राजनीति

कांग्रेस का सियासी दक्षिणायन

 

उत्तर से दक्षिण भारत तक एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस पार्टी महासंकट के दौर से गुजर रही है। नेहरू गांधी परिवार से इतर नेतृत्व का परिणाम भी कोई सुखद संदेश नहीं दे रहा है। पहले पीवी नरसिंहा राव को नेतृत्व सौंपा गया तभी अयोध्या में राममंदिर बाबरी मस्जिद विवाद ने सियासत में जबरदस्त भूमिका निभाई। उसका प्रभाव आजतक बना हुआ है। सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को मिला। समाज वादी पार्टी ने भी उसी के चलते उत्तर प्रदेश में सबसे बडी पार्टी बनकर सरकार बनायी। आज भी वह मुख्य विपक्षी दल है। कांग्रेस ने इस बार मल्लिकार्जुन खडगे को नेतृत्व सौंपा है। उनके नेतृत्व में ही मध्य भारत के तीन राज्य कांग्रेस के हाथ से भाजपा के हाथ में चले गये। नेहरू गांधी परिवार से इतर नेतृत्व करने वाले दोनों नेता दक्षिण भारत के हैं। दक्षिण भारत के ही कर्नाटक में कांग्रेस ने भाजपा को पराजित कर विपक्षी दलों का एक तरह से नेतृत्व हासिल कर लिया था। हालांकि अब नेतृत्व फिसलता नजर आ रहा है लेकिन दक्षिण भारत के ही राज्य तेलंगाना में कांग्रेस ने सरकार बनाने में सफलता प्राप्त कर उम्मीदों को जीवित रखा है। वहां आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी से कांग्रेस के तार फिर से जुड़ते नजर आ रहे हैं। इस प्रकार उत्तरायण में कांग्रेस की दक्षिणायन सियासत गरमाहट पैदा करती दिख रही है। नव वर्ष 2024 की 4 जनवरी को वाईएस शर्मिला ने अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया। शर्मिला को खडगे और राहुल गांधी ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई। उन्होंने जुलाई 2021 में भाई जगन मोहन की पार्टी से अलग होकर नई पार्टी शुरू की थी।

इस प्रकार दक्षिण की राजनीति में 2024 की शुरुआत में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले वाईएस शर्मिला की पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है। पहले कर्नाटक फिर तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत के बाद यह विलय पार्टी के लिए सुखद संदेश हो सकता है। वर्तमान में वाईएस शर्मिला तेलंगाना में सक्रिय वाईएसआर तेलंगाना पार्टी की संस्थापक और अध्यक्ष हैं। शर्मिला भी कांग्रेस के पूर्व नेता और जगन रेड्डी के पिता वाईएसआर की बेटी हैं। उनका जन्म हैदराबाद में पुलिवेंदुला में वाईएस राजशेखर रेड्डी और विजयम्मा के घर हुआ था। उनका पालन पोषण ही राजनीतिक वातावरण में हुआ। शर्मिला के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी अविभाजित आंध्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि उनके बेटे और शर्मिला के बड़े भाई जगन मोहन आंध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। शर्मिला का ताल्लुक ईसाई परिवार से है। दरअसल, उनके पति एम. अनिल कुमार कारोबारी होने के साथ-साथ एक ईसाई धर्म के प्रचारक भी हैं। दोनों ने प्रेम विवाह किया था और उनके दो बच्चे हैं।

वाईएस शर्मिला ने अपनी राजनीतिक पारी का आगाज कठिन परिस्थितियों में किया था। दरअसल, मई 2012 में उनके बड़े भाई जगन को गबन के आरोप में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। भाई के जेल जाने के बाद बहन शर्मिला ने मां वाईएस विजयम्मा के साथ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रचार का जिम्मा संभाला। गबन के मामले में ही जब जगन मोहन की गिरफ्तारी हुई उस वक्त आंध्र प्रदेश में 18 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होने वाले थे। वाईएसआर सीपी ने 18 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों और एक लोकसभा सीट पर जीत हासिल की।
इसके बाद शर्मिला ने अक्तूबर 2012 को कडप्पा जिले के इदुपुलापाया में 3,000 किमी की पदयात्रा शुरुआत की। उन्होंने इसे अगस्त 2013 को इच्छापुरम में पूरा किया। पार्टी की संयोजक ने यात्रा के दौरान 14 जिले नाप डाले जिससे उनकी छवि को काफी मजबूती मिली। अप्रैल 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ बस यात्रा कर शर्मिला एक बार फिर सुर्खियों में आईं। इस बार उन्होंने श्बाय बाय बाबूश् टाइमर घड़ी के साथ बसों में पूरे आंध्र प्रदेश में 11 दिनों की बस यात्रा की। ‘प्रजा थेरपु-बाय बाय बाबू’ अभियान में शर्मिला ने 1,553 किमी की यात्रा की और जनसमर्थन जुटाया। भाई जगन के साथ की गई इस मेहनत का फायदा भी मिला और 2019 के विधानसभा चुनाव में वाईएसआर पार्टी सत्ता में आ गई।

इसके बाद फरवरी 2021 में शर्मिला ने राजनीतिक पंडितों को भी चैंका दिया। उन्होंने अपने भाई की पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। इस दौरान शर्मिला ने आरोप लगाया कि भाई जगन मोहन रेड्डी के साथ उनके राजनीतिक मतभेद हैं और दावा किया कि तेलंगाना में पार्टी का कोई आधार नहीं है। इसके साथ ही अप्रैल 2021 को शर्मिला ने घोषणा की थी कि तेलंगाना में एक नई राजनीतिक पार्टी लॉन्च करेंगी। अपने वादे के अनुरूप 8 जुलाई 2021 को पिता राजशेखर रेड्डी की जन्मतिथि पर शर्मिला ने वाईएसआर तेलंगाना के नाम से नई पार्टी शुरू की। उधर शर्मिला द्वारा नई पार्टी बनाने के एक साल बाद उनकी मां वाईएस विजयम्मा ने भी अपने बेटे की पार्टी से इस्तीफा देकर शर्मिला की पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दिया था।

अब वाईएस शर्मिला ने अपनी पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया है तो दक्षिण भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला। आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले वाईएस शर्मिला की पार्टी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया है। पहले कर्नाटक फिर तेलंगाना के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली जीत के बाद यह विलय पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है।

यह जानना भी दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के साथ विलय की बात कैसे आई? हाल ही में हुए तेलंगाना विधानसभा चुनाव के समय ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि शर्मिला कांग्रेस के साथ गठबंधन करेंगी या कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी का विलय कर देंगी। हालांकि, शर्मिला ने घोषणा की कि उनकी पार्टी तेलंगाना विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी और एक तरह से चुनाव में कांग्रेस को मौन समर्थन दे दिया। इससे पहले सितंबर 2023 में शर्मिला ने कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी। उस वक्त विलय के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था, यह एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण बैठक थी। बहुत अच्छी बैठक थी। बाकी चीजों का आप इंतजार कीजिए और देखते रहिए। आखिरकार साल की शुरुआत में शर्मिला ने कांग्रेस में पार्टी के विलय का निर्णय लिया है। इस दौरान शीर्ष कांग्रेस नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की भी मौजूदगी रही। शर्मिला की पार्टी के कांग्रेस में विलय से इस साल होने वाला आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव दिलचस्प हो जाएगा, क्योंकि कहा जा रहा है कि शर्मिला को दक्षिणी राज्यों का चुनाव प्रभारी बनाया जा सकता है।

सूत्रों ने बताया कि शर्मिला को राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस में एक पद दिया जाएगा। कांग्रेस नेतृत्व ने शर्मिला को आश्वासन दिया है कि तेलंगाना में उनके सहयोगियों को भी उचित स्थान दिया जाएगा।
शर्मिला ने के. चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के भ्रष्ट और जनविरोधी शासन को समाप्त करने के लिए तेलंगाना में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को अपना समर्थन देने की घोषणा की थी।
उधर यूपी में कांग्रेस को बड़ा झटका लगता दिख रहा है। इण्डिया गठबंधन में कांग्रेस को एक दर्जन सीटें ही मिलेंगी, ऐसा कहा जा रहा है। कांग्रेस में सीटों की दावेदारी पर एक बार फिर मंथन हो सकता है। दूसरी तरफ भाजपा राम मंदिर के नाम पर जबरदस्त राजनीति कर रही है। पिछले दिनों ‘राम भक्त ही राज करेगा दिल्ली के सिंहासन पर’ अनामिका अंबर का नया गाना सुर्खियों में आया है लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में राममंदिर का प्रभाव नहीं दिख रहा है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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