जनप्रतिनिधियों का शर्मनाक व्यवहार

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)
देश की संसद के प्रवेश द्वार पर 19 दिसम्बर को जो कुछ हुआ, वह नितांत शर्मनाक और राजनीतिक आचरण में आ रही गिरावट का सूचक है। पूरे देश की जनता ने बड़ा भरोसा जताते हुए अपने प्रतिनिधियों को चुनकर 18वीं लोकसभा में भेजा है, ताकि वे सांसद के रूप में देश की भलाई के लिए नीति एवं नियम बनाएं, उसे लागू कराएं और जनजीवन को सुरक्षित तथा खुशहाल बनाएं। संसद की सदस्यता की शपथ लेते समय सांसदगण इन सब बातों को ध्यान में रखने की कसम भी खाते हैं। मगर संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान संसद परिसर में जिस प्रकार से सांसदों के बीच धक्का-मुक्की की घटना सामने आयी है, वह दुःखद और दुर्भाग्यपूर्ण होने के साथ शर्मनाक और निंदनीय भी है। संभवतः यह पहली बार है कि संसद के बाहर किसी सांसद का रक्त बहा है। संसद के बाहर सांसदों के साथ जो बर्ताव हुआ, वह लोकतंत्र के लिए काला अध्याय बन गया। संयोग देखिये कि यह सब तब हुआ, जब हाल ही में संसद में भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर चर्चा की जा रही थी। निश्चित तौर पर सांसदों के इस कृत्य से बाबा साहेब भी दुखी हुए होंगे। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की ऐसी तस्वीर, जो देशवासियों की नजरें नीची कर गई। इसमें कोई दो मत की बात नहीं है कि सांसदों की धक्का-मुक्की हर भारतीय के दिल को तकलीफ दे गई है। दरअसल 19 दिसम्बर की सुबह संसद परिसर में धक्का-मुक्की वाली सियासत भी देखने को मिली। धक्का-मुक्की के दौरान ओडिशा के बालासोर से सांसद प्रताप सारंगी और यूपी के फर्रुखाबाद के मुकेश राजपूत घायल हो गए। दोनों सांसदों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर धक्का मारने का आरोप लगाया।
दरअसल मामला बाबा साहब अंबेडकर पर गृहमंत्री अमित शाह के बयान के विरोध में कांग्रेस पार्टी के सांसदों के प्रदर्शन से जुड़ा है। कांग्रेस के सांसद प्रोटेस्ट कर रहे थे और इसी दौरान बीजेपी के सांसदों ने भी कांग्रेस के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया। कांग्रेस के सांसद प्रोटेस्ट करते हुए संसद के मकर द्वार तक आ गए थे, इसी दौरान बीजेपी के सांसद भी मकर द्वार पर थे। दोनों पार्टियों के सांसद एक दूसरे के ठीक सामने आ गए। दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी होने लगी। इसी दौरान कांग्रेस और बीजेपी के सांसदों ने एक दूसरे को रोकने का आरोप लगाया। बीजेपी के सांसद प्रताप सारंगी का आरोप है कि राहुल गांधी ने अन्य सांसद को धक्का मारा। उस सांसद के धक्का मारने से वह गिर गए और घायल हो गए, जबकि बीजेपी सांसद मुकेश राजपूत भी धक्का-मुक्की में घायल हो गए। वहीं, कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल का कहना है कि बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी
को घेर लिया था और उन्हें जान-बूझकर रोका था। इस मामले में भाजपा ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। वहीं, कांग्रेस सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने भी मामले की शिकायत दर्ज करायी है। दोनों तरफ से आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जारी
है।
भाजपा के सांसद अनुराग ठाकुर और बांसुरी स्वराज संसद मार्ग थाने पहुंचकर राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद अनुराग ठाकुर ने कहा कि धक्का-मुक्की में दो सांसदों को चोट आई है। हमने राहुल गांधी के खिलाफ हत्या के प्रयास की धारा 109 में शिकायत दी। वहीं, कांग्रेस की ओर से दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में महिला सांसदों ने भी शिकायत की। कांग्रेस का आरोप है कि अंबेडकर के अपमान से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा सांसदों ने धक्का-मुक्की की। इस घटनाक्रम पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा है कि राहुल गांधी बीआर अंबेडकर की फोटो लेकर शांतिपूर्वक जय भीम के नारे को बोलते हुए संसद में जा रहे थे। संसद में जाने से किसने रोका ? हम इतने दिनों से साइड में प्रदर्शन कर रहे हैं। जो भी आ रहा है जा रहा है उसको पूरा रास्ता है। इन्होंने पहली बार प्रदर्शन किया और सबको रोक दिया। धक्का-मुक्की और गुंडागर्दी की। अमित शाह को बचाने के लिए ये साजिश हुई है। इनसे हमने पूछा अगर आप अंबेडकर जी को चाहते हैं तो जय भीम बोलें। इनके मुंह से जय भीम का नारा क्यों नहीं निकल सकता ? मैं बीजेपी सांसदों को चुनौती देती हूं यहां खड़े होकर जय भीम बोलें।
इस मामले में राहुल गांधी ने कहा कि पूरा मामला अडाणी के मुद्दे से जुड़ा है। मोदी सरकार अडाणी को देश बेच रही है और शुरू से इस पर चर्चा नहीं होने देने की साजिश कर रही है। कुछ दिन पहले अडानी पर अमेरिका में केस होने का मामला आया, जिस पर पूरे समय बीजेपी ने सदन में चर्चा नहीं होनी दी। फिर अमित शाह जी का अंबेडकर जी पर बयान आया। हम शुरू से कहते आए हैं कि बीजेपी-आरएसएस की सोच संविधान विरोधी और अंबेडकर जी के खिलाफ है। बीजेपी और आरएसएस के लोग बाबा साहेब अंबेडकर जी के योगदान को मिटाना चाहते हैं। अंबेडकर जी के प्रति उनकी जो सोच है, उसे उन्होंने सबके सामने दिखा दिया है। दूसरी तरफ भाजपा नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी ने आज जो कुछ किया है वह सब देश के सामने है। देश को निर्णय निर्णय लेना ही होगा कि संसद में उसे कैसे प्रतिनिधि चाहिए? जनता के लिए सरकार से भिड़ना अलग बात है, लेकिन अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए किसी के साथ हिंसा करना अलग बात है। देखना होगा कि उनके खिलाफ जांच में क्या निकल कर आता है, लेकिन इतना तो तय है कि की गरिमा को तार-तार कर दिया है। राहुल को भी इतिहास विपक्ष के ऐसे नेता के रूप में याद रखेगा जिसने मर्यादाओं और लोकतांत्रिक परम्पराओं की कभी परवाह नहीं की। देखा जाये तो भाजपा सांसद प्रताप
चंद्र सारंगी का सिर्फ माथा नहीं
फूटा है बल्कि उनका जो रक्त संसद परिसर में गिरा है, उससे लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को बड़ी ठेस पहुंची है और यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।
कहना न होगा कि देश की संसद लोकतंत्र के वैचारिक शिखर और देश की संप्रभुता को रेखांकित करती है। इसलिए इसकी गरिमा बनाए रखना सभी सांसदों का मूल कर्तव्य बन जाता है लेकिन जैसा बर्ताव सांसदों का देखने को मिल रहा है, सांसदों में न मर्यादा बची है और न ही संयम एवं अनुशासन। जनप्रतिनिधि अलग-अलग विचारधाराओं के पक्षधर होने के बावजूद उम्मीद की जा रही है कि वे अपने व्यवहार में शालीनता, सद्भाव, संयम और संवाद बनाए रखेंगे। सभी माननीय सांसद देश के लिए नीतियां, नियम और कानून बनाते हैं। सारा देश, विशेषकर युवा पीढ़ी उनकी ओर देखती है, उनके आचार-विचार-व्यवहार का सूक्ष्म अवलोकन और निरीक्षण करती है और उनका अनुकरण करने को उद्धृत रहती है। ऐसे में यदि सांसदों का व्यवहार ऐसा होगा, तो युवा उनसे क्या सीखेंगे। सांसदों का यह व्यवहार लोकतंत्र के लिए शर्मनाक होने के साथ ही चिंतनीय है। जरूरत है कि सांसद अपनी व्यवहार को लेकर आत्मचिंतन करें। (हिफी)