पाकिस्तान व तालिबान के बीच शांति वार्ता बिना नतीजे के खत्म

तुर्की के इस्तांबुल में पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच हुई ताजा शांति वार्ता एक बार फिर बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। दोनों देशों के प्रतिनिधि ‘सीमा पार आतंकवाद’ और ‘सुरक्षा’ जैसे मुद्दों पर एक-दूसरे को दोष देते नजर आए। अफगान तालिबान ने इस्लामाबाद पर ‘गैर-जिम्मेदार और असहयोगी रवैये’ का आरोप लगाया है। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ग् पर बयान जारी कर कहा, ‘हम अच्छे इरादों और पूरे अधिकार के साथ वार्ता में शामिल हुए थे, लेकिन पाकिस्तान ने बातचीत को गंभीरता से नहीं लिया और अपनी जिम्मेदारी से बचता रहा।’ यह बैठक 6 और 7 नवंबर को इस्तांबुल में हुई थी। इससे पहले दो दौर की वार्ता 25 अक्टूबर को इस्तांबुल और 29 अक्टूबर को दोहा में हुई थी। दोनों ही बिना नतीजे के खत्म हुई।
मुजाहिद ने दावा किया कि पाकिस्तान ने सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अफगानिस्तान पर डालने की कोशिश की, जबकि खुद किसी भूमिका को स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि इस रवैये के कारण ही दो दिन चली वार्ता विफल हो गई। तालिबान ने यह भी दोहराया कि ‘अफगानिस्तान की धरती किसी देश के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने दी जाएगी,’ और चेतावनी दी कि ‘काबुल अपनी संप्रभुता की रक्षा हर कीमत पर करेगा।’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मुसलमान अफगानों के भाई हैं, और अमीरात उनके साथ भाईचारे और सीमित सहयोग की भावना रखता है। अफगान भूमि और जनता की रक्षा इस्लामिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है, और किसी भी आक्रमण का डटकर जवाब दिया जाएगा। दूसरी ओर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि बातचीत पूरी तरह ‘गतिरोध’ में पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि ‘काबुल मौखिक भरोसे से आगे नहीं बढ़ना चाहता, जबकि हम केवल लिखित समझौते को ही मानेंगे।’



