प्रकाश आम्बेडकर का सियासी रुख

महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव मंे भी लोकसभा चुनाव की झलक दिखेगी, यह कहना अभी मुश्किल है। राज्य में इसी साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी मंे विभाजन हो चुका है लेकिन राज्य की जनता ने बगावत करने वालों को तरजीह नहीं दी। महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों मंे से महाअघाड़ी गठबंधन (एमवीए) ने 30 सीटों पर विजय दर्ज की है। इस समीकरण से विधानसभा चुनाव मंे भी एमवीए का ही पलड़ा भारी रहने की संभावना जतायी जा रही है। राज्य मंे 13 सीटें हासिल कर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। भाजपा को यहां से सिर्फ 9 सांसद मिल पाये हैं जकि 2019 के लोकसभा चुनाव मंे उसे 23 सांसद मिले थे। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) को 9 सांसद मिले जबकि बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को सिर्फ 7 सांसद मिल पाये हैं। इसी तरह शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांगे्रस पार्टी को 8 सांसद मिले जबकि बगावत करने वाले अजीत पवार के गुट को सिर्फ 1 सांसद मिल पाया है। राज्य के इस सियासी समीकरण मंे प्रकाश आम्बेडकर की क्या भूमिका रहेगी, इस पर सभी की निगाहें हैं। प्रकाश आम्बेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी किसके साथ जुड़ती है, यह अभी तय नहीं है। प्रकाश आम्बेडकर ने पिछले साल नवम्बर मंे शिवसेना (यूबीटी) के साथ भीमशक्ति-शिवशक्ति गठबंधन बनाया था लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले यह गठबंधन टूट गया था। प्रकाश आम्बेडकर भाजपा के साथ भी नहीं जाना चाहते। कांग्रेस एनसीपी उनको अपने साथ जोड़कर फायदा उठा सकते हैं। महाराष्ट्र मंे 288 विधायक चुने जाते हैं।
प्रकाश आंबेडकर ने गत 7 जुलाई को कहा कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ वंचित बहुजन अघाड़ी का गठबंधन टूट गया है। आंबेडकर ने पिछले साल नवंबर में शिवसेना (यूबीटी) के साथ भीमशक्ति-शिवशक्ति गठबंधन बनाया था। हालांकि, उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले एमवीए घटक कांग्रेस, एनसीपी (शरदचंद्र पवार) और शिव सेना (यूबीटी) पर अनदेखी की बात कहते हुए खुद के राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने एमवीए और शिव सेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन तोड़ दिया था। शिवसेना (यूबीटी) के साथ गठबंधन पर पूछे गए सवाल के जवाब में वंचित बहुजन अघाड़ी के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि यह गठबंधन टूट चुका है, इसमें कुछ भी नहीं बचा है। दरअसल, जब शिवसेना में विभाजन हुआ था तो उसके दलित वोटों को साधने की नीति के तहत उद्धव ठाकरे ने एक रणनीतिक कदम उठाकर वीबीए के साथ गठबंधन किया था। फिलहाल, 2024 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह गठबंधन टूट गया था।
डॉ. बी.आर. आंबेकर के पोते प्रकाश आंबेडकर की अगुआई वाली वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने हाल ही में संपन्न चुनावों में महाराष्ट्र में कोई भी लोकसभा सीट नहीं जीती, लेकिन नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि इसने कम से कम सात निर्वाचन क्षेत्रों में परिणाम को प्रभावित किया। अगर वीबीए महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में शामिल हो जाती तो इनमें से सात निर्वाचन क्षेत्र विपक्षी गठबंधन के पाले में जा सकते थे, जिसमें मुंबई उत्तर पश्चिम भी शामिल है, जहां शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार सिर्फ 48 वोटों से हार गया था। एमवीए के साथ गठबंधन के लिए असफल वार्ता के बाद वीबीए ने राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से अधिकांश पर अपने उम्मीदवार उतारे या उम्मीदवारों का समर्थन किया। पूर्व लोकसभा सांसद आंबेडकर ने खुद अकोला से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। अतीत में, 70 वर्षीय दलित नेता ने दो बार लोकसभा में अकोला का प्रतिनिधित्व किया है। इस बार, वीबीए नेता के मैदान में उतरने से अकोला में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया। बीजेपी के उम्मीदवार अनूप धोत्रे, जो अंततः जीते, और कांग्रेस के उम्मीदवार अभय काशीनाथ पाटिल विदर्भ क्षेत्र की इस सीट पर दो अन्य प्रमुख प्रतियोगी थे।
धोत्रे ने 4,57,030 वोट हासिल किए और 40,626 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, कांग्रेस के पाटिल को 4,16,404 वोट मिले, जबकि अंबेडकर 2,76,747 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे, जिसने अंतिम परिणाम को प्रभावित किया। औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में, शिवसेना के उम्मीदवार संदीपनराव भुमरे ने 1,34,650 मतों के अंतर से जीत हासिल की। उन्हें 4,76,130 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी और मौजूदा सांसद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के इम्तियाज जलील को 3,41,480 वोट मिले। 2019 में, वीबीए ने एआईएमआईएम के साथ गठबंधन किया था, जिसने जलील को औरंगाबाद सीट जीतने में मदद की, हालांकि मामूली अंतर से। हालांकि, इस बार वीबीए ने अपने उम्मीदवार अफसर खान यासीन खा को मैदान में उतारा, जिन्होंने 69,266 वोट हासिल किए, लेकिन अंतिम परिणाम पर सीधे तौर पर कोई प्रभाव नहीं डाला। 2019 में, पत्रकार से राजनेता बने जलील ने अविभाजित शिवसेना के चार बार के सांसद चंद्रकांत खैरे को 4,492 मतों के अंतर से हराया था।
बीड में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार बजरंग सोनवणे ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, बीजेपी उम्मीदवार पंकजा मुंडे को उतार-चढ़ाव भरे मुकाबले में 6,553 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की। चैथे स्थान पर रहे वीबीए उम्मीदवार अशोक हिंगे को 50,867 मत मिले, जबकि बहुजन महा पार्टी के उम्मीदवार अशोक थोरात को 54,850 मत मिले। शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार नागेश पाटिल अष्टीकर ने शिवसेना के बाबूराव कोहलीकर को 1,08,602 मतों के अंतर से हराकर हिंगोली निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की। अष्टीकर को 4,92,535 मत मिले, कोहलीकर को 3,83,933 मत मिले, जबकि वीबीए उम्मीदवार डॉ बी डी चव्हाण को 1,61,814 मत मिले। कांग्रेस उम्मीदवार वसंत चव्हाण ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, बीजेपी उम्मीदवार प्रतापराव चिखलीकर को 59,442 मतों के अंतर से हराकर नांदेड़ से जीत हासिल की। मध्य महाराष्ट्र की इस सीट पर वसंत चव्हाण को 5,28,894 वोट मिले, जबकि चिखलीकर को 4,69,452 वोट मिले। तीसरे स्थान पर रहे वीबीए उम्मीदवार अविनाश भोसीकर को 92,512 वोट मिले। 2019 के चुनावों में चिखलीकर ने कांग्रेस उम्मीदवार और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण को 40,148 वोटों से हराया था। तब वीबीए उम्मीदवार यशपाल भिंगे को 1,66,196 वोट मिले थे। मुंबई उत्तर पश्चिम में, वीबीए के परमेश्वर रणशूर 10,052 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। एक करीबी मुकाबले में, शिवसेना उम्मीदवार रवींद्र वायकर ने निर्वाचन क्षेत्र में शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को सिर्फ 48 वोटों से हराया। वायकर को 4,52,644 वोट मिले, जबकि कीर्तिकर को 4,52,596 मत मिले। शिरडी में शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार भाऊसाहेब वाकचैरे ने शिवसेना उम्मीदवार और पूर्व सांसद सदाशिव लोखंडे को 50,529 मतों के अंतर से हराया।
इस प्रकार लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि प्रकाश आम्बेडकर की पार्टी विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)