खेल-खिलाड़ी

घुड़सवारों में अब भी ‘प्रताप’ व ‘लक्ष्मीबाई’

 

माना जाता है कि अच्छी नस्ल के घोड़े काबुल में मिलते हैं लेकिन अच्छे घुड़सवार हमारे भारत में हैं, यह बात हृदय, अनुष सुदीप्ति और दिव्याकृति ने चीन में हो रहे एशियाई खेलों मंे साबित कर दी है। भारतीय घुड़सवारों ने महाराणा प्रताप की चेतक पर सवारी और रानी लक्ष्मीबाई की घोड़े पर चढ़कर अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ा देने वाली यादों को ताजा कर दिया है। हमारे देश में घुड़सवारी का वीरगाथा काल मंे भी गौरवपूर्ण इतिहास मिलता है। बुंदेलखण्ड के नायक ऊदल का घोड़ा बेंदुल कहते हैं पानी पर भी जमीन की तरह ही दौड़ता था। घोड़ों के पंख तो शायद नहीं होते थे लेकिन हमारे देश मंे उड़ने वाले घोड़ों की कहानी इसलिए कही और सुनी जाती हैं क्योंकि भारत के घुड़सवार उनको इतनी रफ्तार से और ऊंची छलांग लगाकर दौड़ाने की क्षमता रखते थे जिससे कहा जाता था कि उसका घोड़ा तो ‘उड़ता’ है। सुदीप्ति हजेला और दिव्याकृति सिंह तथा विपुल हृदय छेड़ा व अनुष अग्रवाल के घोड़ों ने चीन मंे इस तरह चैकड़ी भरी कि स्वर्गीय श्याम नारायण पांडे जी की ये पंक्तियां याद आ गयीं-

रण बीच चैकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से,
पड़ गया हवा का पाला था।
ग ग ग ग ग ग
बढ़ते नद सा वह ठहर गया,
फिर गया गया, फिर ठहर गया।
विकराल बज्रमय बादल सा,
अरि की सेना पर घहर गया।

चीन में हो रहे एशियाई खेलों मंे भारतीय घुड़सवारों ने 209.205 प्रतिशत अंक हासिल कर चीन को उसी के घर में पराजित किया। चीन ने 204.882 प्रतिशत अंक के साथ रजत और हांगकांग ने 204.852 प्रतिशत अंक के साथ कांस्य जीता। भारत का घुड़सवारी में यह 41 साल बाद स्वर्ण पदक है। इससे पहले 1982 के दिल्ली एशियाड में भारत ने घुड़सवारी में तीन स्वर्ण पदक जीते थे। सुदीप्ति हजेला, दिव्याकृति सिंह, विपुल ह्रदय छेड़ा और अनुष अग्रवाल की घुड़सवार चैकड़ी ने ड्रेसेज में देश को पहली बार एशियाई खेलों का स्वर्ण पदक दिलाया। यह वही टीम है जिसे एशियाई खेलों में भाग लेने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी थी। कोर्ट जाने के बाद ही भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) इन घुड़सवारों को एशियाई खेलों के चैथे क्वालिफाइंग में खेलने की अनुमति देने के लिए राजी हुआ था। उसके बाद इन घुड़सवारों ने अदालत से मामला वापस लिया और उनके एशियाड में खेलने का रास्ता साफ हुआ। इससे पहले ड्रेसेज में अंतिम बार कांस्य पदक भारत ने 1986 के सियोल एशियाड में जीता था। इंदौर की 21 वर्षीय घुड़सवार सुदीप्ति के पिता मुकेश हजेला बताते हैं कि अगर उस दौरान कोर्ट की शरण नहीं ली होती तो टीम इन खेलों में शिरकत नहीं कर पाती। हालांकि घुड़सवारों ने बाद में ईएफआई के कहने पर मामला वापस लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देशवासियों ने ने घुड़सवारी टीम को बधाई दी। पीएम ने लिखा, यह अत्यंत गर्व की बात है कि कई दशकों के बाद हमारी घुड़सवारी ड्रेसेज टीम ने एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। हृदय, अनुष, सुदीप्ति और दिव्याकृति ने अद्वितीय कौशल और टीम वर्क का प्रदर्शन किया है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारे देश को सम्मान दिलाया है। मैं इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए टीम को हार्दिक बधाई देता हूं।

एशियाई खेल 2023 में भारत को अपने निशानेबाजों से कुछ और पदकों की उम्मीद है। प्रतियोगिता के पहले दिन भारत को पांच, दूसरे दिन छह और तीसरे दिन तीन पदक मिले। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कुल 20 पदकों के साथ भारत पदक तालिका में छठे स्थान पर है। इसमें पांच स्वर्ण, पांच रजत और 10 कांस्य पदक शामिल हैं। शूटिंग में दो स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक मिले। विष्णु सरवनन ने पुरुषों की डोंगी आईएलसीए-7 में 34 के नेट स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। कोरिया के हा जेमिन ने 33 के स्कोर के साथ रजत पदक जीता, जबकि सिंगापुर के लो जून हान रयान ने 26 के स्कोर के साथ स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं की एकल डोंगी आईएलसीए-6 में, नेथरा कुमानना चैथे स्थान पर रहीं।एशियाई खेलों में भारतीय निशानेबाजों का शानदार प्रदर्शन जारी था। भारत ने पुरुष टीम स्कीट में कांस्य पदक जीता है। टीम इंडिया 355 के स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर कजाकिस्तान के साथ बराबरी पर थी।

इसके बाद भारत ने वापसी कर पदक पक्का किया। अनंत नरूका, गुरजाओत सिंह और अंगद बाजवा ने भारत के लिए 19वां पदक जीता। हालांकि, अनंत व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल में जगह नहीं बना सके।भारत की महिला हॉकी टीम ने सिंगापुर के खिलाफ शानदार शुरुआत की है। दूसरे क्वार्टर में ही भारत ने 6-0 की अहम बढ़त बना ली है। शूटिंग में भारतीय खिलाड़ियों का शानदार प्रदर्शन जारी है। सिफ्त कौर और आशी ने एक ही प्रतियोगिता में स्वर्ण और कांस्य पदक जीते हैं। सिफ्त कौर समरा ने 50 मीटर 3पोजीशन राइफल में 10.2 अंक हासिल कर आसानी से स्वर्ण पदक जीत लिया! वहीं, इसी प्रतियोगिता में आशी ने कांस्य पदक अपने नाम किया। सिफ्त कौर एशियाई खेल 2023 में एकल प्रतिस्पर्धा में भारत को स्वर्ण दिलाने वाली पहली एथलीट हैं। इससे पहले तीनों स्वर्ण पदक टीम इवेंट में आए थे। सिफ्त ने स्वर्ण पदक जीतने के साथ नया विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है। उन्होंने 469.6 का स्कोर किया जो कि पिछले रिकॉर्ड से 2.6 अधिक है। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button