सूर्य की आराधना का पौष महीना

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष मास तप, अनुशासन और शुभ ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। इस पवित्र समय में प्रातःकाल सूर्य को अघ्र्य अर्पित करना, पितरों का तर्पण करना और भगवान विष्णु का ध्यान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से घर में स्वास्थ्य, सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष मास में स्नान, दान, व्रत, तप और सूर्य की पूजा करने से पुण्यकारी फलों की प्राप्ति होती है।
पौष मास 5 दिसंबर से प्रारंभ हुआ और 3 जनवरी 2026 तक चलेगा। शास्त्रों में इसे अत्यंत पुण्यदायी महीना बताया गया है। इस पवित्र समय में स्नान-दान, पितरों का तर्पण और सूर्यदेव की आराधना करने से व्यक्ति को धन-संपदा, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य का वरद-आशीष मिलता है। पौष अवधि के दौरान सूर्य प्रायः धनु राशि में स्थित रहते हैं, इसी कारण इस माह को ‘धनुर्मास’ के नाम से भी जाना जाता है।
पौष महीने में रोज सुबह स्नान के बाद घर के आंगन में ऐसी जगह चुनें, जहां से सूर्य देव के दर्शन होते हैं। इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। सूर्य पूजा से कुंडली के नौ ग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो घर-परिवार और समाज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहे, मान-सम्मान मिले, सफलता मिले, इसके लिए सूर्य की पूजा करनी चाहिए। पौष महीने में जो सूर्य की विधि-विधान से पूजा करता है उसके कुंडली में कई दोष शांत होते है। यह माह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि इस महीने में नियमों और धार्मिक परंपराओं का पालन करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव और सौभाग्य की वृद्धि होती है। खासकर यह समय व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में शांति और समृद्धि लाने का अवसर प्रदान करता है।हालांकि, इस माह में कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें करने से बचना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन नियमों का उल्लंघन करने पर अशुभ परिणाम हो सकते हैं। इसलिए पौष महीने में अपनी आदतों और कार्यों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। पौष माह में किसी भी प्रकार के विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करना अशुभ माना जाता है। इन कार्यों का प्रभाव इस समय उल्टा पड़ सकता है और जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। यह समय नए कारोबार, निवेश या किसी बड़े प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। ऐसे कार्य करने पर आर्थिक नुकसान या अप्रत्याशित कठिनाइयां आ सकती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पौष माह में तेल की मालिश करने से परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से स्वास्थ्य या ऊर्जा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। पौष माह में संयमित रहना और सौम्य व्यवहार अपनाना अत्यंत आवश्यक है। क्रोध या कठोर वाणी से रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है और जीवन में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
प्रतिदिन भगवान सूर्य को जल अर्पित करना और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करना शुभ फलदायी है। ऐसा करने से स्वास्थ्य में सुधार, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस महीने तिल का दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। तिल का दान आर्थिक स्थिरता लाने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। (मोहिता-हिफी फीचर)



