लेखक की कलम

काजल की कोठरी में प्रशांत किशोर

समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने दिल्ली आंदोलन के तत्कालीन शिष्य अरविन्द केजरीवाल से कहा था राजनीति काजल की कोठरी है। उस समय केजरीवाल ने तर्क देकर अपने रास्ते को सही बताया था लेकिन काजल के दाग उन पर भरपूर लगे हैं। इतिहास को लोग पढ़ते जरूर हैं लेकिन सीख नहीं लेते। चुनाव राजनीति के विशेषज्ञ समझे जाने वाले प्रशांत किशोर ने बिहार में सक्रिय राजनीति शुरू कर दी है। उन्होंने जनसुराज पार्टी बनाकर आगामी अक्टूबर-नवम्बर मंे होने वाले विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है। राज्य मंे नीतीश-भाजपा गठबंधन सत्ता में है। राजद-कांग्रेस गठबंध के साथ प्रशांत किशोर ने तीसरा मोर्चा खड़ा कर दिया है। इस प्रकार काजल की कोठारी में वह पूरी तरह प्रवेश कर गये तो काजल ने भी अपना प्रभाव छोड़ना प्रारम्भ कर दिया है। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार की सरकार के वरिष्ठ मंत्री अशोक चैधरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। मंत्री अशोक चैधरी ने मानहानि का दावा कर दिया है। बिहार की राजनीति मंे एक नया टकराव प्रारम्भ हो गया है। यह विवाद उस समय हुआ जब पटना में कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक हो रही थी और सहयोगी दल राजद पर दबाव बनाया जा रहा था।
बिहार की राजनीति में इस समय सबसे बड़ी हलचल जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर उर्फ पीके और नीतीश सरकार के वरिष्ठ मंत्री अशोक चैधरी के बीच छिड़े आरोप-प्रत्यारोप ने मचा रखी है। यह मामला बिहार की राजनीति में एक नया टकराव पैदा कर चुका है। प्रशांत किशोर ने लंबे समय से सत्ता और विपक्ष दोनों पर निशाना साधा है, लेकिन इस बार उन्होंने सीधा हमला नीतीश सरकार के वरिष्ठ मंत्री पर बोला। यह लड़ाई सिर्फ बयानों में नहीं, बल्कि कोर्ट तक गयी है। हर हाल में यह विवाद आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति को और गरमा देगा।
पीके ने चैधरी पर भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति के गंभीर आरोप लगाए तो जवाब में मंत्री ने 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस ठोक दिया। अशोक चैधरी ने साफ कहा है कि प्रशांत किशोर “हिट एंड रन” की राजनीति कर रहे हैं और अब उन्हें कोर्ट में सबूत देने होंगे। पीके के भ्रष्टाचार संबंधी आरोपों के बाद चैधरी ने 100 करोड़ का मानहानि नोटिस भेजा और कहा कि “सिर्फ आरोप लगाने से कुछ नहीं होता, कोर्ट में सबूत पेश करें।” चैधरी ने अपनी बेटी शांभवी चैधरी पर लगे आरोपों को भी सिरे से खारिज किया।
बता दें कि जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चैधरी पर भ्रष्टाचार और बेनामी संपत्ति से जुड़े गंभीर आरोप लगाए। आरोपों में करोड़ों रुपये के लेनदेन, जमीन खरीद और पारिवारिक लाभ शामिल हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अशोक चैधरी ने पलटवार किया और कहा कि यह सब निराधार है। उन्होंने साफ कहा कि पीके हिट एंड रन की राजनीति कर रहे हैं, सिर्फ मीडिया में बयानबाजी से सच्चाई नहीं बदलती। आरोपों को “झूठा और बेबुनियाद” बताते हुए अशोक चैधरी ने प्रशांत किशोर को 100 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। उन्होंने कहा कि जब किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता है तो उसके सबूत भी होने चाहिए। चैधरी ने साफ कहा कि अब मामला कोर्ट में है और पीके को अपने आरोपों को साबित करना होगा। अशोक चैधरी ने यह भी कहा कि पीके ने उनकी बेटी शांभवी चैधरी पर भी गलत आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि शांभवी ने अपने चुनावी हलफनामे में पूरी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी है। इस मामले में किसी भी तरह की गलतबयानी का सवाल ही नहीं उठता।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास सिपहसालार, जेडीयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चैधरी खुद को बीते कुछ वर्षों से नीतीश कुमार का “मानस पुत्र” कहते रहे हैं- यानी वो नेता जिन पर नीतीश कुमार आंख बंद कर भरोसा करते हैं। इस भरोसे की नींव पर अब सवाल उठने लगे हैं और सवाल कोई और नहीं उठा रहे, बल्कि बिहार की राजनीति में अपनी पहचान बनाने निकले प्रशांत किशोर हैं। दरअसल, प्रशांत किशोर का दावा है कि अशोक चैधरी ने न सिर्फ अपनी बेटी को पैसे देकर लोकसभा टिकट दिलवाया, बल्कि उन्होंने और उनके परिवार ने हाल के वर्षों में सैकड़ों करोड़ की संपत्ति भी खरीदी जिसकी जांच होनी चाहिए। अब यह मामला एक आम चुनावी आरोप से बहुत आगे बढ़ चुका है।
इस विवाद की गूंज बिहार की चुनावी रणनीतियों को हिला सकती है। अगर मामले में आगे जांच बढ़ती है और दस्तावेज सामने आते हैं तो यह जेडीयू और उसके नेतृत्व के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन सकती है। दूसरी ओर अगर प्रशांत किशोर अपने आरोप साबित नहीं कर पाते तो उन्हें कानूनी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है। एक बात साफ-साफ है-वह ये कि बिहार की राजनीति में ‘मानस पुत्र’ की छवि अब वैसी नहीं रही जैसी पहले थी, क्योंकि आरोप गंभीर है राजनीति के जानकारों की नजर में ये मामला सिर्फ एक मंत्री और एक रणनीतिकार के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह नीतीश कुमार की नैतिक राजनीति पर सवाल है। यदि अशोक चैधरी पर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो यह नीतीश की ‘सुशासन’ की छवि के लिए झटका होगा। वहीं, प्रशांत किशोर के लिए यह मौका है खुद को एक मजबूत विपक्षी चेहरे के रूप में पेश करने का। वह इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की तरह प्रोजेक्ट कर रहे हैं और जनता के बीच यह नैरेटिव तेजी से फैल रहा है।
जनसुराज के संयोजक प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक जनसभा में यह बयान दिया कि अशोक चैधरी ने अपनी बेटी शांभवी चैधरी को समस्तीपुर लोकसभा सीट से टिकट दिलवाने के लिए पैसे का इस्तेमाल किया। चैंकाने वाली बात ये है कि शांभवी ने ये टिकट एलजेपी (रामविलास) से लिया था-यानी चिराग पासवान की पार्टी से न कि जेडीयू से। प्रशांत किशोर का दावा है कि अशोक चैधरी ने चिराग को रिश्वत दी, ताकि उनकी बेटी को टिकट मिल सके। उनके शब्दों में, बिहार की जनता को नहीं पता कि ये टिकट कैसे बंटते हैं। किसने पैसे दिए, किसने लिये-सब समझौते के पीछे है। जाहिर है प्रशांत किशोर का यह आरोप न केवल अशोक चैधरी पर, बल्कि नीतीश कुमार के नेतृत्व और उनके गठबंधन की साख पर सीधा हमला है। इतना ही नहीं प्रशांत किशोर ने और भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अशोक चैधरी, उनकी पत्नी, बेटी और रिश्तेदारों ने ‘मनव वैभव विकास ट्रस्ट’ के जरिए पटना और अन्य जगहों पर करीब 200 करोड़ रुपए की संपत्ति खरीदी है। प्रशांत किशोर ने दस्तावेजों के आधार पर तारीखों, स्थानों और खरीदारों के नाम तक सार्वजनिक कर दिए। किशोर का कहना है कि जिनके पास कभी खुद का मकान नहीं था आखिर वो दो साल में करोड़ों की जमीन कैसे खरीद सकते हैं? उनका इशारा साफ था-सत्ता में रहते हुए भ्रष्टाचार, ट्रस्ट के नाम पर फंड की हेरा-फेरी और परिवारवाद का खेल। इन आरोपों से आहत होकर अशोक चैधरी ने कानूनी रास्ता चुना है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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