सुनक के कड़क पर उचित फैसले
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
सरकार सिर्फ मुस्कराहट से नहीं चलती । बदमिजाज लोगों की मुश्कें भी बांधनी पडती हैं। ब्रिटेन में भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने हाल में (10 दिसम्बर को) जो कठोर फैसला लिया, उसे शासन व्यवस्था के तहत उचित कहा जाएगा। सामान्य व्यक्ति अगर कोई गलत काम करे तो समाज पर उतना बुरा प्रभाव नहीं पडता लेकिन शासन व्यवस्था का जिम्मेदार अगर वही गलती करे तो उसका प्रभाव समाज पर ज्यादा पडता है। विदेश की सरकार क्या कर रही है इसपर किसी अन्य देश को हस्तक्षेप करना नहीं चाहिए। हम भी इससे बचते हैं। हमारा यह आलेख भी ब्रिटेन की शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं है लेकिन लोकतंत्र में आस्था रखने के चलते एक लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री के फैसले की तारीफ करना दूसरे देशों को भी प्रेरणा दे सकता है। हमारा देश भारत तो दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र है। ब्रिटेन के मौजूदा पीएम ऋषि सुनक भारतीय मूल के नेता हैं और भारतीय उद्योगपति के दामाद भी हैं। इसलिए उनके फैसले की सराहना की है। ब्रिटेन में विदेशी कामगारों के लिए वीजा नियम सख्त किये गये हैं। सुनक ने इसे भी ऐतिहासिक कदम बताया है। यह भी
ध्यान रहे कि ब्रिटेन में अब बसना मुश्किल होगा क्योंकि ऋषि सुनक ऐसे जटिल नियम लाए हैं जिनको पूरा करना मुश्किल होगा। इस तरह ऋषि सुनक के कडे फैसले चर्चा के विषय बन गये हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने सोमवार 11 दिसम्बर को अपनी गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर दिया है। यह कोई मामूली फैसला नहीं है। इसके बाद भारतीय मूल के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया है। ब्रेवरमैन की जगह जेम्स क्लेवर्ली को नया गृह मंत्री बनाया गया है। पीएम ऋषि सुनक के इस फैसले से राजनीति में हलचल मची लेकिन गृहमंत्री को क्यों बर्खास्त किया गया, यह जानकर ज्यादातर लोगों ने पीएम की तारीफ की है।
सुएला ब्रेवरमैन भी भारतीय मूल की हैं। उन्होंने लंदन में पिछले दिनों फिलिस्तीन के समर्थन में हुए एक प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई न करने को लेकर लंदन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस की आलोचना करते हुए एक लेख लिखा था। अपनी ही पुलिस की उन्होंने आलोचना क्यों की जबकि पुलिस गृहमंत्री के ही नियंत्रण में होती है। माना जा रहा है कि यह लेख खुद ब्रेवरमैन पर भारी पड़ गया, जहां विपक्षी लेबर पार्टी और लोगों ने पुलिस पर दवाब बनाने को लेकर उनकी आलोचना की थी। ब्रेवरमैन के इस तरह पुलिस की आलोचना करने से सरकार की भी किरकिरी हुई है। विपक्षी दल ने सरकार का मजाक उड़ाया।
लोकतांत्रिक देश होने के नाते ब्रिटेन में भी फ्रीडम ऑफ स्पीच अर्थात् बोलने की आजादी पर काफी जोर दिया जाता है। इजरायल और हमास की लड़ाई में बेगुनाहों के मारे जाने को लेकर ब्रिटेन में प्रदर्शन हो रहे हैं। यहां फिलिस्तीन और इजरायल के समर्थक आपस में भिड़ भी चुके हैं। कानून-व्यवस्था संभालने का जिम्मा सुएला के हाथ में ही था। उन्होंने मैनेजमेंट स्किल्स दिखाने के लिए सारा ठीकरा पुलिस पर फोड़ दिया।
फिलिस्तीन के समर्थन में रैली के दौरान भीड़ ने हिंसक रूप लेते हुए पुलिस पर भी हमला कर दिया था। इसके बाद सुनक कैबिनेट के कई मंत्रियों और पार्टी मेंबर्स ने गृहमंत्री सुएला से जवाब मांगा तो उन्होंने इसे पुलिस की नाकामी बता दिया। आर्म्ड फोर्सेस मिनिस्टर जेम्स हेपे ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- होम सेक्रेटरी अखबार में आर्टिकल लिख रही हैं। अपनी ही पुलिस को निशाना बना रही हैं। उनके बयानों की वजह से हिंसक झड़पें हो रही हैं। इससे ब्रिटेन में तनाव भी बढ़ रहा है।
ब्रिटेन में ऋषि सुनक यह जाहिर करना चाहते हैं कि वह जरूरत पडी तो कडे कदम भी उठाएंगे । इसी संदर्भ में उनकी सरकार ने संसद में एक कानून पेश किया है, जिसमें 5 नए नियम बनाए गए हैं। नये कानून से ब्रिटेन में बसने, काम करने और स्टडी करने की चाह रखने वालों के लिए काफी परेशानी हो सकती है। नियमों को सख्त करके अगले साल आम चुनाव से पहले इमिग्रेशन पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
इसी महीने 4 दिसंबर को पेश किए बिल में विदेशी कामगारों की सैलरी के मानदंड को बढ़ाया गया है लेकिन एक परिवार के आश्रितों के रूप में शामिल होने वाले नियमों को सख्त भी बनाया गया है। अगर किसी को ब्रिटेन में वर्किंग वीजा लेना है तो उसकी बेसिक सैलरी 38,700 पाउंड (40 लाख रुपए करीब) होनी चाहिए जो कि पहले से 26,000 पाउंड (तकरीबन 27 लाख रुपए) थी। इसे इमिग्रेशन रोकने का एक ‘रेडिकल उपाए’ बताया जा रहा है। ऋषि सुनक का मानना है, ‘इमिग्रेशन अत्यधिक है। आज हम इसे कम करने के लिए निर्णायक एक्शन ले रहे हैं। ये उपाय इस बात की गारंटी देंगे कि इमिग्रेशन हमेशा यूके के सर्वोत्तम हितों की पूर्ति करे न सिर्फ अपना हित देखे। इसी प्रकार हेल्थ केयर वर्कर वीजा बनाया गया है। इसमें पहले ये नियम था कि जो भी वर्कर ब्रिटेन आते थे उनके डिपेंडेंट यानी आश्रितों को भी स्वास्थ्य और इलाज का लाभ मिलता था लेकिन नए कानून के आ जाने से ऐसा नहीं हो पाएगा। नए नियम के मुताबिक, वर्करों को आश्रितों को लाने की अनुमति ही नहीं दी जाएगी।कामगारों के लिए शॉर्टेज ऑक्यूपेशन लिस्ट बनाई गयी है। पहले यहां विदेश से काम करने आने वाले लोगों को सैलरी में न्यूनतम 20 प्रतिशत का डिस्काउंट मिलता था लेकिन अब इस नए बिल के बन जाने से लोगों को ये छूट नहीं मिलेगी। सरकार ने इसके लिए एक इमिग्रेशन सैलरी की लिस्ट भी बनाई है जिसे इमिग्रेशन एडवाइजरी कमेटी रिव्यू करेगी।
वेतन की सीमा में बढ़ोतरी या फैमली वीजा- पहले फैमली वीजा के साथ आने वाले लोगों की बेसिक सैलरी 18 हजार पाउंड के आसपास हुआ करती थी, लेकिन उसे बढ़ाकर 38,700 पाउंड किया गया है। ये कानून सिर्फ स्किल्ड वर्कर पर ही लागू हो रहा है। हाउस ऑफ कॉमन्स में ब्रिटेन के गृह सचिव जेम्स क्लेवरली ने कहा कि इस कानून का एकलौता उद्देश्य 3 लाख इमिग्रेशन को कम करना है। पीएम ऋषि सुनक ने ट्विट करते हुए इसे इमिग्रेशन रोकने का एक रेडिकल उपाय बताया है।
स्किल्ड वर्कर वीजा मेहनत-मजदूरी करने वालों के लिए खुशखबरी हो सकता है। पहले जहां स्किल्ड वर्करों की न्यूनतम सैलरी 26,200 पाउंड थी अब उसको बढ़ाकर 38,700 पाउंड कर दिया गया है। यह नियम ब्रिटेन के नागरिकों, जो अपने आश्रितों की देखभाल करते हैं, पर भी लागू होगा। वेतन की सीमा में बढ़ोतरी या फैमिली वीजा भी ऋषि सुनक की सरकार का कठोर फैसला बताया जा रहा है । पहले फैमिली वीजा के साथ आने वाले लोगों की बेसिक सैलरी 18 हजार पाउंड के आसपास हुआ करती थी, लेकिन उसे बढ़ाकर 38,700 पाउंड किया गया है। ये कानून सिर्फ स्किल्ड वर्कर पर ही लागू हो रहा है।
पोस्ट स्टडी वर्क वीजा या स्टूडेंट डिपेंडेंट वीजा भी ऋषि सुनक की सरकार का विशेष संभावित कदम माना जा
रहा है। इस पर अभी कोई कानून नहीं आया है, फिलहाल इसकी रिव्यू हो रही है। इसके रिव्यू के बाद लगभग 153,000 लोगों के वीजा पर असर पड़ सकता है। (हिफी)