लेखक की कलम

नेता प्रतिपक्ष की अपरिपक्वता

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
प्रजातंत्र मंे सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष का भी बहुत महत्व होता है और उसके उतने ही महती दायित्व भी होते हैं। संसद में मौजूदा समय मंे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। उनको अपने इस पद की गरिमा को समझना होगा। सरकार के कार्यों की आलोचना करना उनका अधिकार है लेकिन यह आलोचना तथ्यपूर्ण होनी चाहिए। गत 3 फरवरी को लोकसभा मंे नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने देश के प्रधानमंत्री को लेकर जो बयान दिया वह निश्चित रूप से शर्मनाक है। इस बयान को लेकर राहुल गांधी के पास कोई प्रमाण अगर है तो उसे पेश करना चाहिए। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इसीलिए राहुल गांधी के बयान पर कड़ा एतराज जताया है। राहुल गांधी ने 3 फरवरी को लोकसभा में कहा था कि अगर हमारे देश के पास अच्छा मैन्यू फैक्चरिंग सिस्टम होता तो विदेश मंत्री को इतनी बार जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति की ताजपोशी में पीएम (मोदी) को शामिल कराने के लिए अनुरोध नहीं करना पड़ता। राहुल ने कहा कि हमारे विदेश मंत्री को इतनी मेहनत न करनी पड़ती कि वो अमेरिका जाते और कहते कि प्लीज हमारे प्रधानमंत्री को कॉल करें। राहुल गांधी के इस बयान का सीधा अर्थ यही है कि प्रधानमंत्री मोदी को अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उनके ही अनुरोध पर निमंत्रण दिया है। राहुल के इस बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी है। इसी प्रकार राहुल ने मोहन भागवत का नाम लिया जो संसद की परम्परा के विरुद्ध है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद संभालने के बाद पीएम मोदी से बात की। ट्रंप ने यह भी कहा कि पीएम मोदी जल्द ही अमेरिका आएंगे। 31 जनवरी को विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि भारत और अमेरिका वैश्विक व्यापार रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा को लेकर काम कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यात्रा की तारीखों को लेकर काम चल रहा है और समय आने पर इसकी घोषणा की जाएगी। अमेरिका के राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 20 जनवरी को हुआ था। डोनाल्ड ट्रंप 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं। इस दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर अमेरिका पहुंचे थे। खास बात थी कि वह सबसे आगे की पंक्ति में बैठे थे। वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके बारे में पूछे जाने पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि पीएम मोदी के विशेष दूत के साथ स्वाभाविक रूप से बहुत अच्छा व्यवहार किया जाता है। डॉ. जयशंकर पीएम मोदी के लिए एक पत्र भी ले गए थे।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 3 फरवरी को लोकसभा में बोलते हुए एक ऐसा बयान दे दिया, जिससे हंगामा मच गया। राहुल गांधी ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में क्यों आमंत्रित नहीं किया गया था? राहुल गांधी ने दावा किया कि विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कई बार अमेरिका की यात्रा की, ताकि वह अमेरिका को पीएम मोदी को आमंत्रित करने के लिए मना सकें। राहुल गांधी ने कहा कि अगर भारत में एक मजबूत व्यवस्था होती, हम इस टेक्नोलॉजी पर काम करते तो अमेरिका के राष्ट्रपति खुद भारत को निमंत्रण देने के लिए आते। उनका यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से जुड़ा था। लोकसभा में राहुल गांधी के यह कहते ही केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू खड़े हो गए और राहुल गांधी के बयान का विरोध किया। रिजिजू ने इसे अप्रमाणित बताते हुए आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘विपक्ष के नेता इतना गंभीर, अप्रमाणित बयान नहीं दे सकते। यह दो देशों के बीच संबंधों से जुड़ा है और वह हमारे देश के पीएम के निमंत्रण के बारे एक असत्यापित बयान दे रहे हैं।’ इसके बाद राहुल गांधी ने रिजिजू की आपत्ति का जवाब देते हुए कहा, ‘मैं आपकी मानसिक शांति में खलल डालने के लिए माफी मांगता हूं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत थी। दोनों नेताओं ने पश्चिम एशिया और यूक्रेन की स्थिति सहित वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और वैश्विक शांति, समृद्धि और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी और ट्रंप आगे भी संपर्क में बने रहने और जल्द ही पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख पर मिलने पर सहमत हुए। पीएम मोदी ने इसके बाद सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘अपने प्रिय मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात कर के बहुत खुशी हुई। उन्हें उनके ऐतिहासिक दूसरे कार्यकाल के लिए बधाई दी। हम पारस्परिक रूप से लाभकारी और भरोसेमंद साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपने लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।’ प्रधानमंत्री ने इससे पहले पिछले साल 7 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव जीतने के तुरंत बाद ट्रंप से बात की थी। इस दौरान ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें एक शानदार व्यक्ति बताया और कहा कि पूरी दुनिया उनसे प्यार करती है। 20 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर फिर बधाई दी थी। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को मजबूत करने और दुनिया के बेहतर भविष्य को आकार देने में सहयोग करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने की अपनी उत्सुकता व्यक्त की थी।
यही बात राहुल नहीं समझ पाए। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कुछ ऐसा बोला कि सत्ता पक्ष ने उन्हें घेर लिया। दरअसल, राहुल ने अपने भाषण में कहा कि देश के विदेश मंत्री अमेरिका जाते हैं और वहां आग्रह करते हैं कि हमारे पीएम को बुलाया जाए। राहुल के इस बयान के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू जवाब देने के लिए उठे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को बिना किसी सबूत के ऐसे आरोप नहीं लगाने चाहिए। ये दो देशों का मुद्दा है। ये विदेश नीति का मामला है। रिजिजू ने कहा कि वो विपक्ष के नेता हैं। उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए। उसके बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रपति का अभिभाषण पर सवाल उठाते हुए कहा कि मैंने राष्ट्रपति का अभिभाषण हमेशा एक ही किस्म का सुना है। इनके द्वारा किए गए कामों की एक ही सूची है। इस सरकार ने लगभग 50-100 काम ही किए होंगे, मुझे लगता है कि राष्ट्रपति का अभिभाषण ऐसा नहीं होना चाहिए था जैसा दिया गया है।
इसी क्रम में राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के स्वतंत्रता वाले बयान की कड़ी निंदा की। राहुल ने बयान को राजद्रोह के समान बताया। राहुल गांधी ने कहा, “भागवत ने जो कहा है वह राजद्रोह के समान है क्योंकि उनके कहने का मतलब है कि संविधान अवैध है, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अवैध है। किसी दूसरे देश में तो अब तक उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मुकदमा चलाया जाता।” उन्होंने कहा कि भागवत का यह बयान हर भारतीय का अपमान है। मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जानी चाहिए क्योंकि अनेक सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को सच्ची स्वतंत्रता इस दिन मिली थी। इस पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा मोहन भागवत ने कहा कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता नहीं मिली। उन्होंने महात्मा गांधी सहित भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों का अपमान किया है। यह राष्ट्र विरोधी बयान था।” (हिफी)

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