राजनीतिलेखक की कलम

एक तस्वीर से गरमाई सियासत

 

बिहार मंे तस्वीरें राजनीतिक समीकरण बदल देती हैं। याद कीजिए पटना के गांधी मैदान की वह तस्वीर जिसमंे नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार गलबहियां डाले हुए थे। नीतीश कुमार को अपना वोट बैंक खिसकता नजर आया और वह नाराज हो गये। नाराजगी इतनी बढ़ी कि भाजपा के साथ का दशकों पुराना रिश्ता टूट गया। बिहार मंे लालू यादव के साथ नीतीश कुमार ने महागठबंधन तभी बनाया था। अब फिर एक तस्वीर ने पटना की सियासत मंे हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की है। इसमें मोदी के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खड़े हैं। सुगबुगाहट चल ही रही थी कि केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार और लालू यादव की तुलना तेल और पानी से कर दी है। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया मंे नीतीश कुमार को उतनी तवज्जो नहीं दी जा रही है, जितनी उन्होंने मेहनत की है। इस पर लालू यादव ने राहुल गांधी की तारीफ करके नीतीश को सचेत कर दिया कि वह भावी पीएम के रूप में किसे देख रहे हैं। फिलहाल, बिहार के सियासी समीकरण बदल जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने तो भविष्यवाणी कर दी है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जद(यू) को चार-पांच सांसद से ज्यादा नहीं मिलेंगे।

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर हुई। इसमें पीएम के साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन थे। इस तस्वीर के सामने आने के बाद बिहार में सियासी हलचलें तेज हो गई। यह चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार दौरे के क्रम में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद की तुलना तेल और पानी से करते हुए कहा कि इससे तेल का कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन पानी जरूर गंदा हो जाएगा। इसके साथ ही अपनी पूर्व की सभा की अपेक्षा इस दफा वे नीतीश कुमार को लेकर नरम भी दिखे।

इस प्रकार बिहार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद सीएम नीतीश कुमार को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। अमित शाह ने एक बार भी नीतीश कुमार के लिए एनडीए का दरवाजे बंद की चर्चा नहीं की है, जबकि नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने बाद अमित शाह जब कभी भी बिहार दौरे पर आए वे इसकी चर्चा करना नहीं भूलते थे। बिहार में नीतीश कुमार छह दलों के महागठबंधन की सरकार चला रहे हैं। उनके प्रयासों से विपक्षी दल एक मंच पर आए और ‘इंडिया’ का गठबंधन हुआ लेकिन, विपक्षी दलों ने अभी तक नीतीश कुमार को पीएम के रूप में न तो प्रोजेक्ट किया और न ही अपने नए गठबंधन ‘इंडिया’ का संयोजक बनाया है। इसे लेकर जदयू और गठबंधन के सहयोगियों के बीच कई प्रकार की चर्चाएं हैं। गठबंधन में इसको लेकर कोई पहल नहीं होने पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और फिर नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल अशोक चैधरी ने ही अपने नेता नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के लिए योग्य बताना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि सर्वे कराया जाए तो कई राज्यों के बहुत लोग चाहेंगे कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनें।

उधर, लालू प्रसाद इशारों ही इशारों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘दुल्हा’ बताकर गठबंधन का नेता बताने की कोशिश कर चुके हैं। चुनावी रणनीतिकार के रूप में चर्चित प्रशांत किशोर इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की भूमिका की चर्चा करते हुए कहते हैं कि अभी तक तीन बैठकें हो चुकी हैं, जबकि पहली मीटिंग में यह माना जा रहा था कि नीतीश कुमार इसके सूत्रधार होंगे और उन्हें संयोजक बना दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इंडिया गठबंधन में नीतीश कुमार की भूमिका सीमित है। इसके साथ ही जातिव0ाद की बहस भी चल रही है।

खेत ठाकुर का, बैल ठाकुर का मामले पर राजद नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा के संसद में कविता पाठ पर बिहार में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। महिला आरक्षण बिल पर संसद में चर्चा के दौरान उनकी ‘ठाकुर साहब’ कविता को समाज में विद्वेष फैलानेवाला बताया जा रहा है। इसको लेकर राजद के भीतर ही खेमेबंदी हो गई है और राजपूत जाति के कुछ नेताओं ने मनोज झा के इस कविता पर आपत्ति जताते हुए विरोध किया है। अब इसको लेकर जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजद का सुनियोजित प्लान बताया है। प्रशांत किशोर ने सवालिया लहजे में कहा, ये कैसे संभव है कि उनका मंत्री बयान दे रहा है और तेजस्वी यादव को पता नहीं है? पीके ने आगे कहा, ये सब पार्टी वाले कराते हैं कि आप बयान दीजिए कि समाज में विद्वेष बढ़े, आपस में मारपीट हो, आपस में झगड़ा-लड़ाई हो, वाद-विवाद हो, पत्रकार भी उसी में पड़ जाए। मूल विषय जो है, पढ़ाई का, विकास का, रोजगार का, वो हाशिए पर चला जाए।

प्रशांत किशोर ने कहा, अपने नेताओं को, अपने मंत्रियों को भी सलाह देनी चाहिए, सबसे पहले खुद मानना चाहिए, फिर भी उन पर कार्रवाई नहीं होती है। खुद ही ये लोग बयान दिलवाते हैं, ताकि समाज में आपस में पोलराइजेशन हो, हिन्दू-मुस्लिम हो, अगड़ा-पिछड़ा हो और उसी पर ये लोग रोटी सेंकते हैं और राजनीति करते हैं। राजद के भीतर खेमा बंट गया तो भाजपा, लोजपा और जदयू ने भी विरोध का बिगुल बजा दिया। इसी विरोध के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी ने मनोज झा का समर्थन कर दिया है। हम सेक्युलर के नेता और बीजेपी के सहयोगी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपने बयान में कहा, मनोज झा के बयान से सहमत हूं। उसमें कहीं कोई बात नहीं उठनी चाहिए। लोग अपनी जाति का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं, लेकिन मनोज झा ने सही कहा है। मांझी ने यहां तक कह दिया है कि वह इस मुद्दे को लेकर भाजपा से भी बात करेंगे।

राजद सांसद मनोज झा के संसद में ‘ठाकुर साहब’ कविता पाठ के बाद से बिहार में शुरू हुए ठाकुर बनाम ब्राह्मण विवाद में नया ट्विस्ट तब आ गया जब पूर्व सांसद आनंद मोहन ने तल्ख तेवर दिखाए। इस विवाद को सबसे पहले उठाने वाले राजद विधायक चेतन आनंद के पिता आनंद मोहन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कोई मुगालते में नहीं रहे कि हम किसी के गुलाम हो सकते हैं। मरते दम तक हम बंधुआ मजदूर नहीं हो सकते। 16 साल जेल की सलाखों से गुजरकर आए हैं, जब वाजिब सवाल पर आपके साथ खड़े हो सकते हैं तो फिर अपने समाज के लिए भी खड़े हो सकते हैं। विधानसभा में अगर कोई कहे कि यादव को मारो तो क्या चुप रहेंगे? जिसे विद्रोह समझना है समझे। हम ठाकुर के सवाल पर अपने समाज के साथ खड़े हैं। इस व्रकार के ‘गृह युद्ध’ से तंग आकर नीतीश कुमार कोई ‘बड़ा’ कदम उठा सकते हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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