वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था में बाधायें

एक देश एक चुनाव के बारे में भारत सरकार की कार्यवाही चल रही है। सुझाव तो अच्छा है लेकिन इसको व्यवहार में लाना कठिन है। फिर भी इस बारे में विकल्प तलाशे जा रहे हैं। लोकसभा व विधानसभा चुनाव एक साथ किये जायें। साथ ही निकाय व पंचायत चुनाव भी हों। इससे समय व शक्ति की बचत होगी लेकिन इस सुझाव के कार्यान्वयन में कई कठिनाईयां है। इस सम्बन्ध में गठित कमेटी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं।
वन नेशन वन इलैक्शन’ कमेटी की बैठकें हो रही हैं। लाॅ कमीशन में एक रोडमैप तैयार किया है जिस पर चर्चा हो रही है। लाॅ कमीशन की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वन नेशन, वन इलैक्शन को देश में लागू करना है तो इसके लिए कानून व संविधान में संशोधन करना पड़ेगा। फिलहाल यह संभव नहीं है। इस वर्ष के अंत तक पांच विधानसभा चुनाव होने है। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होंगे। वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव पहले ही के तरीके से होगा।
देश में एक साथ चुनाव के लिए लाॅ कमीशन की राय महत्वपूर्ण है। कई कानूनी मुद्दे है जिन पर चर्चा कर वन नेशन, वन इलैक्शन व्यवस्था को लागू किया जा सकता है। कानूनी बाधाओं पर विधि विशेषज्ञ राय दे रहे हैं। उल्लेखनीय है कि विधि आयोग ने केन्द्रीय कानून मंत्रालय को एक ड्राट सौंपा है जिसमें लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने में सार्वजनिक बचत का उल्लेख किया गया है।
लोकसभा चुनाव के बाद ही व्यवस्था लागू की जा सकती है। संविधान में संशोधन के लिए लोकसभा व राज्यसभा में सत्तापक्ष को अच्छा बहुमत मिलना जरूरी है। विपक्षी दल सहमत हों तो बात बन सकती है। तब वर्ष 2029 में ही व्यवस्था लागू हो सकती है।
विधि आयोग की रिपोर्ट कहती है कि मौजूदा संविधान में यह व्यवस्था लागू करना संभव नही है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में कतिपय प्रावधानों में संशोधन जरूरी है। विधि आयोग का कहना है कि व्यवस्था लागू होने पर प्रशासनिक व्यवस्था व सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा। यह इसका सकारात्मक पक्ष है।
वर्तमान व्यवस्था में लोकसभा व विधानसभा चुनावों में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस पैरा मिलिट्रि बलों की टुकड़ियां तैनात कर चुनावी व्यवस्था को निर्विहन सम्पन्न कराने की कार्यवाही की जाती है क्योंकि राज्य पुलिस अकेले दम पर यह कार्य नहीं कर सकती। यदि देश में एक साथ चुनाव हुये तो सुरक्षा व्यवस्था प्रबन्ध में कठिनाई होगी। फोर्स की कमी है तो ऐसे में कमी को कैसे दूर किया जा सकता है? राज्य से बाहर विधानसभा चुनाव के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों को अन्य राज्यों को भेजा जाता है। तब ऐसे में चुनाव अधिकारियों व कर्मचारियों की कमी को कैसे दूर किया जा सकता है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि वन नेशन वन इलैक्शन के लिए ईवीएम, वीवीपेट की संख्या बढ़ाने की जरूरत होगी। यह ईवीएम मशीनों की संभावित क्षति व पब्लिक के भरोसे के लिए भी जरूरी है। इसके लिए वीवीपेट मशीनों के निर्माण के लिए समय की आवश्यकता है। इसके लिए कम से कम एक वर्ष का समय चाहिए।
चुनाव आयोग लाॅ कमीशन साथ विचार विमर्श कर यह विचार व्यक्त कर चुका है कि वोटिंग मशीन के निर्माण के सम्बन्ध में परिवर्तनों के बारे में व्यवस्था कार्यान्वयन के लिए एक वर्ष की लीड टाईम की जरूरत होगी। चुनाव आयोग ने अतिरिक्त 4 लाख वोटिंग मशीन की जरूरत बतायी है। इनके निर्माण में समय चाहिए।
चुनाव आयोग ने व्यवस्था पर अपनी असहमति नहीं व्यक्त की है। लेकिन संवैधानिक संशोधनों व ईवीएम मशीनों की उपलब्धता पर जोर दिया है। सेेमी कन्डक्टर की कमी वैश्विक समस्या है। जो ईवीएम, वीवीपेट मशीनों के निर्माण में बाधक है। इस मद में उपलब्ध बजट भी पर्याप्त है।
वन नेशन वन इलैक्शन की व्यवस्था के लिए अभी इंतजार करना होगा। इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करना होगा। (हिफी)
(बृजमोहन पन्त-हिफी फीचर)