बलूचिस्तान में पाक सेना की ज्यादती

बलूचिस्तान में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। मानवाधिकार संगठन चीख-चीख कर पाकिस्तानी सेना की ज्यादती बयां कर रहे हैं। आंकड़ों और तथ्यों के साथ काउंटर टेररिज्म के नाम पर बेगुनाहों को कत्ल करने की साजिश का पर्दाफाश कर रहे हैं। इसके अलावा, प्रांत में 900 से ज्यादा लोगों के जबरन गायब होने की भी खबरें हैं।
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सेना के निशाने पर है क्योंकि वह खनिज सौदे और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) का विरोध कर रही है। बीएलए का कहना है कि उनके क्षेत्र में खनिजों और अन्य संसाधनों का दोहन किया जाता है, लेकिन रिफॉर्म्स से वे अछूते हैं। अब जब अमेरिका ने बीएलए को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है, तो सेना ने इस संगठन के खिलाफ पूरी ताकत झोंक दी है। हालांकि, खुफिया सूत्रों का कहना है कि सिर्फ बीएलए के सदस्य ही निशाने पर नहीं हैं। सेना बड़े पैमाने पर नरसंहार की मंशा रखती है और इस कोशिश में कई निर्दोष नागरिक मारे गए हैं। अमेरिका और चीन दोनों की इस क्षेत्र में रुचि के कारण, पाकिस्तान पर बलूचिस्तान को हिंसा से मुक्त रखने का दबाव बढ़ गया है। अधिकारियों का कहना है कि लोगों की चिंताओं का समाधान करने के बजाय, सेना उनके खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल कर रही है। सेना बलूच लोगों को निशाना बनाने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और जमीनी स्तर पर तैनात कर्मियों का इस्तेमाल कर रही है। हाल ही में चीन यात्रा के दौरान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को साफ तौर पर बता दिया गया कि सीपीईसी-2 परियोजना में चीन कोई निवेश नहीं करेगा। चीन ने पाकिस्तानियों से धन जुटाने को कहा, लेकिन ये भी कहा कि परियोजना जारी रहेगी। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि पाकिस्तान सुरक्षा के मोर्चे पर बुरी तरह विफल रहा है। बीएलए और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के हिंसक हमलों के कारण चीन को काफी नुकसान हुआ है। उसके कई लोग मारे गए हैं और बुनियादी ढांचों को भी नुकसान पहुंचा है।