स्वच्छता अभियान से प्रेरित परियोजनाएं

महात्मा गांधी के चिंतन में स्वच्छता, ग्राम स्वराज, कृषि, पशुपालन, वंचितों का उत्थान आदि अनेक पहलू शामिल थे। वह देश को स्वतंत्र कराने के साथ ही साथ समरस और समृद्ध समाज का निर्माण भी चाहते थे जिसमें किसी को भी जीवन की मूलभूत सुविधाओं का अभाव झेलना न पड़े। जब वह स्वच्छता की बात करते थे, तब उसमें स्वास्थ का विषय भी शामिल हुआ करता था। नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वच्छता अभियान ही नहीं हर घर नल से जल योजना शुरू की। यह अभियान के रूप में सफल हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अपनी रिपोर्ट में इस अभियान को बहुत लाभदायक बताया। उसने कहा कि इससे लाखो लोगों की जान बचाना सम्भव हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश चालीस वर्षों तक मष्तिष्क ज्वर से पीड़ित था। योगी आदित्यनाथ ने स्वच्छ जल अपूर्ति सुनिश्चित की। स्वच्छता अभियान चलाया। इससे महामारी को समाप्त किया गया। दूसरी तरह विपक्ष का एलायंस जाति पर राजनीति कर रहा है।
भारत सरकार ने वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल से जल पहुंचाना है। जल जीवन मिशन के प्रारम्भ के समय, देश में जहां करीब सवा तीन करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति होती थी, वहीं अब करीब बारह करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है। इस मिशन से गांव के लोगों को स्वच्छ पानी पीने के लिए मिल रहा है, जिससे जल-जनित बीमारियों में उल्लेखनीय कमी आई है। नल से घर-घर जल की आपूर्ति ने पानी की बर्बादी को तो रोका ही है, साथ ही उसके दूषित होने की सम्भावना को भी कम किया है। वर्ष 2015 में शुरू की गई ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ इस क्षेत्र में एक बड़ी पहल है। देश में सिंचित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए यह राष्ट्रव्यापी योजना लागू की जा रही है। जल संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप यह योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ सुनिश्चित करने के लिए सटीक-सिंचाई और जल संरक्षण तकनीक को अपनाने की भी परिकल्पना करती है। सरकार ने जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबन्धन को बढ़ावा देने के लिए ‘जल शक्ति अभियान’ शुरू किया है, जिसके अन्तर्गत पारम्परिक और अन्य जल निकायों का नवीनीकरण, बोरवेल का रीयूज और रीचार्ज, वॉटरशेड विकास और गहन वनरोपण द्वारा जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
बताते हैं कि महात्मा गांधी काशी में श्री विश्वनाथ धाम के दर्शन हेतु आए थे। उन्होंने वहां पर्याप्त स्वच्छता न होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। उन्होंने लिखा था कि प्रत्यक्ष देखने से जो निराशा हुई वह धारणा से अधिक थी। संकरी फिसलन भरी गली से होकर जाना पड़ता था। शांति का कहीं नाम नही। मक्खियां चारों ओर भिनभिना रही थीं। यात्रियों और दुकानदारों का हो हल्ला असह्य था। जिस जगह मनुष्य ध्यान और भगवत चिंतन की आशा रखता हो, वहां उसका नामोनिशान नही। मंदिर पर पहुंचते ही मैंने देखा कि दरवाजे के सामने सड़े हुए फूल पड़े थे और उनमें से दुर्गंध निकल रही थी। नरेंद्र मोदी ने श्री काशी विश्वनाथ धाम का भव्य निर्माण करा दिया। अब यहां स्वच्छता है। रिकार्ड संख्या में तीर्थ यात्री पहुँच रहे हैं।
महात्मा गांधी का दृष्टिकोण मानवतावादी था। उनका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र मात्र कराना नहीं था,बल्कि इससे भी आगे बढ़ कर वह सभी का कल्याण भी चाहते थे। गांधी दर्शन इसी के अनुरूप है। इसमें मानव कल्याण के शास्वत जीवन मूल्य समाहित है। इस लिए उनके विचार आज भी प्रासंगिक है। स्वच्छता, स्वदेशी और स्वावलंबन गांधी जी द्वारा बताये गये ऐसे मंत्र है,वर्तमान परिस्थितियों के समाधान में सहायक हो सकते हैं। गांधी जी के अर्थ दर्शन पर अमल की आवश्यकता है। इसके अनुरूप चुनौती, परिस्थिति और संसाधन को मिलाकर अवसर में विकसित किया जा सकता है। गांधी जी कुटीर और ग्रामीण उद्योग को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण मानते थे। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए वोकल फाॅर लोकल पर जोर दिया है।
भारत में संसाधन की कमी नहीं हैं। इसके बल पर विभिन्न प्रकार के उपयोगी सामान विश्व स्तर के बनाये जा सकते हैं। देश में असंख्य कुशल हाथ हैं,जिनका उपयोग करके प्राकृतिक संपदाओं से बहुत कुछ बनाया जा सकता है। गांधी जी ने अपने विचारों के माध्यम से राजनैतिक, दार्शनिक, सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। उन्होंने दबे कुचले दलित वर्ग के लोगों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं छुआ छूत का विरोध किया। उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल किया। गांधी जी ने जनसामान्य को साफ सफाई की महत्ता बताने के साथ ही स्वच्छता के लिये प्रेरित भी किया था नरेन्द्र मोदी भी इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए गाँधी जी को उनकी एक सौ पचासवीं जयन्ती पर स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आन्दोलन का रूप दिया। महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज्य की कल्पना की थी। वह चाहते थे कि हर गांव एक आत्मनिर्भर इकाई बने। ग्रामीण विकास के गांधी जी के इसी सपने को मोदी सरकार पूरा कर रही है। गांधी जी शिक्षा को रोजगार के साथ जोड़कर देखते थे। शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो लोगों को रोजगार दे सके। सरकार का कौशल विकास मिशन इसी दिशा में एक मजबूत कदम है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने सत्रह प्रस्तावों में गांधी चिंतन का ही समावेश है। गांधी जी ऐसा समाज चाहते थे जिसमें गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, बीमारी, असमानता भुखमरी न हो। अंत्योदय का मूलमंत्र भी यही है। इसी के मद्देनजर नरेंद्र मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत,मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, जैसी योजनाएं लागू की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्राम स्वावलम्बन के लिए जनधन खातों के माध्यम से वित्तीय समावेशन के साथ सभी व्यक्तियों को जोड़ने के लिए अभियान चलाया था। स्वच्छ भारत मिशन, स्वस्थ भारत के साथ नारी गरिमा की रक्षा का माध्यम भी बना है।
प्रधानमंत्री ने देश को आत्म निर्भर भारत का मंत्र दिया। इसका अर्थ है कि जो लोकल है,उसके लिए हम वोकल बने। खादी भारत के स्वावलम्बन, स्वदेशी तथा सम्मान का आधार बनी थी। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे कार्यक्रम बापू के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार कर रही है। आत्मनिर्भर गांव तथा स्वावलम्बन का आधार बन रहेे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार एक जनपद एक उत्पाद योजना संचालित है।
यह आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने का अभियान है। इसकी आत्मा स्वदेशी है। यह आत्मनिर्भर भारत का आधार बन रही है।इसने लाखों लोगों को आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन की अग्रसर किया है। विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के माध्यम से गांव के हस्तशिल्पी तथा कारीगरों को सम्मान देकर एवं उन्हें टूल किट उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह सभी स्वदेशी एवं स्वावलम्बन का ही भाग है। स्वस्थ भारत, स्वच्छ भारत मिशन का की परिणाम है। पहले इस मौसम में अलग-अलग स्थानों पर इंसेफेलाइटिस, डेंगू, मलेरिया, कालाजार तथा चिकनगुनिया जैसी बीमारियां हजारों लोगों को निगल लेती थीं। स्वच्छ भारत मिशन के परिणाम स्वरूप यह बीमारियां बहुत कम हुई है। स्वच्छ भारत मिशन राष्ट्रीय क्षति को बचाने का माध्यम बना है। (हिफी)
(डॉ दिलीप अग्निहोत्री-हिफी फीचर)