प्रशांत किशोर की राजनीति

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
चुनाव रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर उर्फ पीके बिहार में जनता की नब्ज टटोल रहे हैं । उनकी राजनीति आसानी से समझ में नहीं आएगी। पीके ने इसी साल गांधी जयंती के अवसर पर जन सुराज पार्टी (जसुपा) की घोषणा की थी और उपचुनावों में प्रत्याशी भी उतार दिए। जसुपा के प्रत्याशियों को न सिर्फ पराजय का सामना करना पड़ा बल्कि वह दूसरे और तीसरे स्थान पर भी नहीं पहुंच पाये। इसके बावजूद प्रशांत किशोर अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनाने की बात कह रहे हैं। उन्होंने जसुपा की अन्तर राष्ट्रीय शाखा भी खोली है। अमेरिका में भी पार्टी की ब्रांच है। पीके ने वाशिंगटन में पार्टी के सदस्यों को संबोधित किया। जन सुराज की अमेरिकी शाखा शुरू करने के बाद बिहारी प्रवासी समुदाय के साथ उन्होंने वर्चुअल तौर पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि जन सुराज पार्टी साल 2025 के बिहार विधान सभा चुनाव जीतेगी। पीके ने कहा कि वह शराब पर प्रतिबंध हटा देंगे। जन सुराज पार्टी स्कूली शिक्षा पर विशेष ध्यान देगी। दरअसल इसी प्रकार की कुछ बातें उनकी पार्टी को दूसरी पार्टियों से अलग करती हैं। प्रशांत किशोर ने अपनी पार्टी के प्रत्याशियों की पराजय का कारण भी बताया और कहा कि हम हिम्मत हारने वाले नहीं हैं। हमारे अभियान में 1 प्रतिशत भी कमी नहीं आने वाली है। हम बिहार में सुधार के लिए काम करते रहेंगे। बिहार के लोगों की समस्या को सुनते रहेंगे। बिहार के कुछ लोगों को पीके आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल लग सकते हैं। केजरीवाल अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले थे ।प्रशांत किशोर उसी तरह का आंदोलन चलाना चाहते हैं। पीके बिहार की राजनीति में क्या करेंगे, यह विधानसभा चुनाव के बाद ही पता चलेगा।
बिहार में चारों उपचुनाव हारने के बावजूद जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज पार्टी साल 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव जीतेगी। उन्होंने कहा कि अगर बिहार एक देश होता तो जनसंख्या के मामले में यह दुनिया का 11 वां सबसे बड़ा देश होता। हमने जनसंख्या के मामले में जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। बता दें कि बिहार उपचुनाव में पार्टी चारों सीटों पर चुनाव हार गई। जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने अमेरिका में अपने समर्थकों से कहा कि बिहार सचमुच एक विफल राज्य है जो गहरे संकट में है और इसके सर्वांगीण विकास के लिए जबरदस्त प्रयासों की जरूरत है। प्रशांत किशोर ने कहा,हमें यह समझना होगा कि यह (बिहार) एक ऐसा राज्य है जो बहुत गंदगी में है। अगर बिहार एक देश होता, तो जनसंख्या के मामले में यह दुनिया का 11 वां सबसे बड़ा देश होता। हमने जनसंख्या के मामले में जापान को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बिहार की स्थिति में सुधार को लेकर समाज ‘निराश’ हो गया है। जब आप निराश हो जाते हैं, तो तत्काल अस्तित्व की जरूरतें इतनी प्रबल हो जाती हैं कि कुछ भी मायने नहीं रखता। इस साल अक्टूबर महीने में जन सुराज पार्टी को लॉन्च किया गया। हाल ही में संपन्न हुए बिहार उपचुनाव में पार्टी ने अपने उम्मीदवार भी उतारे, लेकिन पार्टी एक भी सीट जीतने में कामयाब न हो सकी। उनके चार उम्मीदवारों में दो की जमानत जब्त हो गई। चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों को मिली हार पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रशांत किशोर ने कहा इस उपचुनाव में नीतीश कुमार और भाजपा के प्रति लोगों ने भरोसा जताया है, इस बात को मैं मानता हूं लेकिन इस हार से हमें हिम्मत मिली है। हमलोगों की पार्टी तो 2 महीने की भी नहीं हुई है लेकिन 70 हजार लोगों ने हमें वोट दिया है। इससे साफ लगता है कि हम लोग सही दिशा में जा रहे हैं। हम लोग कदम पीछे नहीं खींचने वाले हैं।
बिहार विधानसभा के उपचुनाव में पहली बार मैदान में उतरे राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज को निराशा हाथ लगी है। चारों सीटों में किसी भी सीट पर उनके प्रत्याशी को जीत नहीं मिली। तीन सीटों पर जनसुराज के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे।वहीं रामगढ़ सीट पर चौथे स्थान पर रहे। मगध ने प्रशांत किशोर को उम्मीद जरूर जगा दी है। गया जिले के इमामगंज विधानसभा सीट पर भी उनके उम्मीदवार जीतेंद्र पासवान ने बेहतर प्रदर्शन किया। यहां जनसुराज को 37,103 मत प्राप्त हुए। वहीं बेलागंज सीट पर मोहम्मद अमजद को 17,285 वोट मिले। मगध में दोनों प्रत्याशी जमानत बचाने में सफल रहे। वहीं, पार्टी को शाहाबाद से निराशा हाथ लगी। यहां दोनों उम्मीदवारों की जमानत तक नहीं बच सकी। कैमूर जिले के रामगढ़ में जनसुराज के सुशील कुमार सिंह को मात्र 6513 मतों से संतोष करना पड़ा। वहीं भोजपुर जिले के तरारी विधानसभा में जनसुराज की किरण कुछ खास नहीं कर सकीं। किरण को 5622 मत प्राप्त हुए। चारों सीट में सबसे बेहतर प्रदर्शन इमामगंज में जीतेंद्र पासवान का रहा। बता दें कि चार में दो सीटों पर जनसुराज ने बीच चुनाव में उम्मीदवार बदले थे। तरारी से उप सेना प्रमुख (सेवानिवृत्त) एसके सिंह को पहले टिकट दिया। एसके सिंह का मतदाता सूची में नाम नहीं होने के कारण यहां प्रत्याशी बदलना पड़ा।वहीं बेलागंज में भी जनसुराज ने उम्मीदवार बदला। यहां से प्रो. खिलाफत हुसैन को पहले टिकट दिया, लेकिन बाद में मोहम्मद अमजद को मैदान में उतारा। प्रशांत किशोर के लिए सबसे चिंता का विषय उनका गृह क्षेत्र शाहाबाद ही रहा। यहां उनके प्रत्याशी जनता के बीच अपनी छाप नहीं छोड़ सके।
बिहार में उपचुनाव में करारी हार के बाद प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया सामने आई है। प्रशांत किशोर ने कहा कि इस उपचुनाव में नीतीश कुमार और भाजपा के प्रति लोगों ने भरोसा जताया है, इस बात को मैं मानता हूं। लेकिन इस हार से हमें हिम्मत मिली है। हम लोगों की पार्टी तो 2 महीने की भी नहीं हुई है लेकिन 70 हजार लोगों ने हमें वोट दिया है। इससे साफ लगता है कि हम लोग सही दिशा में जा रहे हैं। हम लोग कदम पीछे नहीं खींचने वाले हैं। मीडिया ने जब प्रशांत किशोर से पूछा कि आप चारों सीटों पर हार गए तो इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि जनसुराज और जनसुराज अभियान दोनों को अलग तरह से देखिए। जनसुराज अभियान जो है उसे बिहार में और बिहार के घर में स्थापित करने में दो वर्षों का समय लगा है। जब हमारे अभियान की शुरुआत हुई थी तो लोगों ने कहा कि बिहार में इसकी तो कोई जगह ही नहीं है लेकिन फिर भी हम लोग जोर-शोर से आगे बढ़े। प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं बता दूं कि भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है जिसे 21 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं, आरजेडी दूसरे नंबर की पार्टी है जिसे 20 फीसदी वोट मिले हैं, वहीं जेडीयू को 11 फीसदी वोट मिले हैं। वहीं हमारी पार्टी को 2 महीने भी नहीं हुए लेकिन हमें लगभग 10 फीसदी वोट मिले।
प्रशांत किशोर ने कहा कि हमारी पार्टी काफी कम दिनों की पार्टी है और हम उस क्षेत्र में चुनाव लड़े जहां हमारी पदयात्रा नहीं हुई। फिर भी जनता ने भरोसा जताया। प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं इस प्रदर्शन को अच्छा नहीं कह रहा हूं बल्कि इससे अच्छा प्रदर्शन किया जा सकता था। इस हार से हम हिम्मत हारने वाले नहीं हैं। (हिफी)