काजल की कोठरी में प्रशांत किशोर

आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविन्द केजरीवाल जब राजनीति में उतर रहे थे, तभी भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे ने कहा था राजनीति काजल की कोठरी है। इसमें चाहे जितना सयानापन करो लेकिन कालिख तो लग ही जाएगी। सभी जानते हैं कि अरविन्द केजरीवाल जेल तक जा चुके हैं। अब चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को चुनाव आयोग ने चुनाव नियमों का उल्लंघन करने का नोटिस थमा दिया है। इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन आफिसर (ईआरओ) ने प्रशांत किशोर पर आरोप लगाया है कि उनका नाम दो अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूची मंे दर्ज है। यह बताया गया कि प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल और बिहार दोनों राज्यों की मतदाता सूची मंे दर्ज है। इस प्रकार प्रशांत किशोर ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 और 18 का उल्लंघन किया है। बहरहाल, अभी तो शुरुआत है। आगे-आगे देखिए होता है क्या….।
चुनावी रणनीतिकार से नेता बने जन सुराज पार्टी प्रमुख प्रशांत किशोर को चुनावी नियमों का उल्लंघन के मामले में इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ) ने नोटिस जारी किया है। दरअसल उन पर आरोप है कि प्रशांत किशोर का नाम दो अलग-अलग राज्यों बिहार और पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में दर्ज है, जो कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत प्रतिबंधित है। उन्हें इस मामले में तीन दिनों के भीतर जवाब देने को कहा गया है। प्रशांत किशोर को ईआरओ ने नोटिस जारी किया है। इस मामले में जारी किए गए नोटिस के मुताबिक प्रशांत किशोर का नाम रोहतास जिले के करगहर विधानसभा क्षेत्र में दर्ज है, जो सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है। वहीं, उनका नाम कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में भी दर्ज है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 17 और 18 के तहत यह अवैध है। इसलिए इस मामले में ईआरओ ने प्रशांत किशोर को तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
इस नोटिस में कहा गया है कि इस मामले में उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में कोलकाता पश्चिम लोकसभा क्षेत्र की भवानीपुर विधानसभा से मतदाता हैं। यहां उनका एपिक नंबर आईयूआई0686683 पाया गया। उनका सीरियल नंबर 621 है और मतदान केंद्र, आर-1 21बी रानीशंकरी लेन स्थित सेंट हेलेन स्कूल के रूप में दर्ज है। बिहार में वह सासाराम संसदीय क्षेत्र के करगहर विधानसभा क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। उनका मतदान केंद्र रोहतास जिले के अंतर्गत मध्य विद्यालय, कोनार है, कोनार प्रशांत किशोर का पैतृक गांव है।
प्रशांत किशोर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं। वहीं, इस बार उनकी जन सुराज पार्टी बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ रही है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा 17 और धारा 18 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक वोटर आईडी नहीं रख सकता है। एक से अधिक वोटर आईडी रखना या एक से अधिक चुनाव क्षेत्रों में वोटर आईडी रखना गैरकानूनी है। दो वोटर आईडी रखने पर कानूनी कार्रवाई और जुर्माने का भी प्रावधान है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पश्चिम बंगाल की वोटर लिस्ट में प्रशांत किशोर का पता 121 कालीघाट रोड, कोलकाता दर्ज है। यही वो जगह है जहां भवानीपुर में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का मुख्यालय स्थित है। बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी के लिए चुनावी रणनीति तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उस दौरान वे टीएमसी के राजनीतिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में प्रशांत किशोर का नाम सासाराम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत भी दर्ज है। उनका पोलिंग स्टेशन मध्य विद्यालय, कोनार है- यह उनका पुश्तैनी गांव भी माना जाता है। वहीं, पश्चिम बंगाल में उनका पोलिंग स्टेशन सेंट हेलेन स्कूल, रानी शंकरी लेन बताया गया है। जब प्रशांत किशोर से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया और फोन तक नहीं उठाया। हालांकि, जन सुराज पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि प्रशांत किशोर पहले पश्चिम बंगाल के वोटर थे। उन्होंने वहां का वोटर कार्ड रद्द करने के लिए आवेदन दे दिया था, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि आवेदन की स्थिति क्या है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों ही ओर से चुनावी प्रचार चरम पर है। रैलियों, सभाओं और सोशल मीडिया अभियानों के बीच वोट वाइब सर्वे के नए आंकड़ों ने इस मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। ताजा सर्वे के अनुसार, बिहार के मतदाता दो प्रमुख खेमों में लगभग बराबर बंटे नजर आ रहे हैं। करीब 34.7 फीसद लोगों ने कहा कि वे महागठबंधन को सत्ता में देखना चाहते हैं, जबकि 34.4 फीसद मतदाताओं ने एनडीए पर भरोसा जताया। यह मामूली अंतर बताता है कि इस बार की जंग पूरी तरह कांटे की होगी, जहां हर सीट निर्णायक भूमिका निभा सकती है। सर्वे का सबसे रोचक पहलू रहा प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी का प्रदर्शन। लगभग 12 फीसद मतदाताओं ने माना कि इस बार राज्य में जन सुराज भी जीत दर्ज कर सकती है। यह नतीजा दिखाता है कि बिहार की राजनीति अब दो नहीं, बल्कि तीन प्रमुख ध्रुवों में बंट चुकी है।
दिलचस्प यह है कि प्रशांत किशोर ने खुद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। फिर भी लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता कायम है। करीब 13 फीसद मतदाता उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि पार्टी का अनुमानित वोट शेयर 9 से 10 प्रतिशत के बीच है,जिससे यह साफ झलकता है कि उनकी पहचान तो बनी है,लेकिन उसे जनसमर्थन में बदलना अभी चुनौती बना हुआ है। सर्वे में जब यह सवाल पूछा गया कि क्या मतदाता जन सुराज पार्टी का चुनाव चिन्ह जानते हैं तो लगभग आधे लोगों ने कहा कि उन्हें इसका पता नहीं है। कुछ लोगों ने बताया कि पार्टी का सिंबल स्कूल बैग है,लेकिन एक बड़ा वर्ग अब भी इससे अनजान है। यह स्थिति दिखाती है कि पार्टी का संगठनात्मक विस्तार अभी शुरुआती चरण में है। सर्वे जारी करने वाले कहते हैं कि प्रशांत किशोर के पास जनता में एक मजबूत परसेप्शन तो है,लेकिन उस छवि को वोटों में बदलना कठिन है। उनके अनुसार, पिछले सर्वे में भी एनडीए और महागठबंधन के वोट शेयर में मामूली फर्क था, जबकि जन सुराज करीब 10 प्रतिशत पर टिके थे। एक्सपर्ट का मानना है कि अगर जन सुराज पार्टी अपने वोट प्रतिशत को 10 प्रतिशत से ऊपर बनाए रखती
है तो वह कई सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकती है। इस बीच प्रशांत किशोर का चुनावी नियमों मंे उलझना उनके लिए ही मुसीबत खड़ी कर सकता है।(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)



