लेखक की कलम

तेजस्वी के लिए भी दिल्ली सबक

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
इसी साल बिहार विधानसभा के भी चुनाव होने हैं। वहां तेजस्वी यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) केा अगर भाजपा और जद(यू) से सत्ता छीननी है तो दिल्ली के चुनाव से सबक लेना होगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भूमिका से विपक्षी दलों के गठबंधन-इंडिया के घटक दलों के तेवर ही बदल गये थे। पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी, उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव, महाराष्ट्र से उद्धव ठाकरे और बिहार से तेजस्वी यादव भी अरविन्द केजरीवाल का यशगान करने लगे थे। यह सच है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की वजह से ही दो दर्जन से ज्यादा सीटें आम आदमी पार्टी हार गयी है। केजरीवाल और उनके साथी कांग्रेस को इसके लिए कोस भी रहे हैं लेकिन यह नहीं कहते कि हरियाणा मंे कांग्रेस की पराजय का कारण आम आदमी पार्टी बनी थी। अब एक कड़वी सच्चाई यह है कि विपक्षी दल कांग्रेस को दूर रखकर भाजपा से लड़ नहीं सकते। इसलिए बिहार मंे तेजस्वी यादव को अपनी धारणा कांग्रेस के प्रति बदलनी पड़ेगी। हालंाकि कांग्रेस ने जिस तरह अभी से वहां सीटों की संख्या घोषित कर दी है, उस पर पुनर्विचार करे। बिहार मंे कांग्रेस के नेता भी असहज महसूस कर रहे हैं। कटिहार से सांसद तारिक अनवर ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस को अपनी रणनीति स्पष्ट करनी चाहिए। हालांकि वहां के कांग्रेस नेता यह भी कह रहे हैं कि कांग्रेस के साथ रहकर विचारधारा पर राजनीति हो सकती है लेकिन कमजोर करने का प्रयास नहीं होना चाहिए।
बिहार में इस साल के आखिर में चुनाव होना है। दिल्ली चुनाव से पहले तेजस्वी लगातार कांग्रेस को आंख दिखा रहे थे। हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है। इसकी वजह से राजद कांग्रेस को पहले की तरह भाव नहीं दे रही है। राजद कांग्रेस को इग्नोर कर रही थी। राजद चाहती है कि कांग्रेस सीट के मोलभाव की स्थिति में नहीं रहे। इसलिए राजद ने तो कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने की भी चुनौती दे डाली थी। मगर दिल्ली चुनाव के नतीजों ने राजद को अब सावधान कर दिया है। राजद दिल्ली में देख चुकी है कांग्रेस को अलग रखने का नतीजा। ऐसे में अब कांग्रेस को राजद आंख नहीं दिखा पाएगी। सीट के मोलभाव में कांग्रेस की आवाज सुनी जाएगी। दिल्ली के नतीजों से राजद यह समझ गई है कि कांग्रेस भले ही जीत का माध्यम बने न बने मगर हार का कारण तो जरूर बन सकती है। नई दिल्ली, जंगपुरा, त्रिलोकपुरी, ग्रैटर कैलाश, छतरपुर, मालवीय नगर, मादीपुर, राजेंद्र नगर, संगम विहार, नांगलोई, तिमारपुर, बिजवासन और महरौली की सीटों पर कांग्रेस को मिले वोट भाजपा की जीत के अंतर से अधिक हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ चुनाव लड़ते तो इन सीटों पर नतीजे कुछ अलग होते। इसका इशारा खुद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर तंज कसा था। और लड़ो आपस में। उद्धव सेना के संजय राउत ने भी कुछ ऐसा ही इशारा किया। संजय राउत ने कहा कि आप और कांग्रेस की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बीजेपी है। दोनों को साथ आना चाहिए था। अगर दोनों साथ आए होते तो बीजेपी की हार गिनती के पहले घंटे में ही तय हो जाती। अब दूसरा पक्ष देखें। इंडिया गंठबंधन में कांग्रेस वजूद ही खतरे में था। अरविंद केजरीवाल ने तो इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को अलग करने की डिमांड कर दी थी। ममता के तेवर भी अलग थे। खुद अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव भी कांग्रेस की कप्तानी से खुश नहीं थे। मगर दिल्ली चुनाव के नतीजों ने परिस्थितियां थोड़ी जरूर बदली है। अब कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करने की बात शायद ही होगी। कारण कि अरविंद केजरीवाल खुद अब कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रहे। अब सबको समझ में जरूर आएगा कि कांग्रेस को साइडलाइन करने का मतलब है अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब साइड इफेक्ट भी दिखने लगे हैं। खास तौर पर बिहार की राजनीति में इस परिणाम के बाद कांग्रेस की रणनीति को लेकर सवाल किए जाने लगे हैं। अब बिहार कांग्रेस के नेता भी अपनी पार्टी से स्पष्टता चाहते हैं कि पार्टी किस रास्ते चलना चाहती है। कांग्रेस के नेता तारिक अनवर ने इसकी पहल करते हुए सीधे तौर पर सवाल उठा दिया है और उन्होंने कांग्रेस को अपनी राजनीतिक रणनीति स्पष्ट करने की जरूरत बताई है। कटिहार के सांसद तारिक अनवर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाते हुए यह पूछा है कि कांग्रेस पार्टी गठबंधन की राजनीति करेगी या अकेले चलेगी? जाहिर तौर पर तारिक अनवार जैसे नेता खुले तौर पर कभी भी इस तरह के सवाल नहीं उठाते हैं लेकिन, अब जब उन्होंने दिल्ली चुनाव के नतीजों पर पार्टी की रणनीति को लेकर सवाल उठाए हैं तो जाहिर तौर पर इसके साइड इफेक्ट बिहार कांग्रेस के भीतर भी दिखने शुरू होंगे। दिल्ली से पटना पहुंचे तेजस्वी यादव ने दिल्ली चुनाव परिणाम पर अपनी प्रतिक्रिया दी और मतदाताओं के फैसले का स्वागत किया। हालांकि, तेजस्वी यादव ने बीजेपी को नसीहत दे डाली है कि दिल्ली में जो उन्होंने वादे किये हैं उसे पूरा करके दिखाएं। जनता ने जो फैसला दिया है उस फैसले का हम स्वागत करते हैं क्योंकि लोकतंत्र में जनता का फैसला सर्वोपरि है। दिल्ली में जीत के बाद भाजपा नेताओं के इस बयान पर की दिल्ली झांकी है, बिहार अभी बाकी है पर बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि यह बिहार है, बिहार को समझाना पड़ेगा और बिहार को समझना इतना आसान नहीं है। बिहार में आने के बाद उन्हें समझ में आएगा कि यहां उन्हें क्या करना होगा। वहीं, दिल्ली में बीजेपी की जीत पर प्रदेश कांग्रेस वरिष्ठ नेता प्रेमचंद मिश्रा ने बिहार में सहयोगी दलों को सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल गठबंधन का मतलब समझे, गठबंधन के सहयोगी दल भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए अपने उम्मीदवार देते हैं। दिल्ली में जो हाल हुआ उसके पूरे तौर पर दोषी अरविंद केजरीवाल हैं। अरविंद केजरीवाल को अपनी सीमा का ज्ञान होना बहुत जरूरी था। कांग्रेस पार्टी को नजरअंदाज कर कोई गठबंधन नहीं चल सकता है।
कांग्रेस नेता ने कहा, जो सेकुलर पार्टी खुद को कहती है उन्हें कांग्रेस के गठबंधन में रहना है। कांग्रेस के साथ रहकर विचारधारा पर राजनीति हो सकती है कमजोर करके नहीं। (हिफी)

 

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