लेखक की कलम

‘आप’ के लिए चंडीगढ़ का अपशकुन

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली विधानसभा चुनाव में चौका लगाने का भरपूर प्रयास कर रही है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दिल्ली मंे वापसी के लिए साम, दाम, दण्ड और भेद सभी शस्त्र चला रही है। इस चुनाव में कांग्रेस ने भी पूरा दमखम लगा रखा है और उसके निशाने पर मुख्य रूप से केजरीवाल ही हैं। मतदान से पहले के हालात तो यही बताते हैं। केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस पर भाजपा से फंड लेने तक का आरोप लगा रही है। इस बीच चंडीगढ़ मंे मेयर के चुनाव ने केजरीवाल की पार्टी के लिए अपशकुन कर दिया है। वहां कांग्रेस और आप ने मिलकर मेयर का चुनाव लड़ा। आपके पास 13 पार्षद हैं और कांग्रेस के पास 6 पार्षद। आश्चर्य यह कि मेयर के चुनाव मंे आप और कांग्रेस को कुल 17 वोट मिल पाये जबकि भाजपा को 19 वोट मिले। इस प्रकार भाजपा प्रत्याशी हरप्रीत कौर बबला को चंडीगढ़ का मेयर निर्वाचित घोषित किया गया है। पिछले साल 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आप के प्रत्याशी कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया गया था क्योंकि मतदान अधिकारी ने कुछ मतपत्रों मंे स्वयं निशान लगाकर अवैध कर दिया था। अब कुलदीप कुमार फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण जाएंगे। फिलहाल, कांग्रेस पार्षदों की क्रास वोटिंग से केजरीवाल का मेयर पराजित हो गया है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जीत दर्ज की है। जीत के साथ ही बीजेपी की हरप्रीत कौर बबला मेयर चुनी गई हैं। सूत्रों के अनुसार इस मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग भी की है। इस चुनाव में बीजेपी को कुल 19 वोट मिले हैं जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को कुल 17 वोट मिले। कुल 36 वोट पड़े थे। माना जा रहा है कि तीन पार्षदों ने क्रॉस वोट किया है।
बीजेपी के कुल 16 पार्षद हैं, ऐसे में आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की है। अगर बात चंडीगढ़ नगर निगम में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों की संख्या की करें तो ये 13 और 6 है। बताया जा रहा है कि वोटिंग के दौरान सदन में कुल 35 पार्षद मौजूद थे।
कुछ दिन पहले ही चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जय श्री ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि इस बार हम चंडीगढ़ मेयर पद के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे। कोर्ट ने 30 जनवरी को होने वाले मेयर चुनाव के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षक की नियुक्ति किया था और इच्छा जताई थी कि इस बार चुनाव निष्पक्ष हों। चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके कहा था कि चुनाव की तारीख 20 फरवरी होनी चाहिए। उन्होंने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 20 फरवरी को ही विजेता घोषित किया था। इसलिए वे एक साल के कार्यकाल के हकदार हैं। खास बात ये है कि पिछले साल 20 फरवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया था। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मतों की गणना करने के आदेश दिए थे। कोर्ट 8 अमान्य करार बैलेट मान्य करार दिए गए थे।बैलेट पेपर देखने और वीडियो देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह को फटकार लगाते हुए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बार हम चंडीगढ़ मेयर पद के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे। कोर्ट ने 30 जनवरी को होने वाले मेयर चुनाव के लिए स्वतंत्र पर्यवेक्षक की नियुक्ति की इच्छा जताई। चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और नगर आयुक्त को नोटिस जारी किया गया।
हालांकि, अदालत ने चुनाव की तारीख 30 जनवरी से बदलने को इंकार किया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम मूल चुनाव की तारीख के अनुसार चलेंगे, जिसे रद्द नहीं किया गया था। केवल नतीजों को रद्द किया गया था। चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके कहा है कि चुनाव की तारीख 20 फरवरी होनी चाहिए। उन्होंने दलील दी है कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 20 फरवरी को ही विजेता घोषित किया था।
दरअसल, पिछले साल 20 फरवरी को चंडीगढ़ मेयर चुनाव में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया था। सुप्रीम कोर्ट ने फिर से मतों की गणना करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने 8 अमान्य करार बैलेट मान्य करार दिए गए थे। बैलेट पेपर देखने और वीडियो देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रिटर्निंग अफसर अनिल मसीह को फटकार लगाते हुए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। इसीलिए चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जयश्री ठाकुर को स्वतंत्र पर्यवेक्षक नियुक्त किया। कोर्ट ने कहा कि इस बार हम चंडीगढ़ मेयर पद के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करेंगे।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका लगा है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी की पार्षद गुरबख्श रावत भाजपा में शामिल हो गई हैं, जिससे कांग्रेस पार्टी को बहुत ही बड़ा नुकसान हुआ है। देखा जाए तो 7 पार्षद थे कांग्रेस के अब 6 रह गए। वहीं बीजेपी के पार्षदों की संख्या अब बढ़कर 16 हो गई है। इस चुनाव को दिल्ली विधानसभा के चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है।
चंडीगढ़ भारत का एक संघ राज्यक्षेत्र है, जो दो भारतीय राज्यों, पंजाब और हरियाणा की राजधानी भी है। इसके नाम का अर्थ है चण्डी का किला। यह हिन्दू देवी दुर्गा के एक रूप चण्डिका या चण्डी के एक मन्दिर के कारण चंडीगढ़ कहा जाता है। ‘द सिटी ब्यूटीफुल’ के नाम से प्रसिद्ध चण्डीगढ़ शहर का ऐतिहासिक अतीत रहा है। जिस समतल क्षेत्र में आज का आधुनिक शहर बसा है वह पुराने समय में दलदल युक्त एक बड़ी झील हुआ करती थी। इस स्थान पर प्राप्त हुए जीवाश्म यहां अनुकूल वातावरण के कारण बड़े स्तर पर जलचर एवं जलथलचर जीवों के होने का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। यह क्षेत्र लगभग 8000 वर्ष पूर्व की हड़प्पा सभ्यता के लिए भी जाना जाता है। मध्यकाल से लेकर आधुनिक काल तक यह क्षेत्र बृहत् एवं समृद्ध पंजाब प्रांत का हिस्सा रहा, जिसे वर्ष 1947 में देश के बंटवारे के समय पूर्व एवं पश्चिम पंजाब में विभाजित किया गया था। यह शहर न केवल पूर्व पंजाब की राजधानी के रूप में बल्कि पश्चिम पंजाब से निकाले गए हजारों शरणार्थियों को बसाने के लिए बनाया गया।
मार्च 1948 में पंजाब सरकार ने भारत सरकार के परामर्श से शिवालिक की पहाड़ियों की तलहटी के क्षेत्र को नई राजधानी के रूप में अनुमोदित किया। जिस स्थान पर यह शहर बसा है वह स्थान अंबाला शहर के वर्ष 1892-93 के राजपत्र के अनुसार तत्कालीन अंबाला जिला का भाग था। शहर की नींव वर्ष 1952 में रखी गई। तदंतर, दिनांक 1 नवंबर, 1966 को पंजाब, हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश में राज्य के पुनर्गठित होने पर शहर को पंजाब व हरियाणा दोनों ही राज्यों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त हुआ, जबकि शहर को केन्द्र सरकार के अधीन एक संघशासित प्रदेश घोषित किया गया। (हिफी)

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