महाकुंभ में छा गये आइआइटीयन बाबा अभय सिंह

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
महाकुंभ मेले के दौरान एक आइआइटीयन बाबा की कुंभ क्षेत्र में मौजूदगी ने करोड़ों लोगों में कौतूहल जगा दिया है। हजारों करोड़ रुपये खर्च वाले इस अद्वितीय विलक्षण अनुपम आयोजन में एक मलंग युवा आइआइटीयन बाबा मीडिया और यूट्यूबर्स के सामने क्या आए तमाम महफिल लूट ले गए। हालात यह है कि इस युवा बाबा ने बीते एक सप्ताह में मीडिया सोशल मीडिया पर अच्छे अच्छे सैलीब्रिटीज को पीछे कर देश विदेश में चर्चा हासिल की है। बीते एक हफ्ते में आइआइटीयन अभय सिंह को किसी भी बड़ी राजनीतिक हस्ती कुंभ में आने वाले अखाड़ा प्रमुखों चर्चित रहने वाले मठाधीशों अध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद, कवि कुमार विश्वास, बागेश्वर बाबा योग रामदेव सभी को पछाड़ कर मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सबसे अधिक सर्च हासिल की है। करोड़ों लोगों ने उनके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की है।
अभय सिंह के तमाम विचार मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन पर गौर करने की जरूरत है। इस बाबा को सिरे से नकारा नहीं जा सकता है। कभी बचपन का नरेन्द्र भी ऐसा ही परिव्राजक था जो बाद में रामकृष्ण गुरु के सानिध्य में आकर स्वामी विवेकानंद बने और दुनिया को अध्यात्म से जोड़ने में बड़ी भूमिका अदा कर गए। आइआइटीयन अभय सिंह भी एक मलंग परिव्राजक है उनके विचार में नवीनता है दुनिया को विज्ञान के साथ अध्यात्म के गठजोड़ का एक अनूठा नजरिया है। वह आने वाले समय में दुनिया को कुछ नया नजरिया देने में समर्थ हो सकता है।
अभयसिंह जूना अखाड़े से जुड़े एक बाबा सोमेश्वर पुरी के साथ कुंभ पहुंचे हालांकि उन्होंने साफ कहा कि सोमेश्वर के साथ आए हैं लेकिन सोमेश्वर उनके गुरू नहीं है।यहां लगातार मीडिया की नजर में आते ही जबरदस्त तेजी से वायरल होने पर सोशल मीडिया पर ‘आईआईटियन बाबा’ के नाम से मशहूर अभय सिंह को हर कोई खोजने और उनके बारे में जानने के लिए उतावला होने लगा। हालत यह बन गयी कि तमाम राष्ट्रीय चैनल आइआइटीयन अभय सिंह पर रिपोर्ट्स की लंबी लंबी श्रृंखला चलाने लगे। इतना ही नहीं कई कई घंटे तक रिपोर्टरों को अभय सिंह से बात करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखा गया। इससे सबसे पहला तनाव अभय सिंह और महंत सोमेश्वर पुरी के बीच पैदा हुआ। अभय की मीडिया कवरेज से उनको साथ लाए महंत सोमेश्वर ही पचा नहीं सके और अभय पर कथित तौर पर अपमान करने का आरोप लगा। इसे मुद्दा बना कर साधुओं के सबसे बड़े संप्रदायों में से एक जूना अखाड़े से अभय को निष्कासित कर दिया गया है। आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियर रह चुके अभय सिंह महाकुंभ में एक महत्वपूर्ण आकर्षण बने हुए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा, ‘अभय सिंह का कृत्य गुरु-शिष्य परंपरा और संन्यास के सिद्धांतों के खिलाफ है। अपने गुरु का अनादर करना सनातन धर्म और अखाड़े के प्रति अनादर दिखाता है। जूना अखाड़े में अनुशासन का बहुत ज्यादा महत्व है और कोई भी इससे ऊपर नहीं है। न मैं और न ही सिंह जैसे कोई और।’ उन्होंने आगे कहा कि अखाड़े के हर सदस्य को सख्त अनुशासन का पालन करना चाहिए। अभय सिंह ने अपने गुरु के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करके इन नियमों का उल्लंघन किया। हालांकि, अभय सिंह ने इन दावों को पूरी तरह से निराधार बताया है।आईआईटियन बाबा’ ने एक समाचार चैनल से बात करते हुए अखाड़े के संतों पर उनके बारे में अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया। इंस्टाग्राम पर तीन लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाले अभयसिंह ने कहा, ‘उन्हें लगता है कि मैं मशहूर हो गया हूं और मैं उनके बारे में कुछ उजागर कर सकता हूं, इसलिए वे दावा कर रहे हैं कि मैं ध्यान के लिए चला गया हूं। वे लोग बकवास कर रहे हैं।’
महाकुंभ 2025 शुरू होने के साथ ही आईआईटियन बाबा सुर्खियों में छा गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आईआईटी वाले बाबा का असली नाम अभय सिंह है। उन्होंने आईआईटी मुंबई से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद कनाडा में 36 लाख रुपये के पैकेज वाली नौकरी बीच में छोड़ दी। फिर धर्म और संन्यास की राह पर चल पड़े। आईआईटियन बाबा अभय सिंह हरियाणा के रहने वाले हैं। इनके पिता कर्ण सिंह वकील हैं। हाल में उन्होंने एक वीडियो में भावुक होकर बेटे को घर वापस आने के लिए भी कहा।
जूना अखाड़े के सदस्यों का आरोप है कि अभय सिंह ने अपने गुरु महंत सोमेश्वर पुरी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया। जूना अखाड़े के एक सदस्य ने कहा, “वह हमें बदनाम कर रहे थे। वह एक साधु नहीं, बल्कि एक आवारा व्यक्ति थे।” अखाड़े ने यह भी साफ किया कि अभय सिंह किसी के शिष्य नहीं थे और अखाड़े से उनका कोई औपचारिक संबंध नहीं था।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अभय सिंह ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि जूना अखाड़े के संत उनसे ईर्ष्या करते हैं, क्योंकि उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है। बाबा ने कहा, वे मेरे खिलाफ अफवाहें फैला रहे हैं। उन्हें डर है कि मैं उनके बारे में कुछ उजागर कर सकता हूं।
बाबा अभय सिंह ने अखाड़े के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उन्हें बदनाम किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर तीन लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले अभय सिंह ने दावा किया कि वह गुप्त ध्यान के लिए गए थे।
न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अभय सिंह ने अपने बचपन के संघर्षों और पारिवारिक समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि उनके माता-पिता के बीच अक्सर झगड़े होते थे, बचपन में हुए घरेलू हिंसा की घटनाओं ने मुझ पर बहुत गहरा असर डाला। उन्होंने बताया कि स्कूल के दिनों में मैं शाम 5 या 6 बजे घर आता था और उनके झगड़ों से बचने के लिए सीधे सो जाता था। मैं आधी रात को उठता था और जब सब कुछ शांत होता था तो अपना दरवाजा बंद करके मैं पढ़ाई करता था।
उन्होंने आगे बताया कि बचपन में अपने माता-पिता को लड़ते हुए देखकर उन्हें बेबसी महसूस होती थी। उन्होंने कहा कि बचपन में समझ नहीं पाता था कि क्या हो रहा है और कैसे इसपे रिएक्ट करें। शादी न करने के सवाल पर उन्होंने कहा, मैंने सोचा कि विवाह करके बचपन में जो लड़ाई-झगड़े देखे थे, उनका सामना क्यों करूं? अकेले रहना और शांतिपूर्ण जीवन जीना बेहतर है।
इंजीनियर बाबा का कहना है कि विज्ञान और अध्यात्म एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। बाबा के मुताबिक, विज्ञान व्यक्ति को भौतिक दुनिया को समझने में मदद करता है, लेकिन इसका गहन अध्ययन अंततः अध्यात्म की ओर ले जाता है।
अभय सिंह के तमाम प्रकरण पर नजर डालें तो इतना साफ पता चलता है कि अभय सिंह सांसारिक जीवन से वैराग्य की ओर कदम बढ़ा चुका एक प्रतिभाशाली युवा जिज्ञासु है जो जीवन के सत्य की खोज में अध्यात्म की
राह पर चल चुके हैं। आने वाले
समय में अभय सिंह कोई बड़ी लकीर खींचने में कामयाब होंगे उनकी शैक्षिक योग्यता की इस कार्य में बड़ी भूमिका होगी। होनहार विरवान के होत है चिकने पात। (हिफी)