लेखक की कलम

सुशासन को अमली जामा

(हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

सुशासन की बात तो राजनीति मंे बहुत लोग करते हैं लेकिन अमली जामा कम ही पहना पाते हैं। आस्था पर प्रहार सभी को विचलित करता है लेकिन विरोध की अभिव्यक्ति सभ्य और संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश मंे ज्ञान व्यापी सर्वे के बाद हिन्दू आस्था पर अनगिनत अमर्यादित टिप्पणी की गईं। ऐसा करने वालों में सेक्युलर सियासती के दावेदार सबसे आगे थे। कट्टरपंथी मुस्लिम नेता और कतिपय स्वयंभू दलित चिंतक भी अपनी भड़ास निकालने में पीछे नहीं थे। इन्होंने तथ्य विहीन कहानियों के आधार पर औरंगजेब जैसे धर्मान्ध शासक को महान साबित करने का प्रयास किया लेकिन इनके प्रयास ऐतिहासिक प्रमाणों के सामने बौने साबित हुए।इसके बाद भी हिन्दू समाज ने कहीं भी हिंसक प्रदर्शन नहीं किया। दूसरी ओर चैनल की बहस से मात्र एक क्लिप लेकर दुनिया में भारत की छवि बिगाड़ने का अभियान चलाया गया। इस बयान के प्रति खेद व्यक्त किया गया। इसे वापस लिया गया फिर भी हिन्दू आस्था पर प्रहार करने वालों को कोई शर्मिंदगी नहीं हुईं। इसीलिए समाज में अराजकता फैलाने वालों के प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजधर्म का निर्वाह कर रहे है। सही मायने मंे यही सुशासन है। भगवान राम ने अत्याचार करने वाले खर-दूषण और रावण-मेघनाद का वध करके भी सुशासन स्थापित किया था। ऐसा नहीं योगी आदित्यनाथ कोई नया प्रयोग कर रहे हैं। पांच वर्षो से वह इस राजधर्म पर अमल कर रहे है। यही कारण है कि जिस प्रदेश में सैकड़ों दंगे हुआ करते थे, वहाँ पांच वर्ष में एक भी दंगा नही हुआ।
कुछ समय पहले धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर उतारने या आवाज धीमी करने का विषय आया था। योगी आदित्यनाथ ने ऐसा करने का निर्देश सर्वप्रथम गौरक्ष पीठ और मथुरा के श्री कृष्ण धाम को दिया। योगी आदित्यनाथ संन्यासी है। श्री महंत है। धार्मिक स्थलों के प्रति उनकी आस्था सहज स्वाभाविक है। इसके बाद भी वह मुख्यमंत्री के संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करने है। योगी का पहला निर्णय अपनी आस्था के स्थलों के प्रति था, देखते ही देखते लाखों की संख्या में मन्दिर-मस्जिद से लाउडस्पीकर उतार लिये गए, या उनकी आवाज परिसर तक सीमित कर ली गयी। पहली बार प्रदेश की सड़कों पर धार्मिक आयोजन नहीं किए गए। लेकिन प्रदेश में ऐसी ताकतें भी है, जिन्हें शांति व्यवस्था पसन्द नहीं रहीं है। ऐसे लोग अवसर की तलाश में रहते है। नागरिकता संशोधन कानून उत्पीडित बंधुओं को नागरिकता प्रदान करने के लिए था, लेकिन आंदोलनजीवियों ने कहा कि इस कानून से वर्ग विशेष की नागरिकता छिन जाएगी।
फिर क्या था कौआ कान ले गया की तर्ज पर प्रदर्शन शुरू हो गए। दिल्ली का शाहीनबाग और लखनऊ के घन्टाघर आदि इस सियासत के स्थल बन गए। यहां महिलाओं को आगे कर के आंदोलन चलाया जा रहा था। विवादित बयान के अराजक प्रदर्शन में बच्चों को आगे कर दिया गया। मतलब आंदोलनजीवी केवल अपनी तकनीक बदलते है। इसके पीछे की मानसिकता एक जैसी है। देश में अराजकता दिखा कर उसको दुनिया में प्रसारित किया जाता है। किसानों ने नाम पर चले आंदोलन का भी यही अंदाज था। ऐसे आंदोलन या प्रदर्शन सुनियोजित होते है। इनके संचालन का अर्थतंत्र भी चर्चा में रहता है। सरकार यदि पहले ही इस अर्थतंत्र को निगरानी में लेती तो सूत्रधार सामने आ सकते थे। उनकी असलियत सामने आ जाती ।इस बार भी देखा गया कि जुम्मे की नमाज के बाद पत्थर फेंकने में गरीब बच्चे ही आगे थे। योगी आदित्यनाथ ने अराजकता के सूत्रधारांे पर नकेल कसने के निर्देश दिए हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साजिशकर्ताओं ने अपने कुत्सित उद्देश्यों के लिए किशोरवय युवाओं को सहारा बनाया। ऐसे में मुख्य साजिशकर्ताओं की पहचान जरूरी है। इन लोगों का उद्देश्य प्रदेश के शांति सौहार्द को बिगाड़ना है। ऐसी कोशिशों को नाकाम किया जाएगा। कार्रवाई ऐसी हो जो असामाजिक तत्वों के लिए एक नजीर बने। माहौल बिगाड़ने के बारे में कोई सोच भी न सके। योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को जिम्मेदारी सौपी और अराजक तत्व एक-एक कर बाहर निकाले जाने लगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्थिति परिस्थिति को देखते हुए यथोचित निर्णय लें। प्रयागराज में वसूली की नोटिस भेजे जाने की कार्रवाई प्रारम्भ हो गई है। अन्य जनपद में ऐसा ही करने का योगी ने निर्देश दिया। कहा कि इससे सम्बन्धित ट्रिब्यूनल है। इनके माध्यम से नियमसंगत कठोरतम कार्रवाई की जाए। अवैध कमाई समाजविरोधी कार्यों में ही खर्च होती है। ऐसे में साजिशकर्ताओं और अभियुक्तों के बैंक खातों सम्पत्ति आदि का पूरा विवरण एकत्रित कराया जा रहा है । शरारतपूर्ण बयान जारी करने वालों के साथ जीरो टॉलरेंस की नीति के साथ कड़ाई की जायेगी। माहौल खराब करने की कोशिश करने वाले अराजक तत्वों के साथ पूरी कठोरता बरती जाएगी। ऐसे लोगों के लिए सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक भी निर्दोष को छेड़ें नहीं और कोई दोषी छोड़े नहीं। साजिशकर्ताओं और अभियुक्तों की पहचान कर उनके विरुद्ध एनएसए अथवा गैंगस्टर के नियमों के तहत नियमसंगत कार्रवाई हो रही है।
संगम नगरी प्रयागराज में 10 जून को जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के 5 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी भी कई नामजद आरोपी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। खास तौर पर इस बवाल में जिन लोगों का सियासी कनेक्शन सामने आया था, उन्हें पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इसमें सपा पार्षद फजल खान की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसके साथ ही साथ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम भी पुलिस की पकड़ से दूर है। वहीं एआईएमआईएम के नेता जीशान रहमानी को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी है। पुलिस के सामने बड़ी चुनौती यह है कि राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी करे। अब पुलिस इनके खिलाफ कोर्ट से वारंट जारी करवाने की तैयारी कर रही है। बवाल के बाद पुलिस ने करेली थाने में एक और खुल्दाबाद थाने में दो मुकदमे दर्ज किए थे। जिनमें 80 से ज्यादा लोगों को नामजद और 5000 से ज्यादा लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले में लगातार गिरफ्तारी की जा रही है और अब तक करीब 100 लोगों को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेजा है। इसके साथ ही वीडियो के आधार पर अज्ञात लोगों की भी शिनाख्त की जा रही है। बवाल और हिंसा के मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ जावेद पंप के जेके आशियाना कॉलोनी स्थित घर पर 12 जून को पुलिस बुलडोजर चला चुकी है। इसके बाद हिंसा में शामिल अन्य आरोपियों के मकानों और दुकानों को चिन्हित किया जा रहा है। अब तक हिंसा के आरोपियों के 35 मकानों और 33 दुकानों को चिन्हित किया गया है। चिन्हित सभी आरोपियों के निर्माण के दस्तावेजों की जांच हो रही है। पीडीए और नगर निगम की संयुक्त टीम ने चिन्हीकरण की कार्रवाई की है। ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही इन अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलेगा। पुलिस आरोपियों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई कर उन्हें सख्त संदेश देना चाहती है। पुलिस प्रशासन का फोकस अब अगले जुमे की नमाज को लेकर है। इसी प्रकार की कड़ी व्यवस्था योगी सरकार ने उन सभी स्थानों पर की है जहां 10 जून को बवाल हुआ था। (हिफी)

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