राजस्थान कांग्रेस को मिली संजीवनी

राहुल गांधी की राजस्थान यात्रा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की राजस्थान यात्रा से कांग्रेस पार्टी को नई संजीवनी मिली है। आपसी गुटबाजी में फंसी राजस्थान कांग्रेस के सभी नेता राहुल गांधी की यात्रा के बाद एक साथ मिलकर पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करने लगे हैं। लोकसभा की सदस्यता पुनः बहाल होने के बाद राहुल गांधी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित आदिवासियों के तीर्थ स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त मानगढ़ धाम में एक बड़ी जनसभा कर राजनीति के कई समीकरण साधे हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के आदिवासी समाज की मानगढ़ धाम के प्रति अगाध श्रद्धा है। इन चारों प्रदेश के आदिवासी समाज के लोग मानगढ़ धाम को एक बड़े तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं और यहां आकर दर्शन करते हैं। आठ महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मानगढ़ धाम में एक जनसभा को संबोधित किया था। राहुल गांधी के दौरे को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे की काट के रूप में देखा जा रहा है।

इसी साल के अंत में राजस्थान व मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव होने हैं। राजस्थान विधानसभा की 25 और मध्यप्रदेश विधानसभा की 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। राहुल गांधी ने मानगढ़ धाम में जनसभा को संबोधित कर इन 72 विधानसभा सीटों पर निशाना साधा है। आदिवासी समाज कभी कांग्रेस के कोर वोट हुआ करते थे। मगर धीरे-धीरे भाजपा ने उनमें सेंध लगा दी। अपने कोर वोटरों को फिर से कांग्रेस से जोड़ने के लिए ही राहुल गांधी ने आदिवासी क्षेत्र में जनसभा कर उनसे एक बार फिर भावनात्मक रिश्ता बनाने की कोशिश की है। जनसभा में अपने भाषण में भी राहुल गांधी ने अपनी दादी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की चर्चा कर आदिवासी समाज को इंदिरा गांधी से उनके संबंधों को याद दिलाने का प्रयास किया है।
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2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के 13.5 प्रतिशत मतदाता है, जिनके लिए 200 में से 25 विधानसभा सीटें आरक्षित है। राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें सिर्फ 11 जिलों तक ही सीमित है। इनमें उदयपुर जिले में पांच, बांसवाड़ा जिले में पांच, डूंगरपुर जिले में चार, जयपुर, करौली व प्रतापगढ़ जिलों में दो-दो तथा अलवर, दौसा, सवाई माधोपुर, सिरोही व बारां जिले में एक-एक विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। उदयपुर डिवीजन में सबसे अधिक 16 विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित है जिनमें वर्तमान में भाजपा के पास आठ, कांग्रेस के पास पांच, भारतीय ट्राइबल पार्टी के पास दो व निर्दलीय के पास एक सीट है।
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2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित 25 सीटों में से कांग्रेस ने सबसे अधिक 12 विधानसभा सीटें जीती थीं वहीं भाजपा ने नौ, भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो व दो सीटों पर निर्दलीय जीते थे लेकिन कांग्रेस का इस बार पूरा प्रयास है कि आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित सभी 25 विधानसभा सीटों को जीता जाए। इसीलिए कांग्रेस ने अपने 12 आदिवासी सीटों पर जीते विधायकों में से पांच को मंत्री बनाया हैं। विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ होने से पहले ही कांग्रेस ने सबसे पहले बड़ी रैली भी आदिवासी बहुल क्षेत्र में ही करवाई है ताकि आदिवासी वोटों को फिर से कांग्रेस के साथ जोड़ा जा सके।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार ने आदिवासी वोटों को साधने के लिए आदिवासी बहुल उदयपुर जिले में सलूंबर को नया जिला तथा बांसवाड़ा को नया संभाग मुख्यालय बनाया है। बांसवाड़ा संभाग के बांसवाड़ा, डूंगरपुर व प्रतापगढ़ जिलों में कुल 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है जिसमें अभी कांग्रेस के चार, भाजपा के चार, भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो व एक सीट पर निर्दलीय विधायक है। 11 सीटों को ध्यान में रखकर ही कांग्रेस पार्टी ने बांसवाड़ा जैसे छोटे जिले को संभाग मुख्यालय बना दिया है।
उदयपुर संभाग में नवगठित बांसवाड़ा संभाग में आदिवासी मतदाताओं में भारतीय ट्राईबल पार्टी ने भी तेजी से अपनी पैंठ बनाई है। पिछले विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही गुजरात के आदिवासी नेता छोटूभाई वसावा ने भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन कर राजस्थान की कुछ सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और डूंगरपुर जिले की दो सीट सागवाड़ा व चैरासी पर भारतीय ट्राइबल पार्टी के रामप्रसाद व राजकुमार रोत विजयी हुए थे।
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हालांकि पांच साल तक भारतीय ट्राइबल पार्टी के दोनों विधायकों ने कांग्रेस की सरकार का समर्थन किया था और बदले में जमकर सरकारी लाभ भी उठाया था जिससे उनके संघर्ष में कमी आने से क्षेत्र में उनकी पकड़ कमजोर हुई है। गुजरात में भी भारतीय ट्राइबल पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष छोटूभाई वसावा बुरी तरह से चुनाव हार चुके हैं। कांग्रेस पार्टी इसी का फायदा उठाकर भारतीय ट्राईबल पार्टी समर्थकों को भी कांग्रेस से जोड़ने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भारतीय ट्राइबल पार्टी से जीते दोनों विधायक यदि कांग्रेस में शामिल होते हैं तो उनको पार्टी का प्रत्याशी बनाया जा सकता है। कांग्रेस स्टेयरिंग कमेटी के सदस्य, राजस्थान सरकार में मंत्री व सांसद रह चुके रघुवीर मीणा के विधानसभा क्षेत्र सलूंबर को भी जिला बना दिया गया है। रघुवीर मीणा पिछले कई चुनाव हार चुके हैं। उन्हें जिताने के लिए ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सलूंबर जैसे छोटे से क्षेत्र को जिला बना दिया है।
राजस्थान में इस आदिवासी क्षेत्र के आदिवासियों ने गोविंद गुरु की अगुवाई में अंग्रेजो के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ी थी, जिसमें अंग्रेजों द्वारा करीबन 1500 आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया गया था। उनकी याद में ही मानगढ़ पहाड़ी पर एक स्मारक बनाया गया है जिसे मानगढ़ धाम कहा जाता है। आदिवासी समाज में मानगढ़ धाम के प्रति बहुत श्रद्धा को देखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित सभी पार्टियों के बड़े नेता इस स्थान पर आते रहें हैं।
आदिवासी समाज के लोग कभी कांग्रेस के समर्थक हुआ करते थे। मगर 1990 के बाद धीरे-धीरे भाजपा ने उनमें अपनी पैठ बनाली और आदिवासी बहुल बहुत सी सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीतने लगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अच्छी तरह से पता है कि राजस्थान में अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं के समर्थन के बिना सरकार बनाना मुश्किल ही नहीं असंभव है। इसीलिए वह आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए लगातार प्रयत्न कर रहे हैं। गहलोत सरकार द्वारा आदिवासी कल्याण के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की गई है। राहुल गांधी का आदिवासी बहुल मानगढ़ का दौरा करना भी उनके साथ सीधा संवाद स्थापित करने के रूप में देखा जा रहा है। (हिफी)
(रमेश सर्राफ धमोरा-हिफी फीचर)