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निर्वाचन आयोग के पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं: उद्धव ठाकरे

मुंबई। शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि निर्वाचन आयोग किसी पार्टी को कोई चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है, लेकिन उसके पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के दौरे के समय अमरावती जिले में संवाददाताओं से यह भी कहा कि शिवसेना नाम उनके दादा (केशव ठाकरे) ने दिया था और वह किसी को इसे हथियाने नहीं देंगे।
निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में शिवसेना नाम और उसका पार्टी चिह्न धनुष एवं बाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत गुट को आवंटित किया था। आयोग ने ठाकरे गुट को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और मशाल चुनाव चिह्न को बनाए रखने की अनुमति दी, जो उसे राज्य में विधानसभा उपचुनावों के समाप्त होने तक एक अंतरिम आदेश में दिया गया था।
शिंदे ने पिछले साल जुलाई में ठाकरे के खिलाफ बगावत कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया था और सरकार का गठन किया था। उद्धव ठाकरे ने सोमवार को कहा, निर्वाचन आयोग के पास किसी पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। वह किसी पार्टी को चुनाव चिह्न आवंटित कर सकता है। उन्होंने कहा, शिवसेना नाम मेरे दादा ने दिया था। आयोग नाम कैसे बदल सकता है? मैं किसी को पार्टी का नाम हथियाने नहीं दूंगा। देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार का मुकाबला करने के लिए कुछ विपक्षी दलों के एकजुट होने के प्रयासों संबंधी सवाल पर ठाकरे ने कहा, मैं इसे विपक्षी दलों की एकता नहीं कहूंगा, लेकिन हम सभी देशभक्त हैं और हम लोकतंत्र के लिए ऐसा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह अपने देश से प्रेम करने वाले लोगों की एकता है। ठाकरे ने यह भी कहा कि देश में (1975-77 में) आपातकाल लागू होने के बावजूद तत्कालीन सरकार ने आम चुनाव में विपक्षी दलों को प्रचार करने की अनुमति दी थी। उन्होंने कहा, दुर्गा भागवत, पी एल देशपांडे जैसे साहित्यकारों ने भी प्रचार किया और जनता पार्टी की सरकार बनी। मैं सोचता हूं कि क्या वर्तमान समय में देश में इतनी आजादी है।
उच्चतम न्यायालय नेकहा कि वह शिवसेना नाम और पार्टी का चिह्न धनुष और बाण शिंदे गुट को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग (ईसी) के फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को सुनवाई करेगा।
ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा है कि इस मामले पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है, क्योंकि यह आदेश 11 मई को शीर्ष अदालत की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले के मद्देनजर पूरी तरह अवैध है। याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करते हुए कहा गया है, इसके अलावा चुनाव निकट हैं और प्रतिवादी संख्या एक (शिंदे) पार्टी के नाम और उसके चिह्न का गैर कानूनी तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।

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