राजा भैया के सियासी संकेत

इसी साल के प्रारंभ में जब उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए मतदान हुआ था, तब जनसत्ता दल के अध्यक्ष और दबंग विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 8वें उम्मीदवार को विजय श्री दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यूपी की 403 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 252 सपा के 108 और कांग्रेस के 2 विधायक हैं। राज्यसभा प्रत्याशी को जिताने के लिए 37 वोट प्रत्येक को चाहिए थे क्योंकि चुनाव के समय विधानसभा में कुल 399 सदस्य थे। राजा भैया ने तब अपने विधायकों को भाजपा के पक्ष में मतदान करने को कहा था। सपा तीन सीटें जीत सकती थी लेकिन 2 ही जीत पायी। भाजपा 8 सीटें जीती थी। यह वाक्या इसलिए याद आया क्योंकि 18वीं लोकसभा चुनाव के मतदान के चार चरण पूरे होने के बाद पूर्वांचल की सीटों पर मतदान होना है और उनमें कौशाम्बी व प्रतापगढ़ सीटें भी शामिल हैं। माना जा रहा था कि राजा भैया भाजपा के पक्ष में फिर से फरमान जारी करेंगे लेकिन 15 मई को उन्होंने किसी को भी समर्थन न देने का ऐलान कर दिया। अपने मतदाताओं से कहा कि जिसको मन हो, उसको मतदान करो। कौशाम्बी व प्रतापगढ़ की सीट पर रघुराज प्रताप सिंह का ज्यादा प्रभाव है। इसलिए उनके फरमान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। इससे पहले राजाभैया की भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से बात भी हुई थी। राजाभैया चाहते थे कौशाम्बी से भाजपा अपना प्रत्याशी बदल दे। कौशाम्बी में भाजपा और सपा ने जो प्रत्याशी खड़े किये हैं, उनसे राजा भैया के रिश्ते अच्छे नहीं बताये जाते। यह भी एक कारण माना जाता है लेकिन राजा भैया के फरमान से कौशाम्बी और प्रतापगढ़ के चुनाव पर असर जरूर पड़ेगा।
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के मतदान से पहले यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं राजा भैया। राजा भैया ने चुनाव से ठीक पहले ऐलान किया है कि उनकी पार्टी इस बार के लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को अपना समर्थन नहीं देगी। इन सीटों पर राजा भैया का सबसे ज्यादा प्रभाव है। ऐसे में राजा भैया का किसी पार्टी को समर्थन न देने के ऐलान से ये तो साफ है कि जो बिरादरी राजा भैया के साथ है, उनका एकमुश्त वोट अब किसी एक पार्टी के खाते में नहीं जाएगा। अगर ऐसे में कहें कि राजा भैया के एक फैसले ने भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य पार्टी का सारा गणित ही बिगाड़ दिया है, तो कुछ गलत नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के कुंडा से मौजूदा विधायक राजा भैया सीएम योगी के सत्ता में आने के वक्त से ही बीजेपी को अपना समर्थन देते आए हैं। ऐसे में इस बार मतदान से ठीक पहले उनका यह फैसला बीजेपी के लिए भी हैरान करने वाला है। राजा भैया ने यह घोषणा की कि उनकी पार्टी जनसत्ता दल इस बार लोकसभा चुनाव में किसी भी दूसरी पार्टी को अपना समर्थन नहीं देगी। साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से भी खास अपील की। उन्होंने कहा कि आपका वोट किस पार्टी को जाएगा ये मैं आपकी समझदारी पर छोड़ता हूं। मतदान करते समय समझदारी से उम्मीदवारों का चुनाव करना।
राजा भैया के इस ऐलान के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। राजनीति के जानकार इस ऐलान को कई पार्टियों को होने वाले नुकसान के तौर पर भी देख रहे हैं। दरअसल, चुनाव के पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें कौशांबी और प्रतापगढ़ की सीट भी शामिल हैं। कौशांबी और प्रतापगढ़ सीट पर चुनाव से ठीक पहले राजा भैया द्वारा किसी पार्टी को समर्थन न देने का ऐलान कई राजनीतिक पंडितों को हैरान कर गया। लेकिन अगर पर्दे के पीछे की कहानी को देखें तो पता चलेगा कि राजा भैया के इस फैसले के पीछे एक अहम वजह है। दरअसल, कौशांबी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने इस बार विनोद सोनकर को मैदान में उतारा है।
जबकि समाजवादी पार्टी ने पुष्पेंद्र सरोज को मैदान में उतारा है। पुष्पेंद्र सरोज पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज के बेटे हैं। वहीं, अगर बात प्रतापगढ़ सीट की करें तो भाजपा ने संगम लाल गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं इस सीट से समाजवादी पार्टी ने एसपी सिंह पटेल मैदान में है।
प्रतापगढ़ सीट के बीजेपी प्रत्याशी संगम लाल के साथ भी रिश्ते ठीक नहीं हैं। समय-समय पर विनोद सोनकर खुलकर राजा भैया का विरोध करते रहे हैं। वहीं इंद्रजीत सरोज ने भी कई बार राजा भैया के खिलाफ मोर्चा खोला है। अब ऐसा माना जा रहा है कि इंद्रजीत सरोज से रिश्ते सुधर रहे हैं।
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कौशांबी लोकसभा सीट पर कुल 1787120 मतदाता थे, जिन्होंने भाजपा प्रत्याशी विनोद कुमार सोनकर को 383009 वोट देकर जिताया था। उधर, सपा उम्मीदवार इंद्रजीत सरोज को 344287 वोट हासिल हो सके थे और वह 38722 वोटों से हार गए थे। उत्तर भारत के सबसे अहम और हिन्दी बेल्ट की जान कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश राज्य में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से एक है कौशांबी संसदीय सीट, जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान इस सीट पर सपा प्रत्याशी इंद्रजीत सरोज दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 344287 वोट मिले थे, जो संसदीय सीट के कुल मतदाताओं में से 19.26 प्रतिशत का समर्थन था, और उन्हें कुल डाले गए वोटों में से 35.31 प्रतिशत वोट मिले थे।
कौशाम्बी लोकसभा सीट के लिए कुंडा और बाबागंज विधानसभा क्षेत्र भाजपा की राह में रोड़ा अटका सकते हैं। भले ही भाजपा प्रत्याशी पिछले चुनावों में जीत गए हों, लेकिन यहां से कम वोट मिले थे। इसलिए पार्टी प्रंबधन ने इस बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा बाबागंज विधानसभा क्षेत्र के हीरागंज में रखी। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया का इस क्षेत्र में प्रभाव है। दोनों विधायक उन्हीं के हैं। उन्हें साधना भी भाजपा जरूरी समझ रही थी क्योंकि टिकट के बंटवारे के बाद वह नाराज चल रहे थे। राज्यसभा और विधानपरिषद के चुनाव में बीजेपी की मदद करने के सवाल पर राजा भैया ने कहा कि जब भी कोई संदेश आया, हमने बिना किसी नखरे, मांग और शर्त के उनको वोट किया। कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सवाल पर राजा भैया ने कहा कि मतदाता असमंजस की स्थिति में है। बहुत स्पष्ट नहीं है। ऐसी स्थिति में लोग पूछते हैं तो हमने कहा कि बिना लोगों से बात किए कोई निर्णय नहीं होगा।
आंकड़ों पर गौर करें तो कौशाम्बी लोकसभा क्षेत्र की पांच सीटों में से कुंडा और बाबागंज विधानसभा क्षेत्र में कुल 6.88 लाख से अधिक मतदाता हैं। इसमें भी दलित मतदाताओं का वोट सर्वाधिक है। इसके बाद दूसरे नंबर पर ओबीसी वर्ग के मतदाता हैं। भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर न्याय पंचायतवार नुक्कड़ सभाएं कर लोगों को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। शाह की सभा के ठीक पहले उन्होंने राजा भैया के गढ़ बेंती में नुक्कड़ सभा की। तकरीबन 40 से अधिक नुक्कड़ सभाओं की तैयारी है।
राजाभैया ने 2019 के चुनाव में सपा के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराये थे। अब राजाभैया सपा नेता को माफ करने का मन बना लिया है और इस मुकदमे को वापस लेने की तैयारी कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भी राजाभैया ने भाजपा को समर्थन न देकर सपा की ओर बढ़ रहे झुकाव का संकेत दिया है। चर्चा यह भी है कि राजाभैया ने समर्थकों से सपा प्रत्याशी पुष्पेंद्र सरोज के साथ जुटने के लिए संकेत दिया है। (हिफी)
(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)