मेवात के इतिहास पर धब्बा बना नूंह

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
महाभारत काल से जुड़े हरियाणा मंे अराजक तत्वों ने जन-धन ही नहीं संस्कृति को भी जला दिया है। मेवात का शानदार इतिहास रहा है। यहां के हिन्दुओं ने मुस्लिम धर्म को मजबूरी में अपनाया था, इसलिए उनके नाम हिन्दुओं से आज भी मिलते-जुलते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अनुरोध पर यहां के लोग पाकिस्तान नहीं गये थे। यहां के मुसलमानों मंे मुख्य रूप से मेव मुसलमान हैं जिनकी प्रथाएं और परम्पराएं गुज्जर, जाट और अहीर जैसे हिन्दू समुदायों से मिलती हैं। यहां की हवा मंे नूंह ने जहर घोला है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि हरियाणा मंे गाय तस्करी के लगभग तीन चैथाई मामले नूंह में होते हैं। गोमांस को लेकर हर महीने औसतन 15 मामले दर्ज होते हैं। साइबर क्राइम का यह हब बन गया है। मेवात क्षेत्र मंे राजस्थान के भरतपुर और अलवर, उत्तर प्रदेश के मथुरा और हरियाणा का नूंह जिला शामिल है।
मेवात के अधिकांश मुसलमान हिंदू राजपूतों से अपनी वंशावली जोड़ते हैं। मेवात के बुजुर्गों से बात करो तो वे बताएंगे कि कैसे 11 वीं सदी में उनके पूर्वजों ने इस्लाम को कबूल किया। यहां की तहजीब का ही असर है कि आज भी मेवात में कई मुस्लिम समुदाय के लोगों के नाम हिंदू जैसे मिल जाएंगे। मसलन- समर सिंह, अमर सिंह, चांद सिंह वैगरह।
नूंह में दंगे की जांच हो रही है फिर भी यह सवाल तो उठेगा ही कि जिस धार्मिक यात्रा में 5000 लोग शामिल थे उनकी सुरक्षा के लिए महज 100 पुलिस वाले क्यों थे? दंगाइयों के पास इतने पत्थर और हथियार कैसे आए। आजादी के बाद से अब तक मेवात आम तौर पर शांत ही रहा है। इस बार हालात ज्यादा बिगड़ गए। सवाल है कि आखिर इस बार मेवात अपनी गंगा-जमनी तहजीब को भूल गया? मेवात में अमन को पता नहीं किसकी नजर लगी। पुलिस-प्रशासन और तमाम शांति चाहने वाले कोशिश करते रहे लेकिन दंगाई अपनी मंशा में कामयाब होने तक नहीं रूके। पागलपन थमा तो जो नुकसान सामने आया वो हर अमन पंसद शहरी को नागवार गुजरा। अमन चाहने वालों को भरोसा नहीं हो रहा कि जिस मेवात का इतिहास ही हिंदू-मुस्लिम एकता का रहा है वहां ऐसा कुछ हो सकता है। ये वही मेवात है जहां के घराने को हिंदुस्तानी संगीत का स्कूल कहा जाता है। इसी घराने ने मुल्क को पंडित जसराज जैसा शास्त्रीय संगीत का महारथी दिया। पद्मविभूषण जसराज के नाम पर नासा ने मंगल और बृहस्पति के बीच पाए जाने वाले एक ग्रह का नाम भी रखा है। अराजक तत्वों ने शानदार पहचान पर धब्बा लगाया है। मेवात की पहचान तो हसन खान मेवाती से भी है। वही हसन खान जिन्होंने बाबर के खिलाफ राणा सांगा का साथ दिया था। बाबर भारत पर अपनी पकड़ स्थापित करने के लिए सैन्य अभियान पर था। उसके सामने थी राणा सांगा की विशाल सेना। कहा जाता है कि राणा सांगा के पास तब तकरीबन एक लाख सैनिक थे। घबराए बाबर ने धर्म का वास्ता देकर तब मेवात के शासक हसन खान से मदद मांगी, हसन ने उसके धर्मवादी प्रस्ताव को ठुकरा दिया और राणा के साथ जंग में कंधे से कंधा मिलाकर लड़ा। भारत अपने पहले स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई लड़ रहा था तब करीब 6000 मेवातियों ने वतन की खातिर जान दी थी। राष्ट्रपिता के कहने पर ही यहां के मुसलमान पाकिस्तान नहीं गए थे। महात्मा गांधी मेवात के गांव घसेड़ा में आए और पाकिस्तान के लिए पलायन करने वालो मुसलमान समुदाय को समझाया कि ये तुम्हारा भी देश है। तब खुद गांधी ने कहा था- बस मेरे कहने पर रुक जाओ, तुम्हारी हर जरूरत की जिम्मेदारी मेरी है। इस अपील का असर हुआ और पलायन कर रहे लोगों के पांव वहीं ठहर गए।
हरियाणा के नूंह से फैली हिंसा ने कुछ ही दिनों में राज्य के अलग-अलग जिलों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इस घटना में जान माल की भी हानि हुई है। हिंसा को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि नूंह और दूसरे जिलों में फैली हिंसा अब पहले के मुकाबले काबू में है। उन्होंने बताया कि इस हिंसा में हरियाणा में अभी तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। हिंसा फैलने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 116 लोगों को गिरफ्तार किया है। सीएम खट्टर ने बताया कि इस हिंसा के दौरान जो लोग घायल हुए हैं उन्हें नूंह के नलहड़ और गुरुग्राम के मेदांता सहित विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। घायलों को नूंह के नलहड़ और गुरुग्राम के मेदांता सहित विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हिंसा की घटनाओं में 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने कहा कि साजिशकर्ताओं
की पहचान की जा रही है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की
जाएगी।
खट्टर ने कहा कि आम लोगों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। हालात काबू करने के लिए राज्य में हरियाणा पुलिस के जवानों के अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों की 20 कंपनियां तैनात की गई हैं। इनमें तीन पलवल, दो गुरुग्राम, एक फरीदाबाद और 14 नूंह में तैनात हैं। सीएम खट्टर ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है।वहीं, हरियाणा के डीजीपी पी के अग्रवाल ने इस हिंसा को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस पीसी मे उन्होंने कहा कि राज्य में अब स्थिति काबू में है। सभी मामलों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया जाएगा।
हरियाणा के नूंह में जिस पैमाने पर हिंसा हुई, उसे लेकर पुलिस और प्रशासन पर कई सवाल खड़े होते हैं। खासकर तब जब इस क्षेत्र में संघर्ष का इतिहास रहा है। इस क्षेत्र के विशिष्ट सामाजिक नैतिक मानकों, सामाजिक संकेतकों (सोशल इंडिकेटर्स) और अपराधिक रिकॉर्ड के लोगों की मौजूदगी, विशाल लाल झंडों के साथ तैयारियों, संसाधनों को लेकर माहौल भांपने में बुद्धिमत्ता की कमी के लिए अधिकारियों की आलोचना की जा रही है। नूंह भारत के सिंगापुर कहे जाने वाले गुरुग्राम से सिर्फ 57 किमी दूर है। दिल्ली से बमुश्किल तीन घंटे की ड्राइव कर यहां पहुंचा जा सकता है। नूंह देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है। हालिया हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चला है कि नूंह में केवल 51 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित हैं। यह जिला राजस्थान के भरतपुर के बाद उत्तरी भारत में सबसे गरीब जिला है। मुस्लिम आबादी के मामले में नूंह भारत के 640 जिलों में 14वें स्थान पर है। यह हरियाणा का सबसे बड़ा मुस्लिम बहुल जिला है। सच्चर समिति के निष्कर्षों के मुताबिक यहां भारतीय मुसलमानों और अन्य समूहों के बीच शिक्षा, रोजगार और कमाई में असमानताएं थीं। नूंह अपराध के मामले में टॉप पर है, लेकिन पिछले पांच साल में यहां हुई किसी भी झड़प को सांप्रदायिक दंगे के रूप में नहीं देखा गया। हालांकि, गौरक्षकों से संबंधित कई घटनाएं हुई हैं। गौरक्षकों का एक लंबा चैड़ा नेटवर्क यहां काम करने के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्र कई देहाती समुदायों का घर है, जो गाय का सम्मान करते हैं। हरियाणा में गाय तस्करी के लगभग तीन-चैथाई मामले नूंह में होते हैं। (हिफी)