांग सिर्फ जद(यू) की नहीं बल्कि बिहार सरकार की है। मुख्य विपक्षी भाजपा को इसका भी समर्थन करना पड़ेगा। चुनाव के समय राज्य कर्मचारियों को खुश रखना बहुत जरूरी है। इसीलिए 7वें वेतनमान के कर्मचारियों को 46 फीसद डीए देने की घोषणा की गयी है। माना जाता है कि राज्य मंे लगभग 94 लाख गरीब परिवार हैं। इन सभी परिवारों के एक सदस्य को रोजगार देने के लिए 2 लाख तक की राशि किस्तों मंे उपलब्ध करायी जाएगी। कहने की जरूरत नहीं, नीतीश कुमार के इन सियासी पैंतरों से विपक्षी भाजपा ही नहीं साथी दल-राजद व कांग्रेस भी चैकन्ने हो गये हैं।
नीतीश सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के नाम पर बड़ा दांव खेला है। बिहार कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र से अनुरोध करने के फैसले को बिहार सरकार ने अपनी सहमति दे दी और नीतीश कैबिनेट ने इस एजेंडे पर मुहर लगा दी है। इस मौके पर एक बार फिर सीएम ने कहा कि अगर केंद्र सरकार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे दे तो राज्य सरकार अपने सभी काम बहुत कम समय में ही पूरा कर लेगी। इसके साथ ही नीतीश सरकार ने महंगाई भत्ता में इजाफा कर दिया है। राज्य कर्मियों को चार फीसदी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की गई है। दरअसल, डीए यानी डियरनेस एलाउंस को 42 फीसद से 46 फीसद कर दिया गया है। दिवाली से पहले से ही राज्यकर्मियों का डीए 04 फीसद बढ़ाने की तैयारी चल रही थी। इसका प्रस्ताव भी तैयार हो गया था लेकिन कैबिनेट की मंजूरी मिलने में देरी हो गई जिसके चलते कर्मचारियों और पेंशनर्स को इंतजार करना पड़ा। बताते चलें कि 18 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मियों के मंहगाई भत्ता में 04 फीसद इजाफा किया था। उसी तर्ज पर नीतीश सरकार ने भी राज्यकर्मियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया है। इसको लेकर आज यानी बुधवार को नीतीश कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
आरक्षण पर कैबिनेट के फैसले के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया पर कहा कि देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण सीमा को 16 फीसद से बढ़कर 20 फीसद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा को एक प्रतिशत से बड़ा कर दो प्रतिशत किया गया है। इसके साथ ही अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 18 फीसद से बढ़कर 25 फीसद, पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 12 फीसद से बढ़कर 18 फीसद कर दिया गया है। सामाजिक रूप से कमजोर तबके के लिए आरक्षण सीमा को 50 फीसद से बढ़कर 65 फीसद कर दिया गया है। आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसद पहले से ही आरक्षण की सुविधा दी गई है। इस तरह बिहार में आरक्षण का दायरा 75 फीसद तक पहुंच गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को जोड़ा जाए तो बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार है। इन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार देने के लिए 2 लाख तक की राशि किस्तों में उपलब्ध कराई जाएगी। मुख्यमंत्री की मानें तो 63850 आवास इन और भूमि परिवारों को जमीन की खरीद के लिए दी जा रही 60000 रुपये की राशि की सीमा को बढ़कर एक लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए
1 लाख 20000 रुपए दिए जाएंगे। इसी तरह 39 लाख परिवार जो झोपड़ियों में रह रहे हैं, उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए प्रति परिवार एक लाख 20 हजार रुपए की दर से राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
7वें वेतनमान के कर्मियों को अब 46 फीसदी डीए मिलेगा जो 01 जुलाई 2023 से प्रभावी माना जाएगा। राज्य के कर्मचारी दिसंबर के वेतन में एरियर के साथ बढ़े महंगाई भत्ते का लाभ लें सकेंगे। बता दें कि नीतीश कैबिनेट में कुल 38 प्रस्तावों पर मुहर लगी है। इससे पहले भी इसी साल अप्रैल महीने में राज्यकर्मियों और पेंशनधारकों का महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ाया गया था। जिसे 38 फीसद से बढ़ाकर 42 फीसद कर दिया गया था। और अब, महंगाई भत्ता 42 से 46 फीसदी कर दिया गया है जिसका लाभ राज्य के करीब 11 लाख सरकारी कर्मी और पेंशनधारकों को होगा। राज्य में 4.5 लाख से अधिक कार्यरत और करीब 06 लाख पेंशनधारक हैं। नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया हैंडल पर कहा कि हम लगातार बिहार के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं। हमारी मांग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी। जिसकी रिपोर्ट सितम्बर 2013 में प्रकाशित हुई थी, परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। वहीं, इसके बाद 2017 के मई में भी हम लोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था, पर काम आगे नहीं बढ़ पाया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग साल 2010 से ही की जा रही है। इसके लिए 24 नवंबर 2012 को पटना के गांधी मैदान में और 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अधिकार रैली का आयोजन किया गया था। नीतीश कुमार ने बताया कि बिहार सरकार की मांग पर तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट पर सितंबर 2013 में प्रकाशित हुई थी। लेकिन, उसे समय भी तत्कालीन केंद्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं कियासीएम नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने 2017 में भी बिहार सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बिहार कैबिनेट की बैठक बिहार को विशेष राज्य का देने के लिए केंद्र से अनुरोध किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से बिहार के लोगों के हित को देखते हुए राज्य को अविलंब विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बिहार कैबिनेट की बैठक संपन्न हुई। सचिवालय के मंत्रिमंडल कक्ष में आयोजित हुई इस बैठक में कैबिनेट ने 40 प्रस्तावों पर अपनी स्वीकृति दी। बिहार में लागू हुए नए आरक्षण बिल को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजने पर कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। राज्य सरकार संविधान संशोधन करने को लेकर सरकार या प्रस्ताव भेज रही है। नौवीं अनुसूची में शामिल हो जाने पर नहीं आरक्षण नीति को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)