लेखक की कलमसम-सामयिक

धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं से खिलवाड़

बिहार के जहानाबाद जिले में सावन के चैथे सोमवार 12 अगस्त 2024 को एक बड़ा हादसा हुआ है। वाणावर स्थित बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में सोमवार सुबह भगदड़ मच गई। इसमें छह महिलाओं समेत आठ लोगों की मौत हो गई। सावन के चैथे सोमवार के चलते सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ सोमवार देर रात से ही लगी हुई थी। यह घटना सोमवार को रात करीब 1 बजे घटित हुई। यह पहला मौका नहीं है जब किसी धार्मिक स्थल पर मची भगदड़ में श्रद्धालुओं की अकाल मौत हुई है।

इस हादसे में भी वही लापरवाही सामने आई है जो पिछले कई हादसों में देखने को मिली। बताया गया कि मंदिर में दर्शन को लेकर कुछ श्रद्धालुओं में कहासुनी हुई। इस दौरान पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया। इसके बाद मंदिर में अचानक भगदड़ मच गई। अधिकारीक तौर पर बताया गया है मंदिर में भगदड़ मचने के कारण कुछ लोग दब गए, जिनमें से सात लोगों की मौत हो गई। जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रविवार रात से ही मंदिर में भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी और इसके बाद सोमवार तड़के वहां भगदड़ मच गई। फिहाल पुलिस ने सभी शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पुलिस प्रशासन द्वारा घटनास्थल पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य चल रहा है।

उधर इसी दिन देवघर में भगवान शिव पर जल चढ़ा कर लौट रहे 6 कांवड़ियों की सड़क हादसे में मौत हो गई। पैदल चल रहे श्रद्धालुओं को एक कार ने टक्कर मार दी। हादसा पश्चिम बंगाल के बागडोगरा में हुआ। श्रावण माह के सोमवार को बाबाधाम से भगवान शिव पर जल चढ़ाकर कार सवार सिक्किम की ओर जा रहे थे।

हमारे तीर्थ स्थलों मंदिरों कांवड यात्राओं रथ यात्राओं दुर्गा व गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्राओं दशहरा व कुंभ मेला आदि कोई आयोजन ऐसा नही है जो हर साल बिना निर्दोष श्रद्धालुओं की जान गंवाए सम्पन्न कराने का दावा कर सकें। स्पष्ट है कि हमारी व्यवस्था और तैयारियों में कमी है वही व्यवस्था बनाने के लिए तैनात पुलिस और निजी सुरक्षा गार्ड भीड़ भरे माहौल में लाठी चला कर अपने गैरजिम्मेदाराना व्यवहार से हादसों को आमंत्रण देते हैं।

आपको याद होगा कि एक महीने पहले ही 2 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक सभा में मची भगदड़ में 107 लोगों की जान चली गई। इनके अलावा बच्चों, महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल हुए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब देश में किसी धार्मिक सभा में भगदड़ मची और दर्जनों ने जान गंवाई हो। पिछले कुछ सालों में कई धार्मिक सभाओं में भगदड़ जैसी घटना घटी और बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो गई थी।

31 मार्च, 2023- इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के मौके पर आयोजित ‘हवन’ के दौरान एक प्राचीन ‘बावड़ी’ या कुएं के ऊपर बनी स्लैब के ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई थी।

1 जनवरी, 2022- जम्मू-कश्मीर में मशहूर माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की वजह से मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई थी और एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

14 जुलाई, 2015- आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में ‘पुष्करम’ उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 लोगों ने अपनी जान गंवाई और अन्य 20 लोग घायल हो गए थे।

3 अक्टूबर, 2014- दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मचने से 32 लोगों की मौत हो गई थी और 26 अन्य घायल हो गए थे।

13 अक्टूबर, 2013- मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ मचने से 115 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। तब यह अफवाह फैल गई थी कि नदी के जिस पुल को लोग पार कर रहे थे, वो ढहने वाला है।

19 नवंबर, 2012- पटना में गंगा नदी के किनारे अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में करीब 20 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे।

8 नवंबर, 2011- हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे हर-की-पौड़ी घाट पर मची भगदड़ में कम से कम 20 लोग मारे गए थे।

14 जनवरी, 2011- केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में लोग सबरीमला के दर्शन कर घर लौट रहे थे, जब एक जीप की टक्कर से मची भगदड़ में 104 श्रद्धालु मारे गए थे और 40 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

4 मार्च, 2010- उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में करीब 63 लोग मारे गए थे। यहां लोग स्वयंभू बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, जब भगदड़ मच गई थी।

30 सितंबर, 2008- राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह की वजह से मची भगदड़ में करीब 250 श्रद्धालु मारे गए थे और 60 से ज्यादा घायल हो गए थे।

3 अगस्त, 2008- हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान गिरने की अफवाह की वजह से मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए थे और 47 घायल हो गए थे।

25 जनवरी, 2005- महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालु कुचले गए और सैकड़ों घायल हो गए थे। यह दुर्घटना तब हुई थी, जब कुछ लोग नारियल की फिसलन पर फिसल गए थे।

27 अगस्त, 2003- महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान मची भगदड़ में 39 लोग मारे गए थे और करीब 140 घायल हो गए।
इन हादसों को याद दिलाने का एकमात्र उद्देश्य यह बताना है कि देश के हर हिस्से में हमारे तीर्थस्थलों मंदिरों धार्मिक आयोजनों स्नान पर्व व कांवड यात्राओं गणेश प्रतिमा विसर्जन यात्राओं दशहरा मेला आदि के दौरान भी भारी अव्यवस्था लापरवाही और संयम आत्मानुशासन का नितांत अभाव देखने को मिलता है कायदे से जब हम किसी मंदिर दर्शन अथवा धार्मिक आयोजनों में शामिल होने के लिए जाते हैं तो हमें शांत अनुशासित संयमित व्यवहार करना चाहिए हमारे प्रमुख मंदिरों सबरीमाला वैष्णो देवी नैना देवी बांके बिहारी मथुरा में भी अव्यवस्था और दर्शनार्थियों का ही असंयमित व्यवहार जानलेवा बन जाता है।

जरूरत इस बात की है कि किसी भी मंदिर धर्मस्थल अथवा आयोजन में शामिल होने की अनिवार्य शर्त बतौर हम अनुशासित परस्पर सहयोगी व्यवहार को आत्मसात करने का प्रण लें। ऐसा करने के लिए तमाम धर्म गुरु कथा वक्ता आयोजक व प्रबंधक आम लोगों को मानसिक रूप से तैयार करे और प्रेरणा दें। सिर्फ संयमित व जिम्मेदाराना व्यवहार के बूते पर ही मेलों कुंभ सरीखे स्नान पर्वों पुरी व कांवड यात्राओं समेत धार्मिक स्थलों के दर्शन को हादसा मुक्त बनाया जा सकता है और हर साल सैकड़ों श्रद्धालु ओं को मौत के मुंह में जाने से रोका जा सकता है। (हिफी)

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

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