संसद में ओवैसी की मर्यादा हीनता

समय और परिस्थिति के अनुसार आचरण करना चाहिए। हम दोस्तों के बीच जिस तरह बातचीत करते हैं, उस तरह का वार्तालाप वरिष्ठ जनों के बीच बैठकर नहीं कर सकते। इसी तरह पार्क में हम टहलते हैं, व्यायाम भी करते हैं लेकिन किसी मंदिर या मस्जिद और गुरुद्वारों मंे श्रद्धापूर्वक वहां के कार्यक्रमों मंे भागीदारी करते हैं। हमारे देश की संसद भी लोकतंत्र का मंदिर है। सांसद अपनी चैपाल में जिस तरह का आचरण करते हैं, उसी तरह का व्यवहार संसद मंे नहीं कर सकते। संसद मंे कुछ भी बोल दें तो यह उसकी मर्यादा के प्रतिकूल है। सरकार के मंत्रियों के साथ ही इसीलिए सभी सांसदों को भी देश के प्रतिनिष्ठा और कत्र्तव्य का निर्वहन करने की शपथ दिलायी जाती है। शपथ में कहा जाता है कि हम भारत की अखंडता और अक्षुण्णता को बनाये रखेंगे। इसलिए जब सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सांसद पद की शपथ लेने के बाद जय फिलिस्तीन कहा तो देश भर में एक गलत संदेश गया है। यह सही है कि कुछ अन्य सांसदों जैसे निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर ने भी शपथ लेने के बाद ऐसे शब्द बोले जो असामयिक थे, लेकिन भारत की संसद मंे किसी अन्य देश का नाम लेना उस शपथ का ही उल्लंघन है जहां भारत की अक्षुण्णता बनाये रखने को कहा गया है। ओवैसी भी एक जाने माने वकील हैं और कानून के बारे जानकारी रखते हैं लेकिन देश की जनता को उनका संबोधन बहुत बुरा लगा है। अफसोस यह कि राजनीतिक दलों की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरिशंकर जैन व विष्णु जैन ने ओवैसी के इस कथित अमर्यादित आचरण के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत की है।
राजनीतिक दलों को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए लेकिन उनकी खामोशी चिंता में डालती है। इसलिए देश की जनता को इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए ताकि लोकतंत्र के मंदिर मंे पहुंचने वालों को अपने देश का अनादर करने की जुर्रत न हो। हैदराबाद से आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत की गयी है। उन्हंे अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। सांसदों ने संसद मंे हंगामा भी किया था।
ऑल इंडिया मजलिस-ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में शपथ के दौरान जय फलस्तीन कहा था। ओवैसी के जय फलस्तीन नारे पर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। साथ ही उनके खिलाफ शिकायत भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील ने राष्ट्रपति के समक्ष ओवैसी की शिकायत की है। हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी मुश्किल में फंस गए हैं। सांसद के तौर पर शपथ लेने के बाद जय फलस्तीन बोलने पर रार हो गई है। ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत की गई है। गत 25 जून को नवनिर्वाचित सांसदों का शपथ ग्रहण समारोह था। अपना नंबर आने पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी सांसद पद की शपथ ली, लेकिन इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिस पर सियासी बवाल हो गया। ओवैसी ने शपथ से पहले बिस्मिल्लाह पढ़ा और उर्दू में शपथ ली, लेकिन शपथ के बाद उन्होंने जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना और जय फलस्तीन का नारा लगाया। ओवैसी के नारे के बाद कई सांसदों ने हंगामा खड़ा कर दिया। इसी बीच, ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति से शिकायत की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने एक पोस्ट में लिखा कि संविधान के अनुच्छेद 102 और 103 के संदर्भ में असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दर्ज की गई है। उनकी संसद की सदस्यता रद्द करने की मांग हुई है। जय फलस्तीन के नारे पर बीजेपी भड़क गई है। बीजेपी नेताओं ने इसकी निंदा की है। जी. किशन रेड्डी ने कहा कि संसद में असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दिया गया जय फलस्तीन का नारा गलत है। यह सदन के नियमों के खिलाफ है। वह भारत में रहते हुए भी भारत माता की जय नहीं कहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन ने इसकी शिकायत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से की है। उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर ओवैसी को अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया है। सीनियर एडवोकेट हरिशंकर जैन ने कहा कि यह एक ऐसी घटना है जो भारतीय इतिहास में पहली बार हुई, किसी विदेशी देश के बारे में जय कहकर नारा लगाया गया।
उन्होंने कहा, बहुत अहम सवाल है कि आखिर देश में रहने वाला व्यक्ति दूसरे देश के प्रति अपना समर्पण कैसे दिखा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 102 में साफ-साफ लिखा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी बाहरी स्टेट से जुड़ाव या समर्थन में है, तो संवैधानिक पद के लिए अयोग्य है यानी संसद के सदस्य के रूप में, ये इसलिए बनाया गया है। जब आप किसी देश में पोस्ट रोल करने जा रहे हैं, तो विदेश में किसी प्रकार की सहभागिता नहीं होनी चाहिए, क्योंकि पता नहीं आगे चलकर किसी देश से कैसा संबंध रहता है पता नहीं इसलिए आपको अपने देश के प्रति समर्पित रहना है।
एडवोकेट हरिशंकर जैन ने कहा कि जय फिलिस्तीन का नारा इस बात को साबित करता है कि इसके पीछे एक बहुत बड़ी इंटरनेशनल साजिश है। पार्लियामेंट में शपथ के तुरंत बाद नारा दिया, जो साबित करता है कि आपकी पूरी की पूरी निष्ठा फिलिस्तीन के प्रति है और ये आपको अयोग्य बनाता है, इसलिए इसे ध्यान में रखकर इन सारी बातों को लिखकर राष्ट्रपति को शिकायत दी है और उनसे प्रार्थना की है कि अनुच्छेद 103 के तहत चुनाव आयोग से रिपोर्ट मंगाकर इस पर फैसला लिया जाए। उन्होंने कहा कि असली बात यह है कि पूरी दुनिया में ओवैसी खुद को मुस्लिम लीडर साबित करने की कोशिश में लगे हैं और जिन्ना बनने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रवृति को हमलोग दबाकर रहेंगे। असदुद्दीन ओवैसी की इस पर सफाई देने को लेकर उन्होंने कहा कि हर अपराध करने वाला व्यक्ति अपने को सही कहता है। अगर फिलिस्तीन के समर्थन में हैं, तो देश का बहुत बड़ा वर्ग आज इजरायल के साथ खड़ा हुआ है। ऐसे में दूसरे देश को लेकर यहां आपस में बात शुरू हो जाएगी। इस देश को फिलिस्तीन बनाम इजरायल का लड़ाई स्थल नहीं बनने देना चाहते हैं। हम नहीं चाहते हैं कि हमास और मोसाद की लड़ाई यहां पर भी आ जाए। देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए ये जरूरी है कि इस तरह की बातें न की जाएं।
ओवैसी विश्व के मुस्लिम लीडर बनना चाहते हैं। ऐसे में वह कुछ भी कुर्बान कर दें। वो चाहते हैं कि मुस्लिमफोबिया पूरे देश में भर दिया जाए और फिलिस्तीन और जितने मुस्लिम कंट्री है उसका देश में प्रभाव रहे, इसलिए जरूरी है कि इस पर निर्णय लिया जाए।
लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी अपने बयानों के चलते अकसर विवादों में आ जाते हैं। कई बार उनके बयानों को लेकर विवाद पैदा हो जाता है। ओवैसी ने लातूर जिले के उदगीर तहसील में एक जनसभा के दौरान विवादास्पद बयान दिया था कि संविधान में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि किसी को ‘भारत माता की जय’ बोलना है। मैं यह नारा नहीं लगाता। इस प्रकार भारत की अक्षुण्णता को ओवैसी कैसे कायम रखेंगे। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)