देश में संसद का कोई महत्व नहीं: अल्ताफ हुसैन

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक राजनीतिक दल मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के संस्थापक और नेता अल्ताफ हुसैन पाकिस्तान आर्मी को लेकर लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने दावा किया कि, देश की संसद स्वायत्त नहीं है, न्यायपालिका में स्वतंत्रता का अभाव है, और पाकिस्तान में सेना ही एकमात्र सत्ता है।
अपने 71वें जन्मदिन के अवसर पर लंदन में आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए मुस्लिम नेता अल्ताफ हुसैन ने दावा कि पाकिस्तान में संसद का कोई दर्जा नहीं है। असली ताकत सेना के पास है। लोग शर्म से विवश हैं। लोगों पर अन्यायपूर्ण अत्याचार करने वाली ताकतों के खिलाफ जिहाद छेड़ना जायज और जरूरी है। मुस्लिम नेता अल्ताफ हुसैन का यह कार्यक्रम उत्तरी लंदन के बर्न्ट ओक के एक स्थानीय हॉल में आयोजित किया गया था। इसमें लंदन, बर्मिंघम, मैनचेस्टर, ब्रैडफोर्ड, लीसेस्टर, ब्राइटन और अन्य शहरों से सैकड़ों लोग शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पंजाबी, पख्तून, बलूच, सिंधी, सरायकी या मुहाजिर जैसी जातीय पृष्ठभूमि के अस्तित्व को नकारना वास्तविकता को झुठलाना है। उन्होंने कहा, यह पहचान एक प्राकृतिक तथ्य है, न कि कोई मानवीय रचना और इसे नकारना भगवान के अस्तित्व का ना मानने के समान है। लेकिन इसका उद्देश्य कभी भी पहचान के आधार पर घृणा, उत्पीड़न को बढ़ावा देना या दूसरों को पीड़ा पहुंचाना नहीं होना चाहिए।
अल्ताफ हुसैन ने उन लोगों पर भी हमला किया जिन्होंने उन्हें देशद्रोही करार दिया है। अल्ताफ हुसैन ने कहा कि, पूरे पंजाब ने मुझे देशद्रोही और भारतीय एजेंट बताया जा रहा है। इसी तरह साई जीएम सैयद, बाचा खान, शेख मुजीब उर रहमान और बलूच विरोधियों को भी देशद्रोही करार दिया जा रहा है। जब उन्होंने (विरोधियों) इमरान खान पर देशद्रोही और यहूदी एजेंट होने का आरोप लगाया तो लोगों की भी यही भावनाएं थीं।
पाकिस्तानी नेता ने कहा कि, पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा की जनता ने इमरान खान को देशद्रोही और यहूदी एजेंट मानने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनके दिमाग में यह बात बैठ गई थी कि पंजाबी और पठान देशद्रोही नहीं हो सकते हैं। हुसैन ने कहा कि सेना में मुख्य रूप से 80 प्रतिशत पंजाबी और 20 प्रतिशत पश्तून हैं। उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) को दिग्गजों का पूर्वज बताया और आसिफ अली जरदारी को पूरे देश को प्रभावित करने वाली बीमारी करार दिया।