राजनीतिलेखक की कलम

जाति पर विवाद के सियासी निहितार्थ

 

निर्मला सीतारमण के बजट पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने जातिगणना का मामला उठाया। इस मुद्दे पर भाजपा का भड़कना स्वाभाविक था। राजनीति मंे अब दांव-पेंच ज्यादा चलते हैं। कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने 25 जून को लोकतंत्र हत्या दिवस घोषित किया था। इसके पीछे एक विशेष कारण था। कांग्रेस की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था और मौजूदा समय मंे कांग्रेस का साथ देने वाली सपा जैसी कई पार्टियां उसका विरोध कर रही थीं। इसलिए लोकतंत्र हत्या दिवस पर कांग्रेस को उसके गठबंधन इंडिया से अलग-थलग करने का प्रयास किया गया था। अब जातिजनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस वहीं काम कर रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के साथी नीतीश कुमार और अनुप्रिया पटेल जैसे नेता जातिजनगणना के समर्थक हैं। नीतीश कुमार के नेतृत्व में तो बाकायदा बिहार विधानसभा मंे इस बारे मंे प्रस्ताव पारित कराया गया था। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि इस मुद्दे को उठाया जाए। अनुराग ठाकुर ने तो बहुत तीखे शब्दों में इसका विरोध किया है लेकिन अनुप्रिया पटेल ने जातिजनगणना पर विपक्षी दलों का साथ दिया है। इस प्रकार कांग्रेस अपने मकसद मंे सफल होती दिखाई पड़ रही है।

लोकसभा में इन दिनों जातीय जनगणना का मुद्दा छाया हुआ है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव तक इस मुद्दे पर जमकर सरकार को घेर रहे हैं। वहीं इस मुद्दे पर अब एनडीए की सहयोगी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी विपक्षी दलों के साथ खड़ी दिखाई दे रही हैं। उन्होंने जातीय जनगणना का खुलकर समर्थन किया है। अनुप्रिया पटेल ने जातीय जनगणना का समर्थन किया और कहा कि हमारे पास इसका आधिकारिक आंकड़ा होना चाहिए कि जाति की कितनी संख्या हैं। हालाँकि इस दौरान उन्होंने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा कि सपा आज इस मुद्दे पर बात कर रही है लेकिन जब उनकी सरकार थी तो उन्होंने जातीय गणना क्यों नहीं कराई। अनुप्रिया पटेल ने कहा- समाजवादी पार्टी चार बार सत्ता में रही, तीन बार मुलायम सिंह यादव सीएम बने और एक बार अखिलेश यादव की सरकार रही। क्या कभी उन्होंने जाति जनगणना की बात की लेकिन अब जब वो सत्ता में नहीं तो इसकी बात कर रहे हैं। जब आप एक के बाद एक चुनाव हार रहे है तो आप इस मुद्दे को उठा रहे हैं। नीतीश कुमार जाति गणना करना चाहते थे उन्होंने कराई। तो आपने (समाजवादी पार्टी) क्यों नहीं कराई? उन्होंने कहा कि हम जातीय जनगणना का सपोर्ट करते हैं क्योंकि हम मानते है कि भारतीय समाज सालों से कई जातियों में विभाजित रहा है। ये जरूरी है कि हमारे पास सभी जातियों की संख्या का आधिकारिक आंकड़ा हो और देश में सभी समुदायों की न्यायिक व्यवस्था से लेकर नौकरशाही और विभागों में हिस्सेदारी हो। सरकार की योजनाओं का सभी को लाभ मिले। जातिगत भेदभाव, जाति विभाजन ये असल में है।
अनुप्रिया पटेल ने इस दौरान योगी सरकार को लिखी चिट्ठी पर भी बात की और कहा 69 हजार शिक्षकों की भर्ती मामले में अभ्यर्थी दो सालों तक विरोध करते रहे लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। अगर कुछ सही नहीं हो रहा है तो सरकार का ये दायित्व हैं कि वो इस पर बात करे। मैं अपने लोगों के लिए खड़ी हुई। अगर सब ठीक नहीं चलेगा तो मुझे अपनी आवाज उठानी होगी।
मीरजापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 69 हजार शिक्षकों की भर्तियों का मुद्दा था। मैं यह मुद्दा लंबे समय से राज्य सरकार के सामने उठा रही थी। मैंने इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष भी उठाया था। साल 2022 के चुनाव के बाद योगी सरकार ने इस पर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। लोग 2 साल से आंदोलित थे। लोगों के दिल में इसको लेकर दर्द था। इन सबके बीच अगर कोई विपक्षी दल आए और वह लोगों के मन में यह सवाल पैदा करे कि अगर दोबारा एनडीए को सत्ता मिली तो आरक्षण खत्म हो जाएगा तो यह स्वाभाविक है। पटेल ने कहा कि मेरा मानना है कि हम यहीं पिछड़े। मैं सरकार का हिस्सा हूं। मेरी पार्टी का मानना है कि अगर आप किसी गठबंधन का हिस्सा है तो आपको मुद्दे उचित फोरम पर रखने चाहिए। मैंने यह मुद्दा पीएम, गृह मंत्री और सीएम के समक्ष उठाया। हमारी कई कोशिशों के बाद भी मुद्दे का निराकरण नहीं हुआ।
अपना दल नेता ने कहा कि एक गठबंधन के रूप में मेरा दायित्व यही था कि बंद कमरे में मुद्दा उठाऊं। इसी वजह से और सीटें इसमें जोड़ीं गईं लेकिन फिर ये मसला कोर्ट में फंस गया। कोर्ट में जब मसला फंसा तो राज्य सरकार का दायित्व था कि इसका समाधान हो। 2024 के पहले लोगों के मन में यह भय था कि आप हमारे लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं। जब इसके परिणाम आए तो वह सुखद नहीं रहे तब मुझे कहना पड़ा और आपको इसका संज्ञान लेना पड़ेगा।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि विपक्ष ने आम चुनाव में इसका फायदा उठाया। यह सच है कि हम तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रहे लेकिन 2022 के चुनाव के बाद इस मुद्दे का समाधान न होने की वजह से हमारे लोकसभा चुनाव पर असर पड़ा। यह सरकार का नैतिक दायित्व है कि वह उनके मुद्दों का समाधान करे। मैं कमजोरों की आवाज हूं ऐसे में मैं चुप नहीं रह सकती है।

उधर, बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने 30 जुलाई को लोकसभा में दिए भाषण के दौरान कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की जाति पूछ ली। उन्होंने जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राहुल का नाम लिए बिना सवाल किया। इसे लेकर सदन में काफी ज्यादा हंगामा मच गया। नेता प्रतिपक्ष राहुल ने अनुराग के जाति पूछने को अपना अपमान बताया और कहा कि यह उन्हें जातिगत जनगणना की अपनी मांग पर अड़े रहने से नहीं डिगा पाएगा। हालांकि, इस पूरे विवाद के बीच अब खुद कांग्रेस की तरफ से बयान सामने आया है, जिसमें पार्टी नेताओं ने बताया है कि नेता प्रतिपक्ष की जाति क्या है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, जब उन्होंने (अनुराग ठाकुर) कहा कि राहुल गांधी अपनी जाति नहीं जानते हैं तो उनका क्या मतलब है? वह संसद में अपनी सदस्यता खो देंगे और उनकी वजह से बीजेपी को गंभीर नुकसान होगा। उन्हें गांधी परिवार और कांग्रेस से समस्या है। अगर वे राहुल गांधी की जाति जानना चाहते हैं तो वह शहादत है। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत भी अनुराग ठाकुर के बयान को लेकर उन पर हमलावर नजर आईं। उन्होंने कहा कि अगर अनुराग ठाकुर को राहुल गांधी की जाति जाननी है तो वह खुद जाकर लोगों से पूछ सकते हैं। श्रीनेत ने कहा, आपकी जाति जानने में मुझे तनिक भी रुचि नहीं है, मगर अपने चरित्र का परिचय आप बार बार देते हैं- भड़काऊ भाषण देकर और सदन में राहुल गांधी की जाति पूछकर। आप ऐसा करते हैं, क्योंकि आपकी पार्टी में यही आपकी उपयोगिता है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, आप राहुल गांधी की जाति जानना चाहते हैं? किसके पर-दादा इस देश की आजादी के जंग के दौरान साढ़े नौ साल जेलों में रहे? किसके दादा ने इस देश पर अपनी उम्र खपा दी? किसकी दादी और पिता ने इस देश के लिए शहादत दी? किसकी मां लांछन सुनकर भी इस देश के लिए समर्पित हैं? इस तरह जाति पर सियासती बहस हो रही है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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