लेखक की कलम

जीवन शैली में बदलाव से नहीं होगा कैंसर

(रमेश सर्राफ धमोरा-हिफी फीचर)
कैंसर बीमारियों का एक जटिल समूह है जिसकी विशेषता असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और प्रसार है। इसमें 100 से अधिक विभिन्न रोग शामिल हैं जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करते है। ये कोशिकाएं ट्यूमर नामक द्रव्यमान का निर्माण कर सकती हैं जो शरीर के सामान्य कामकाज में हस्तक्षेप कर सकती हैं। कैंसर किसी को भी प्रभावित कर सकता है। इन्हें कार्सिनोमा, सारकोमा, ल्यूकेमिया और लिम्फोमा जैसे प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। इसके कारणों में आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली कारक शामिल हैं, जिनमें अस्पष्टीकृत वजन घटाने से लेकर लगातार थकान तक के लक्षण शामिल हैं। कैंसर की रोकथाम में जीवनशैली में बदलाव जैसे कि तंबाकू से परहेज, स्वस्थ आहार और टीकाकरण शामिल हैं। प्रभावी प्रबंधन और शुरुआती पहचान के लिए जागरूकता और ज्ञान महत्वपूर्ण है।
कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। क्यों 4 फरवरी 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में हुआ था। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर और बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है। अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने 1933 में स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया था।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही घबराहट होने लगती है। कैंसर से पीड़ित व्यक्ति बीमारी से अधिक तो कैंसर के नाम से डर जाता है। जिस व्यक्ति को कैंसर होता है वह तो गंभीर यातना से गुजरता ही है, उसके साथ ही उसके परिवार को भी बहुत कष्टमय स्थिति में गुजरना पड़ता है। जानलेवा होने के साथ ही कैंसर की बीमारी में मरीज को बहुत अधिक शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। कैंसर की बीमारी भयावह होती है बीमारी की पीड़ा व मौत के डर से मरीज घुट-घुट कर मरता है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि देश के अधिकांश क्षेत्रों में कैंसर की सही निगरानी नहीं हो पा रही है, जिस कारण अधिकांश मामलों में बीमारी का देरी से पता चल रहा है। देश के सभी शोध केंद्रों को पत्र लिख आईसीएमआर ने कैंसर की जांच और निगरानी को आसान बनाने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। देश के सभी जिलों में कैंसर निगरानी और जांच को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान के तहत नई नीति बनाने के लिए आईसीएमआर को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए अलग-अलग शोध टीमें गठित होंगी और भौगोलिक व स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा स्थिति के आधार पर वैज्ञानिक तथ्य एकत्रित किए जाएंगे।
दुनिया भर में हर साल एक करोड़ से अधिक लोग कैंसर की बीमारी से दम तोड़ते हैं, जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करनी चाहिये। 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष एक करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं।
अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज भारत में है। 2020 में 1.93 करोड़ नए कैंसर मरीज सामने आए हैं जिनमें 14 लाख से अधिक भारतीय हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार देश में कैंसर के मामलों की संख्या 2022 में 14.6 लाख से बढ़कर 2025 में 15.7 लाख होने का अनुमान है। इसके लिए सरकार को चिकित्सा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है। तभी समय पर कैंसर मरीजों की जांच से पहचान कर सही उपचार कर उनकी जान बचाई जा सकती है।
भारत में कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की नैशनल कैंसर रजिस्ट्री के आंकड़ें बताते हैं कि देश में 2023 में कैंसर के मामले 15 लाख तक पहुंच गए थे। इसके अलावा ऐसे हजारों केस भी होंगे जिनका आंकड़ा नहीं मिल पाता होगा। भारत में कैंसर के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही हैं।
(आईसीएमआर) के आंकड़ों को देखें तो 2021 में कैंसर के 1426447 मामले नैशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम में दर्ज किए गए। 2022 में यह संख्या बढ़कर 1461427 हो गई और 2023 में 1496972 केस सामने आए। हर 9 में से से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होने की संभावना है। पुरुषों में फेफड़े और महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के काफी मामले सामने आ रहे हैं। 14 वर्ष तक की आयु में लिम्फोइड ल्यूकेमिया का खतरा बढ़ा है। 2020 की तुलना में 2025 में कैंसर के मामलों में 10 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी का अनुमान है। आंकड़े बताते हैं कि भारत में कैंसर से साल 2020 में 7,70,230, 2021 में 7,89,202 और 2022 में 8,08,558 लोगों की मौत हुई है।
विश्व कैंसर दिवस 2025 की थीम यूनाइटेड बाय यूनिक है, जो कैंसर के खिलाफ लड़ाई में व्यक्तिगत, रोगी-केंद्रित देखभाल की महत्वपूर्ण भूमिका को परिभाषित करती है। कैंसर का पता लगाने, कैंसर के प्रकार और कारण, डायग्नोस और उपचार में काफी प्रगति हुई है लेकिन अफसोस की बात है कि दुनिया की ज्यादातर आबादी के पास अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवायें नहीं पहुंच पायी है, जिसमें गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल, रेगुलर टीकाकरण, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं और पुरानी बीमारी का इलाज शामिल है। कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाकर, हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग देकर, इफेक्टिव कम्यूनिटी बेस्ड प्लान को लागू करके, हम इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं।
विश्व कैंसर दिवस दुनिया पर कैंसर के प्रभाव को कम करने के लिए सभी के लिए मिलकर काम करने का एक अवसर है। जागरूकता बढ़ाकर, शिक्षा को बढ़ावा देकर, दूसरों को नैतिक रूप से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करके और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में समर्थन देकर ऐसे लोगों का जीवन बचाना है जिसे रोका और ठीक किया जा सकता है। एकजुट होकर और कार्म करके हम इस बीमारी से हमारे स्वास्थ्य, हमारी अर्थव्यवस्था और एक समाज के रूप में पड़ने वाले असर को कम कर सकते हैं।
कैंसर दुनियाभर में मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। विश्व स्वस्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार 2023 में लगभग एक करोड़ लोगों की मौत कैंसर से हुइ थी जिसमें ब्रेस्ट और लंग कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए थे। डब्लूएचओ के अनुसार दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरूकता बढ़ाने से कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या को 30-50 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है। कैंसर की चुनौती से निपटने का सबसे
अच्छा तरीका है इस मुद्दे के बारे में लोगों से बातचीत करके जागरूकता बढ़ायी जाये। (हिफी)

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