विश्व-लोक

गलवान व पौंगोंग में भी पेट्रोलिंग शीघ्र

कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन बैठक में साढ़े चार साल से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को खत्म करने के फैसला हुआ। डेमचोक और डेपसांग में डिसएंगेजमट पूरा हुआ। अब सभी उन सभी प्वाइंट पर पेट्रोलिंग भी पूरी होने को है, जहां 2020 के बाद सेना की गश्त बंद थी। कुल एसे 7 प्वाइंट थे जिसमें डेमचोक में दो और डेपसांग में पाँच एसे पेट्रोलिंग प्वाइंट थे। ना तो चीनी सैनिक अपने इलाके में गश्त करने आते थे, और ना ही भारतीय ही जाते थे। सूत्रों के मुताबिक डेपसांग की पांचों पेट्रोलिंग प्वाइंट पर पेट्रोलिंग की कार्रवाई को पूरा कर लिया गया है। डेपसाँग में दो प्वाइंट में से एक पर तो सेना ने अपनी गश्त को पूरा किया। जबकि एक पर एक दो दिन में पूरा हो जाएगा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में दिए बयान में साफ किया था, कि पहले स्टेप डिसएंगेजमट का पूरा हो गया है और पेट्रोलिंग की प्रक्रिया जारी है।
देपसांग और डेमचॉक में गतिरोध खत्म करने को लेकर भारत और चीन के बीच 21 अक्टूबर को सहमति बनी और 23 अक्टूबर से इन दोनों इलाकों में दोनों सेनाओं ने टेंट और अस्थायी निर्माण को हटाना शुरू किया। गत 31 अक्टूबर को फाइनल वेरिफिकेशन के लिए साझा पेट्रोलिंग हुई और 1 नवंबर को दोनों देशों ने अपनी अपनी पेट्रोलिंग शुरू की। 4 नवंबर को सेना ने बयान जारी कर के देपसांग की पहली पेट्रोलिंग पूरी होने की जानकारी दी। पूर्वी लद्दाख में 2020 के बाद से बने सभी फ्रिक्शन प्वाइंट से डिसएंगेजमट पूरा हो चुका है। पेट्रोलिंग तो डेमचोक और डेपसांग में हुई लेकिन जो बफर जोन बन गए थे, मसलन पौंगोंग, गलवान के पीपी-14 , गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में डिसइंगेजमेंट सबसे पहले हुआ लेकिन पेट्रोलिंग शुरू नहीं की गई थी। अब डेमचोक और डेपसांग के बाद इन इलाकों में भी पेट्रोलिंग की शुरुआत हो सकती है। इस पर बातचीत के बाद ही फैसला होगा। बफर जोन में पेट्रोलिंग शुरू होने के बाद अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति आ जाएगी। एलएसी बचे बफर जोन पर तो चर्चा जारी है। साथ ही डी एस्कीलेशन यानी सैनिकों के जमावड़े को कम करने को लेकर चर्चा शुरू करने के संकेत दिए जा रहे हैं। एलएसी पर तनाव को कम करने के लिए तीन चरणों के तहत काम होना है। पहला है डिसएंगेजमट यानी की आमने सामने के फेसऑफ की स्थिति से बाहर आना जो कि पूरा हो चुका है। दूसरा है डी एस्किलेशन यानी की एलएसी पर सेना के जमावड़े को कम कर अपने अपने इलाके के डेप्थ एरिया में भेजना। तीसरा है डी इंडक्शन यानी की 2020 में तनाव के दौरान देश के अलग अलग हिस्सों से एलएसी पर भेजी गई सैन्य टुकड़ियों को वापस उनकी यूनिट में भेजा जाए। ये सभी प्रक्रिया तब पूरी हो सकेंगी जब चीन पर भारत का भरोसा पूरी तरह से कायम हो जाए।

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