तेजस्वी की यात्रा पर सियासत

राजनीति में चुनाव के दौरान बाल की खाल निकाली जाती है। इसीलिए बिहार मंे विपक्षी दल के नेता तेजस्वी यादव जब 16 सितम्बर से बिहार अधिकार यात्रा पर निकले तो सबसे पहला सवाल दागा गया कि राजद एकला चलो की राह पर चल पड़ा है। इससे पूर्व राहुल गांधी के नेतृत्व मंे बिहार मंे कांग्रेस मतदाता जागरूक यात्रा निकाल रही थी, तब उनके साथ तेजस्वी यादव भी चल रहे थे। सवाल उठना स्वाभाविक है। इसके एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्णिया मंे करोड़ों की योजनाओं की सौगात दे गये थे और राजद के साथ कांग्रेस पर भी जमकर निशाना साधा था। इसलिए तेजस्वी का अकेले यात्रा पर निकलना सुगबुगाहट का कारण बन गया। तेजस्वी इस यात्रा के माध्यम से राजद कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं। यह भी कहा जाने लगा कि तेजस्वी कांग्रेस को यह संदेश देना चाहते हैं कि महागठबंधन मंे सबसे बड़ा जनाधार राजद और तेजस्वी का ही है। तेजस्वी यादव ने इसका जवाब दिया है। उन्होंने कहा राहुल गांधी राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। वह सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं हैं। हालांकि मैं और राहुल गांधी एक ही पेज पर हैं और भाजपा-जदयू को इसकी सफाई देने की जरूरत नहीं है। इसके बावजूद कांग्रेस में थोड़ा तनाव तो पैदा ही हो गया है।
15 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीमांचल के पूर्णिया में थे, जहां उन्होंने घुसपैठ के मुद्दे पर राजद और कांग्रेस पर निशाना साधा था। इस पर जवाब देते हुए तेजस्वी ने 16 सितम्बर को यात्रा शुरू करने से पहले कहा कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है और उनकी लड़ाई जनता के अधिकारों के लिए है। यह यात्रा न सिर्फ राजद के लिए संगठनात्मक तौर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि तेजस्वी के लिए भी अपनी सियासी ताकत दिखाने का मौका है। तेजस्वी की इस यात्रा से बिहार की सियासत में हलचल मचनी तय है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह यात्रा महागठबंधन की एकता और आगामी चुनावी रणनीति पर क्या असर डालती है।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की यात्रा बस के जरिए निकाली जा रही है और 20 सितंबर तक चलेगी। यात्रा की शुरुआत जहानाबाद से हुई है और इसका समापन वैशाली में होगा। पांच दिन की इस यात्रा में तेजस्वी यादव का ‘रथ’ सूबे के 10 जिलों जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर और वैशाली से होकर गुजरेगा। तेजस्वी की यह यात्रा सियासी तौर पर काफी अहम मानी जा रही है। इस यात्रा के जरिए तेजस्वी राजद कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं। साथ ही, वे महागठबंधन में अपनी और राजद की ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। खासकर कांग्रेस को यह संदेश देना चाहते हैं कि महागठबंधन में सबसे बड़ा जनाधार राजद और तेजस्वी का ही है। इसके अलावा, तेजस्वी इस यात्रा के जरिए संगठन की मजबूती दिखाने और बिहार की जनता तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में हैं। तेजस्वी की इस यात्रा में महागठबंधन के अन्य दल शामिल नहीं हैं, जिससे यह साफ है कि तेजस्वी अकेले अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं।यात्रा शुरू करने से पहले मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी ने कई अहम बातें कहीं। जब उनसे अकेले यात्रा निकालने के सवाल पर जवाब मांगा गया, तो उन्होंने कहा, मैं और राहुल गांधी एक ही पेज पर हैं। भाजपा-जद(यू) को सफाई देने की जरूरत नहीं है। किसी के कुछ कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता। बिहार की जनता बदलाव चाहती है। तेजस्वी ने यह भी साफ किया कि उनकी इस यात्रा का मकसद बिहार की जनता के अधिकारों की बात उठाना और उनके मुद्दों को सामने लाना है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी इस यात्रा के जरिए कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री पद के चेहरे के तौर पर घोषित किया जाए।
तेजस्वी की इस यात्रा से कांग्रेस के खेमे में थोड़ा तनाव देखा जा रहा है। राजद नेता ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि वे 243 सीटों पर अपने नाम पर वोट मांगेंगे। इसके अलावा, पहले की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने के सवाल को टाल दिया था, जिससे राजद और कांग्रेस के बीच तनाव की अटकलें बढ़ी थीं। हालांकि, इससे पहले तेजस्वी और राहुल गांधी ने मिलकर वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी, जिसमें तेजस्वी ने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की अपील जनता से की थी लेकिन अब तेजस्वी का अकेले यात्रा निकालना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक गठबंधनों में शामिल दलों के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। एनडीए और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के नेता सीट शेयरिंग के मुद्दे पर मंथन कर रहे हैं। महागठबंधन में शामिल सभी घटक दल चुनाव के दौरान ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की ख्वाहिश रख रहे हैं। बता दें कि तेजस्वी यादव मुजफ्फरपुर के कांटी में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे। यहां उन्होंने मंच से कहा कि सभी 243 सीटों पर तेजस्वी चुनाव लड़ेगा। इस प्रकार मुजफ्फरपुर में जनसभा में पूर्व डिप्टी सीएम और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सियासी सरगर्मियां बढ़ा दी। उन्होंने कहा कि तेजस्वी संघर्ष करेगा। मेरी आपसे अपील है कि आप मेरे नाम पर वोट करें। तेजस्वी के चेहरे को देख कर वोट दीजिए। तेजस्वी बिहार को आगे ले जाने के लिए काम करेगा। इस सरकार को हटाने के लिए हम सभी को एक साथ काम करना चाहिए। कांटी हाई स्कूल के मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने एनडीए सरकार पर हमला बोला। तेजस्वी ने कहा कि राज्य में प्रतिदिन व्यापारियों का अपहरण और हत्या हो रही हैं। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, जहां थाने से लेकर मुख्यालय तक गरीबों को लूटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर गरीब नीतीश कुमार के कुशासन से त्रस्त है। तेजस्वी ने कहा कि पार्टी के तमाम नेताओं से आग्रह करेंगे एकजुट होकर चुनाव लड़ना है।
उधर, बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में चुनाव में सीटों के बंटवारे से लेकर प्रचार अभियान तक को गति देने के लिए प्रदेश कांग्रेस की चुनाव समिति गठित कर दी है। 39 सदस्यीय इस समिति में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, विधान मंडल दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान से लेकर के पार्टी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा और पार्टी के कोषाध्यक्ष जितेंद्र गुप्ता तक को शामिल किया गया है। वहीं, समिति में स्थाई आमंत्रित सदस्य भी होंगे जो सांसद विधायक और विधान पार्षद होंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आदेश के बाद चुनाव अभियान समिति गठन का आदेश जारी कर दिया गया है। स्थायी आमंत्रित सदस्यों में सभी सांसद, विधायक, विधान पार्षद, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सभी सचिव, कांग्रेस वर्किंग समिति के स्थायी आमंत्रित सदस्य और फ्रंटल संगठन के सभी
अध्यक्ष शामिल किए गए हैं। इस प्रकार कांग्रेस भी अपना आधार मजबूत कर रही है। (अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)