राजनीति

चुनाव के बाद ओम बिरला बने स्पीकर

 

राजनीति की खींचतान मंे संसदीय परम्परा एक बार फिर शर्मसार हुई। लोकसभा अध्यक्ष पद पर चुनाव की नौबत आयी। सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है, इसलिए ओम बिरला का स्पीकर बनना तय माना जा रहा था लेकिन यह चयन निर्विरोध होता तो बेहतर था। कहने के लिए सरकार की तरफ से पहल की गयी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को यह दायित्व सौंपा गया कि ओम बिरला के पक्ष में माहौल बनवाएं। विपक्ष की तरफ से डिप्टी स्पीकर की मांग अनुचित नहीं कही जाएगी लेकिन गठबंधन की राजनीति के सारे नियम कायदे ही गड्ड-मड्ड कर दिये हैं। कांग्रेस ने आठ बार के सांसद के. सुरेश को मैदान में उतार दिया। भाजपा की तरफ से भी ओम बिरला के अलावा भर्तृहरि महताब, राधा मोहन सिंह और डी. पुरंदेश्वरी के नाम स्पीकर पद के लिए आगे बढ़ाये गये थे लेकिन बाद मंे पूर्व के अनुभवी स्पीकर ओम बिरला पर ही सहमति बनी।

भाजपा सांसद ओम बिरला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिये गए। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पीएम मोदी ने सदन में लोकसभा स्पीकर के लिए ओम बिरला के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसका राजनाथ सिंह और ललन सिंह ने समर्थन किया। जिसके बाद ध्वनिमत से ओम बिरला को स्पीकर चुन लिया गया। इस तरह 2024 लोकसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव का गवाह बना जो 1976 के बाद इस तरह का पहला मौका है। कांग्रेस सदस्य कोडिकुनिल सुरेश को एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला के खिलाफ विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया था। स्वतंत्र भारत में लोकसभा स्पीकर पद के लिए केवल तीन बार 1952, 1967 और 1976 में चुनाव हुए। वर्ष 1952 में कांग्रेस सदस्य जी वी मावलंकर को लोकसभा स्पीकर के रूप में चुना गया था। लोकसभा स्पीकर पद पर चयन को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के बीच सहमति नहीं बन पाई, जिस वजह से चुनाव की नौबत आ गई। केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार एनडीए सरकार के गठन के बाद सरकार और विपक्ष के बीच यह पहला शक्ति प्रदर्शन था। इसलिए बीजेपी के रणनीतिकार अपने उम्मीदवार ओम बिरला को ज्यादा से ज्यादा सांसदों के समर्थन के साथ बड़ी जीत दिलवाने के मिशन में जुट गये थे। स्पीकर चुने जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पीकर ओम बिरला की सीट पर आए और उन्हें बधाई दी। ये परंपरा रही है कि सदन के नेता यानि प्रधानमंत्री और नेता विपक्ष, लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुने गए सांसद को उनकी सीट से लेकर अध्यक्ष की कुर्सी तक जाते हैं। सांसद ओम बिरला को जब अध्यक्ष चुना गया, तो इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और नेता विपक्ष राहुल गांधी उनकी सीट तक गए। इस दौरान पीएम मोदी और राहुल गांधी ने हाथ मिलाया। यह एक ऐतिहासिक पल था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने पर कहा कि हमारा विश्वास है कि आप (ओम बिरला) आने वाले पांच साल तक हम सभी का मार्गदर्शन करते रहेंगे। इससे पूर्व सत्ता पक्ष और विपक्ष में शक्ति प्रदर्शन का खेल भी चला था।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, मल्लिकार्जुन खरगे के पास केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का फोन आया। राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी से अपने स्पीकर के लिए समर्थन मांगा, विपक्ष ने साफ कहा है कि हम स्पीकर को समर्थन देंगे, लेकिन विपक्ष को डिप्टी स्पीकर मिलना, राजनाथ सिंह जी ने कल शाम कहा था कि वे खरगे जी कॉल रिटर्न करेंगे अभी तक खरगे जी के पास कोई जवाब नहीं आया है। पीएम मोदी कह रहे हैं रचनात्मक सहयोग हो फिर हमारे नेता का अपमान किया जा रहा है। परंपरा है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष को होना चाहिए विपक्ष ने कहा है अगर परंपरा को रखा जाएगा तो हम पूरा समर्थन देंगे। स्पीकर पद को लेकर सहमति नहीं बनी है, इसलिए अब विपक्ष की तरफ से भी उम्मीदवार उतारा गया। विपक्ष की तरफ से के सुरेश ने नामांकन दाखिल किया। दरअसल विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर पद की मांग की थी, जिस पर सहमति नहीं बन सकीं। इससे पहले सरकार ने स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के नाम पर आम राय बनाने की पहल की। सूत्रों के मुताबिक इसी को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के प्रमुख नेताओं से बात की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी से भी इस पर चर्चा हुई। सूत्रों के मुताबिक, पहले एनडीए की तरफ से स्पीकर के लिए चार नामों की चर्चा चल रही थी। ये चार नाम थे- ओम बिरला, भर्तृहरि महताब, राधा मोहन सिंह और डी पुरंदेश्वर, लेकिन ओम बिरला जब संसद भवन में पीएम मोदी से मिलने पहुंचे तो इनमें से कई नाम धुंधले होने लगे और तस्वीर लगभग साफ हो गई। कयास लगाए जाने लगे कि लोकसभा में एक बार फिर से ओम बिरला का दबदबा होगा। हुआ भी कुछ ऐसा ही। पीएम मोदी से मुलाकात के महज कुछ ही समय के भीतर ही ये खबर सामने आ गई कि ओम बिरला एक बार फिर से लोकसभा अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। वहीं विपक्ष चाहता था कि स्पीकर के चेहरे पर उनके साथ भी बातचीत की जाएं। सांसद के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के कुछ दलों को लगता है कि अगर सरकार उनके साथ स्पीकर के नाम को लेकर चर्चा नहीं करती है तो उनको चुनाव लड़ना चाहिए। हालांकि फिर खबर आई कि विपक्ष स्पीकर चुनाव से पीछे हट गया है। प्रेमचंद्रन का कहना था कि लोकसभा में विपक्ष के 234 सांसद हैं, इसीलिए स्पीकर चुनने के लिए विपक्ष के साथ बातचीत जरूरी है।

ओम बिरला 17वीं लोकसभा में भी लोकसभा के स्पीकर रह चुके हैं। उन्होंने राजस्थान के कोटा लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार प्रह्लाद गुंजन को 41974 वोटों से शिकस्त दी थी। कोचिंग का गढ़ माने जाने वाले कोटा के चुनावी मैदान में बीजेपी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को उतारा था। वह कोटा बूंदी सीट से लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं। इस चुनाव से पहले भर्तृहरि महताब ओडिशा से बीजेपी के सांसद को 18वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। यह एक अस्थायी पद होता है। जिसके तहत उन्होंने नए सदस्यों को शपथ दिलवाई थी। उनका नाम भी स्पीकर की रेस में चल रहा था। हालांकि इस बारे में उनकी तरफ से कोई भी बयान सामने नहीं आया। भर्तृहरि महताब को जब प्रोटेम स्पीकर बनाया गया, तो विपक्ष ने इस कदम भी की जमकर आलोचना की। उस समय भी प्रोटेम स्पीकर के लिए विपक्ष ने के. सुरेश का नाम सुझाया था।

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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