आपरेशन नेताजी कब?
(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)
योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार के समय ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के तहत 50 पीसीएस अफसर शिकंजे मंे लिये गये। इसके साथ ही 2100 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी सलाखों के पीछे पहुंचे। रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तारी के 43 फीसदी मामलों में सरकार ने अच्छी पैरवी कर सजा भी दिलवाई है। एण्टी करप्शन ब्यूरो ने 280 लोगों को जेल भिजवाया है। साथ ही 45 लाख रुपये नगद बरामद भी किये हैं।
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भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चल रहा है, यह देखकर अच्छा लगता है। आयकर विभाग ने इन दिनों ‘आॅपरेशन बाबू साहेब’ चला रखा है। यह तीन दिनों का सर्च अभियान है जिसके तहत इनकम टैक्स विभाग ने उत्तर प्रदेश मंे उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है जो सरकारी योजनाओं में संेध लगा रहे हैं अथवा लगा चुके हैं। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह भी आपरेशन बाबू साहेब के शिकंजे में हैं। इस देश को सच मायने मंे नेता और अफसर ही लूट रहे हैं। इन पर शिकंजा कसा जाए तो आधी से ज्यादा समस्या खत्म हो जाएगी। भ्रष्टाचार, अपराध और लापरवाही इन्हीें दो वर्गों के चलते है। सरकारी कर्मचारी अगर ठीक से काम नहीं करता है तो उसकी पीठ पर निश्चित रूप से किसी नेता का हाथ होता है। भ्रष्टाचारी नेताओं के तो इतने किस्से हैं जिनको लेकर एक किताब लिखी जा सकती है। संसद और विधानसभाओं मंे बैठने वालों पर गंभीर आरोप लगे हैं, इसका खुलासा वे स्वयं चुनाव के समय हलफनामें में कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसीलिए अपने मंत्रियों, सांसदों से सम्पत्ति का व्यौरा देने का निर्देश दिया था। इसलिए आयकर विभाग को ‘आपरेशन बाबू साहेब’ की तर्ज पर आपरेशन नेताजी’ भी चलाना चाहिए। साइकिल पर चलने वाला एक ग्राम प्रधान एक साल बाद ही बोलेरो पर कैसे चलने लगता है, इसका पता तब शायद चल सकेगा। भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तहसील प्रशासन को भी जिम्मेदार, पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का निर्देश दिया है। इसके तहत 50 अफसरों का
एक पैनल बनाने की बात कही गयी है जो भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच करेगा।
योगी आदित्यनाथ की पहली सरकार के समय ही भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के तहत 50 पीसीएस अफसर शिकंजे मंे लिये गये। इसके साथ ही 2100 से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी सलाखों के पीछे पहुंचे। रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तारी के 43 फीसदी मामलों में सरकार ने अच्छी पैरवी कर सजा भी दिलवाई है। एण्टी करप्शन ब्यूरो ने 280 लोगों को जेल भिजवाया है। साथ ही 45 लाख रुपये नगद बरामद भी किये हैं। यूपी सरकार ने भ्रष्टाचार के मामलों मंे पुलिस कर्मियों पर भी शिकंजा कसा है। इसके तहत रिश्वत लेते रंगे हाथ 35 पुलिसकर्मी और अन्य विभागों के करीब 245 कर्मचारी गिरफ्तार किये गये हैं। भ्रष्टाचार के मामले मंे 30 सरकारी अधिकारियों को सश्रम कारावास और अर्थ दण्ड मिल चुका है। अब इनकम टैक्स विभाग ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाह जैसे उपायुक्त राजेश
यादव और प्रवीण सिंह के प्रदेश ही नहीं बाहर के ठिकानों पर भी छापे मारे हैं।
इनकम टैक्स विभाग ने उत्तर प्रदेश के उन सरकारी अफसरों के खिलाफ छापेमारी की बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है, जिनके खिलाफ सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर भ्रष्टाचार करने के आरोप हैं। यह छापेमारी यूपी के शहरों ही नहीं, बल्कि दिल्ली और कोलकाता में भी चल रही है। इस रेड की चपेट में आने वाले यूपी के अधिकारियों में उद्योग और उद्यमिता विभाग के बड़े अधिकारी शामिल हैं, जिनके ठिकानों पर रेड मारी जा रही है। आईटी विभाग ने तीन दिनों के इस सर्च अभियान को ‘ऑपरेशन बाबू साहेब’ का नाम दिया है। इसके तहत उन आरोपी अधिकारियों पर नकेल कसी जा रही है, जो सरकारी योजनाओं में घोटाले कर रहे हैं। ऐसे अफसरों में यूपी के वरिष्ठ नौकरशाह जैसे उपायुक्त राजेश यादव, प्रवीण सिंह, उद्योग विभाग के एक मैनेजिंग डायरेक्टर आदि के नाम शामिल हैं। लखनऊ, कानपुर के साथ ही इन अफसरों के दिल्ली और कोलकाता स्थित ठिकानों पर भी छापे मारे गए हैं। यादव के कंपनी बाग चैराहा स्थित आवास पर भी रेड मारी गई। बताया जा रहा है कि आईटी विभाग के रडार पर ऐसे एक दर्जन से ज्यादा अफसर हैं, जो भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते छापेमारी के शिकार होने वाले हैं। इस अभियान को तीन दिनों तक जारी रखा जाने वाला है यानी 19 जून तक रेड डाली जाएगी। गौरतलब है कि इससे पहले गोल्डन बास्केट फर्म से जुड़े अंचित मंगलानी और प्रतिभा यादव के आवासों पर भी रेड डाली गयी थी। इसके बाद से ही यूपी के अफसरों में बेचैनी देखी जा रही है।
ऐसी बेचैनी नेताओं को भी होनी चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में कथित भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के मद्देनजर ये उल्लेखनीय है कि गृहमंत्री अमित शाह को जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़
मामले में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था तो उस समय चिंदबरम गृहमंत्री थे।
नरेंद्र मोदी सरकार 2014 से ही विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में कार्रवाई करने में जुटी है। ये भ्रष्टाचार के खिलाफ पूर्ण लड़ाई नहीं है क्योंकि यदि ऐसा होता तो भ्रष्टाचार के आरोपी भाजपा नेताओं को छोड़ नहीं दिया जाता। यह लोकपाल की नियुक्ति में पांच साल तक चली टालमटोल के बिल्कुल उलट है। कुछ नेता हैं जिनके खिलाफ, भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद, सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियां नरमी दिखाती रही हैं। इनमें बीएस येदियुरप्पारू कर्नाटक में भ्रष्टाचार का चेहरा होने के बावजूद वह दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। येदियुरप्पा भूमि और खनन घोटाले के आरोपी हैं। उनके यहां से बरामद डायरियों में शीर्ष भाजपा नेताओं और जजों और वकीलों को भारी रकम के भुगतान का जिक्र होने के बाद भी आज भी उनका बड़ा कद है और वे अधिकतर आरोपों से बरी किए जा चुके हैं। येदियुरप्पा के खिलाफ वर्षों से जांच कर रही यही सीबीआई मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी। इासी प्रकार 2। बेल्लारी के रेड्डी बंधु हैं। कर्नाटक के 2018 के चुनावों से पहले सीबीआई ने 16,500 करोड़ रुपये के खनन घोटाले में, किसी तार्किक अंत तक पहुंचे बिना, बेल्लारी बंधुओं के खिलाफ जांच को शीघ्रता से समेट लिया। भारत की संपदा की इस कदर खुली लूट के इस मामले में मोदी सरकार ने रेड्डी बंधुओं को यों ही जाने दिया क्योंकि भाजपा को उनकी जीत की जरूरत थी। उनके मामले को उजागर करने वाले वन सेवा के अधिकारी को मोदी सरकार ने बर्खास्त किया था।
हिमंता बिस्वा शर्मा पूर्वोत्तर के अमित शाह कहे जाने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा कभी कांग्रेस पार्टी में होते थे और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप थे। भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा था और उनके खिलाफ एक बुकलेट तक जारी किया थ। असम सरकार ने जांच को धीमा कर दिया है, और भाजपा भी मामले को सीबीआई को सौंपने की अपनी पुरानी मांग को भूल चुकी है। इस तरह के नाम हैं। आयकर विभाग को भी पता होगा। (हिफी)