विदेश

क्वाड शिखर सम्मेलन का संदेश

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

भारत अमेरिका जापान और आस्ट्रेलिया ने चीन की विस्तारवादी नीति पर अंकुश लगाने के लिए ही क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग अर्थात क्वाड के नाम से एक संगठन बनाया है। इस बार क्वाड की मेजबानी भारत कर करनी थी लेकिन राष्ट्रपति बाइडेन के विशेष आग्रह पर क्वाड शिखर सम्मेलन अमेरिका के विलमिंगटन में 19 सितंबर से आयोजित किया गया। शिखर सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संबोधित किया। क्वाड की उपयोगिता पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि क्वाड का एक साथ काम करना मानवता के लिए बेहद जरूरी है। क्वाड समूह ने चीन को किनारे लगा दिया है और बीजिंग के क्षेत्र पर हावी होने के प्रयासों को चुनौती दी है। चीन क्वाड से सावधान है, क्योंकि वह इसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने लिए चुनौती के रूप में देखता है और मानता है कि यह समूह उसे वैश्विक नेता बनने से रोकने की रणनीति है। वहीं, बाइडेन ने शिखर सम्मेलन में क्वाड सदस्यों का स्वागत किया और इस समूह को और अधिक शक्तिशाली बनाने की अपील की। बैठक के दौरान पीएम मोदी ने चीन का नाम लिये बिना कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। एक स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत हमारी प्राथमिकता है। क्वाड साझेदारी और सहयोग के लिए है और यह संगठन लंबे समय तक बना रहता। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने तो तकनीक की गलती से ही सही चीन को खुलकर संदेश दिया है । बाइडन यहां बेहद धीमी आवाज में आपस में कुछ बात कर रहे थे, लेकिन उनकी पूरी बात वहां लगी माइक में पकड़ी गई और सबने उसे सुन लिया। इस क्वाड समिट में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की गुस्ताखियों से निपटने में भारत का लोहा माना। हालांकि इसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति चीन को लेकर कुछ कह रहे थे, जो सुर्खियों में आ गया। बाइडन यहां बेहद धीमी आवाज में चीन के रवैये के प्रति अपनी नाराजगी जता रहे थे, लेकिन उनकी वह बात माइक में पकड़ी गई और सबने उसे सुन लिया।जो बाइडन के होम टाउन विलमिंगटन में हुई क्वाड लीडर्स समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया।
चार देशों के रणनीतिक मंच क्वाड में जापान, भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं और इसका पूरा नाम क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है। इस क्वाड का फोकस हिंद-प्रशांत महासागर पर है, जहां चीन लगातार अपना दबदबा बढ़ा रहा हय। गौरतलब है कि क्वाड का घोषित उद्देश्य सुरक्षा, व्यापार और मानवीय सहायता जैसे कई मुद्दों पर एक-दूसरे की मदद करना है, जिससे एक स्वतंत्र, खुला और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा मिले। हालांकि, इसका छिपा उद्देश्य हिंद-प्रशांत के समुद्री मार्गों पर चीन के प्रभुत्व को खत्म करना और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। क्वाड जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे, आपदा राहत, साइबर सुरक्षा, महामारी और शिक्षा जैसे मौजूदा मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। सीमा विवाद और हिंद महासागर में चीनी सेना की बढ़ती गतिविधियों के कारण भारत के चीन के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं। ऐसे में भारत के लिए क्वाड का महत्व बढ़ गया है। यह भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन का मुकाबला करने में ऐसे समय में मदद कर रहा है जब भारत इस क्षेत्र में एक प्रमुख सुरक्षा शक्ति के रूप में उभर रहा है।
अमेरिका के लिए भी चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति और क्षेत्रफल चिंता का विषय है और अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में रूस के साथ चीन को रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी बताया है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार, अर्थव्यवस्था और तकनीक जैसे मुद्दों पर भी टकराव है। पिछले कई सालों से जापान चीन से सबसे ज्यादा परेशान है, क्योंकि बीजिंग अपनी सीमाओं और अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करता है, जो जापान के लिए चिंता का विषय है। इसके अलावा अर्थव्यवस्था, तकनीक और व्यापार को लेकर भी दोनों देशों के बीच तनातनी है।
चीन को भी क्वाड के इरादे पता हैं। इसलिए उसने क्वाड पर टिप्पणी की थी। चीन ने कहा अब तक, बीजिंग ने क्वाड चुनौती का प्रभावी जवाब देने के लिए संघर्ष किया है। समूह के बारे में चीन की चिंताओं और आशंकाओं का अंदाजा 2020 में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की इन टिप्पणियों से लगाया जा सकता है, जब उन्होंने इंडो-पैसिफिक नाटो बनाने के प्रयास की आलोचना की थी और कहा था कि क्वाड की इंडो-पैसिफिक रणनीति क्षेत्र के लिए एक बड़ा अंतर्निहित सुरक्षा जोखिम है
हालांकि क्वाड की तरफ से कहा गया है कि क्वाड पहल अर्थात क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग चार देशों की एक रणनीतिक बैठक है। संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए), भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान इसके सदस्य हैं। क्वाड के प्राथमिक उद्देश्यों में
से एक भारत-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा
देना है जो स्वतंत्र, खुला, समृद्ध और समावेशी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 सितंबर को अमेरिका के विलमिंगटन में क्वाड के छठे लीडर्स समिट में हिस्सा लिया। इसकी मेजबानी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने की। सम्मेलन में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शिरकत की। पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति बाइडेन को शिखर सम्मेलन की मेजबानी और क्वाड को मजबूत करने में उनकी व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के लिए धन्यवाद दिया। पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया तनाव और संघर्ष के दौर से गुजर रही है, क्वाड का साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ आगे बढ़ना मानवता के लिए अहम है। उन्होंने कहा कि चार देशों का यह समूह संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान को बनाए रखने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की कोशिश करता रहेगा। उन्होंने कहा कि क्वाड का साझा मकसद एक स्वतंत्र,समावेशी और समृद्ध इंडो-पसिफिक भी है। पीएम मोदी ने कहा कि क्वाड ‘वैश्विक भलाई की ताकत’ बना हुआ है। क्वाड चार देशों- भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका को एक साथ लाता है। इस साल क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की बारी भारत की थी लेकिन वाशिंगटन के अनुरोध के बाद, भारत अगले साल शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने पर सहमत हो गया। भारत 2025 में क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी करेगा।
इस समिट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने क्वाड नेताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि शी जिनपिंग घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चीन में अशांति को कम करना चाहते हैं. ’वहीं जब शिखर सम्मेलन खत्म हो गया और पत्रकार वहां से निकल रहे थे, तभी वहां लगी हॉट माइक पर बाइडन की बात पकड़ी गई. इसमें वह कहते सुने गए कि चीन उनका इम्तेहान ले रहा है। ऐसी कई तरह की हरकतें कर रहा है, जो हमारी परीक्षा लेने जैसा है। बाइडन को यह कहते हुए सुना गया कि ‘मेरे विचार से, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग चीन के हितों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए अपने लिए कुछ कूटनीतिक स्थान खरीदना चाहते हैं।’ बाइडन ने कहा कि चीन ‘आर्थिक और टेक्नोलॉजी सहित कई मोर्चों पर पूरे क्षेत्र में हम सभी का इम्तेहान लेते हुए अपना आक्रामक व्यवहार जारी रखे हुए है’।हालांकि बाद में अमेरिका के एक सीनियर प्रशासनिक अधिकारी ने इस गलती को कमतर आंकने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मेरे पास इस पर विस्तार से बताने के लिए बहुत कुछ है । यह पहले जो कहा गया है, उसी लाइन पर है और मुझे नहीं लगता कि यह बहुत आश्चर्य की बात होगी कि हमारे मन की बात हमारी जुबान से मेल खाती है।’बता दें कि चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में उग्र रूप से विवादित क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। यह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपने हक का दावा करता है, जिसे लेकर वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान जैसे देशों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं। वहीं भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह क्वाड या एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को बनाए रखने की वकालत करती है। हालांकि चीन का दावा है कि क्वाड का मकसद उसके विकास को रोकना है। (हिफी)

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