कश्मीर में पाक की अमानवीयता

पाकिस्तान फिर जम्मू-कश्मीर में खून बहाने की साजिशें रच रहा है। बीते सप्ताह चार दिन में जम्मू कश्मीर में चार आतंकी हमले हुए हैं। शुरुआत रियासी में तीर्थ यात्रियों की बस पर आतंकी हमले से हुई, और बाद में कठुआ, डोडा में कायराना करतूत सामने आई। रियासी आतंकी हमले में 9 लोगों की मौत हो गई, इनमें एक बच्चा भी था। जैसे ही बच्चे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, लेकिन दुनिया के मंच पर भारतीय मीडिया जिहादी इस्लामी आतंकवाद का शिकार बने मासूम की मौत के मामले और फोटो को गंभीरता के साथ वायरल करने में नाकाम रहा। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तस्वीर से पाकिस्तान इतना डरा हुआ है कि बचने के लिए लगातार टेररिस्ट अटैक की साजिशें रच रहा है। इसी वजह से 4 दिनों में उसने 4 अटैक करवाए। वह लगातार कश्मीर में हालात खराब करने की कोशिशों में जुटा है, ताकि घरेलू मोर्चे पर भी लोगों को शांत कर सके। यह इस्लामिक आतंकवाद की नयी साजिश है जिसका मकसद भारत में सीरिया जैसे हालात पैदा करना है और हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर हमला देश भर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने की साजिश है।
पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के बदलते हालात से बौखला गया है। आम चुनावों में लोगों की बढ़ती भागीदारी ने उसकी जमीन खिसका दी है। आने वाले विधानसभा चुनाव से वह डरा हुआ है। उसे जम्मू-कश्मीर में लोगों का समर्थन नहीं मिल रहा। इससे एक बार फिर पुराने एजेंडे पर आ गया है। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश कर रही है। सूत्रों की मानें तो रियासी में बस पर हुए हमले में जिस तरह एक ढाई साल के मासूम बालक को इस्लामी दहशतगर्दों ने अंधाधुंध गोलीबारी में मार दिया, वह दुनिया को शर्मसार करने वाला है लेकिन भारतीय मीडिया आतंकवाद के शिकार बने इस मासूम की फोटो को अन्तरराष्ट्रीय पटल पर उस तरह रखने में नाकाम रहा जिसतरह दुनिया के दूसरे देशों में आतंकवाद का शिकार बने बच्चों की फोटो से दुनिया भर में मानवता को बचाने की आवाज को मुखर किया गया था। पाकिस्तानी दहशतगर्दों की गोलीबारी में मारे गए मासूम बालक की तस्वीर अंतरराष्ट्रीय मंच पर वायरल क्यों नहीं हुई? क्या दुनिया में हिन्दू बच्चे की हत्या पर कोई सहानुभूति नहीं है? या हमारा मीडिया मानवीयता और राष्ट्रीय हितों को पीछे छोड़कर सिर्फ अपने हितों को साधने में व्यस्त हैं।कई बार ऐसी चीजों की वजह से दुनिया भर में आतंकवाद फैलाने वाले जिहादीयों को मात खानी पड़ी है। बच्चों की वायरल तस्वीरें पहले भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय को झिंझोड़ चुकी हैं। 2015 में 2 साल के एक बच्चे की तस्वीर वायरल हुई थी। ऐलन नाम का यह बच्चा सीरिया के रिफ्यूजी कैंप में रहता था, जो मेडिटेरियन सी में डूब गया था। इसी तरह ओमरान नाम के सीरियाई बच्चे की तस्वीर ने लोगों को हिलाकर रख दिया था। क्योंकि वह हमले के बाद खून और धूल में लथपथ कुर्सी पर बैठा हुआ था। गाजा में इजरायली सेना के हमले के बाद भी ऐसी ही कई तस्वीरें सामने आईं, जिसने इजरायल के प्रति सहानुभूति खत्म कर दी।
अगर रियासी हमले में मारे गए बच्चे की तस्वीर वायरल हो जाती, तो दुनिया के सामने पाकिस्तान की आतंक फैलाने और पोषण करने की घटिया साजिश एक बार फिर से सामने आ जाती और उस के मुंह पर मानवता के हत्यारा होने का कलंक दुनिया के सामने आता। इससे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से उसे जो कर्ज मिलने वाला है, उसमें बाधा आती। रियासी की घटना की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली थी, जो पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर का ही एक गुट बताया जाता है। इसीलिए जैसे ही उसने जिम्मेदारी ली, कुछ ही देर बाद बयान जारी कर पलट गए। जानकारों की मानें तो शायद इसके लिए पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से आतंकियों पर दबाव डाला गया होगा। अब इनसे ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में लगातार आतंकी हमले करवा रहा है। घाटी में आतंकी अगर सक्रिय होने की कोशिश कर रहे हैं, तो सेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है। इस साल अब तक 9 से ज्यादा आतंकियों को ढेर किया जा चुका है। जम्मू के सूरनकोट में आतंकियों ने एयर फोर्स की गाड़ी पर हमला किया। इस हमले में एक वायुसैनिक की मौत हो गई। उसके बाद अब रियासी में बड़ा हमला। आतंकी सॉफ्ट टार्गेट पर अटैक कर रहे हैं। पिछले साल से अब तक सुरक्षाबलों ने कुल 80 आतंकियों को ढेर किया। अगर पिछले तीन साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले साल मारे गए 71 आतंकियों में से 48 पाकिस्तानी और 23 स्थानीय आतंकी थे। साल 2021 में जम्मू कश्मीर में 181 आतंकी मार गिराए गए थे, जिनमें 30 पाकिस्तानी और 151 लोकल आतंकी थे। साल 2022 में 183 आतंकी मारे गए, जिसमें 56 पाकिस्तानी और 127 लोकल आतंकी थे।
पाकिस्तान ने अपना फोकस घाटी की जगह जम्मू की तरफ कर दिया है। आतंकी अब फिदायीन हमले नहीं, बल्कि घात लगाकर सेना के काफिलों पर अटैक करने के बजाए अकेले चल रही गाड़ियों को निशाना बना रहे हैं। पिछले साल इस तरह के हमलों में सेना को 27 कैजुअल्टी उठानी पड़ी। ज्यादातर घटनाएं जम्मू के इलाके में हुई। पिछले तीन साल के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में 22, साल 2022 में 12 कैजुअल्टी सेना को आतंकी हमलों में हुई। अब भारतीय सुरक्षाबल आतंकियों का ढूंढ ढूंढकर सफाया कर रहे हैं।
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों की मानें तो पहले घाटी में आतंकियों की संख्या 250-300 के बीच होती थी, लेकिन बाद में यह घटकर 108 के करीब रह गई है। इनमें जम्मू-कश्मीर में करीब 67 विदेशी आतंकी और 41 लोकल टेररिस्ट एक्टिव हैं। अमूमन घाटी में लोकल आतंकियों की संख्या पाकिस्तानी आतंकियों से ज्यादा हुआ करती थी, लेकिन अब जो घाटी के युवा हैं वो आतंकवाद से किनारा कर चुके हैं। इसी ने पाकिस्तानी आकाओं का सारा प्लान चैपट कर दिया है। उधर, सुरक्षा बल भी अलर्ट मोड पर हैं। आतंकियों को घुसने नहीं दिया जा रहा है। पिछले साल 12 आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन सेना ने एक भी आतंकी को घुसपैठ नहीं करने दिया। साल 2022 में 50 आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की, लेकिन सिर्फ 14 आतंकी घाटी में घुसने में कामयाब हो सके। साल 2021 में 77 आतंकियों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, और सिर्फ 34 ही घुसपैठ कर सके, बाकी को सेना ने विफल कर दिया। पाक में नई सरकार बनने की प्रक्रिया के दौरान हुए इन हमलों में पाक की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। चिंता की बात यह है कि एलओसी से लगते जम्मू के इलाके में आतंकवादी घटनाएं बढ़ी हैं। मारे गये दो आतंकवादियों के पास से पाकिस्तानी हथियार व सामान की बरामदगी बताती है कि पाकिस्तान सत्ता प्रतिष्ठानों की मदद से यह आतंक का खेल फिर शुरू किया जा रहा है। कहीं न कहीं दिल्ली में बनी मोदी सरकार-3 को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि पाक पोषित आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में दखल दे सकते हैं।
इन हमलों का चिंताजनक पहलू यह है कि अब तक आतंकी घटनाओं का केंद्र दक्षिण कश्मीर आदि इलाके होते थे। अब ये हमले जम्मू क्षेत्र में हुए हैं। जम्मू के इलाके में घटनाओं में वृद्धि शासन-प्रशासन के लिये गंभीर चिंता होना चाहिए। देश के नीति नियंताओं को आत्ममंथन करना होगा कि क्यों कश्मीर का जनमानस राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ नहीं पा रहा है? क्या कश्मीरी लोगों में नई व्यवस्था में अपने अधिकारों की सुरक्षा व संपत्ति के अधिकारों को लेकर मन में संशय की स्थिति में वृद्धि हुई है? हमें यह तथ्य स्वीकारना चाहिए कि किसी भी राज्य में आतंकवाद का उभरना स्थानीय सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकता। हालांकि यह भी हकीकत है कि कश्मीरी जनमानस का दिल जीतने के लिये भारत सरकार ने हर संभव कोशिश की है। सरकार की अनुकूल नीतियों के चलते ही पाक अधिकृत कश्मीर में भी हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे गूंज रहे हैं यही वजह है कि पाकिस्तान खिसियाहट में हाथ पैर मार रहा है। (हिफी)
(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)