राजनीतिलेखक की कलम

राम माधव को जम्मू-कश्मीर की कमान

 

लोकसभा चुनाव-2024 मंे भाजपा और संघ के रिश्ते को लेकर भी सवाल उठे थे और इन सवालों को चुनाव के नतीजों से भी जोड़ा गया था। हालांकि संघ और भाजपा के नेताओं की तरफ से सफाई भी दी गयी थी लेकिन नाराजगी पूरी तरह दूर नहीं हुई थी। अब इसी साल चार राज्यों मंे विधानसभा के चुनाव होने हैं। सबसे पहले दो राज्योें के लिए मतदान की तारीखें घोषित की गयी हैं। इनमंे भी सबसे पहले जम्मू-कश्मीर मंे मतदान प्रारम्भ होगा। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा मंे विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। भाजपा के लिए जम्मू-कश्मीर का चुनाव सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि 5 अगस्त 2019 को यहां से विशेषाधिकार वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी किया गया था और जम्मू-कश्मीर व लद्दाख को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। इस प्रकार वहां की सरकार अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा ही चला रही है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दावा भी किया है कि पिछले पांच साल में राज्य मंे अमन-शांति कायम हुई है और राज्य मंे विकास के कार्य भी हुए हैं। अब इसकी परीक्षा विधानसभा चुनाव में होनी है। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा मंे 18 सितम्बर, 25 सितम्बर और 1 अक्टूबर को तीन चरणों मंे वोट डाले जाएंगे। इसलिए भाजपा वहां पुख्ता इंतजाम करने मंे लगी है। संघ से भाजपा में आये राम माधव को वहां की कमान सौंपी गयी है। राम माधव ने 2014 से 2019 के दौरान भाजपा और पीडीपी की गठबंधन सरकार बनाने मंे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वर्तमान में राम माधव इंडिया फाउंडेशन नामक थिंक टैंक के अध्यक्ष हैं। उनके अनुभव का लाभ भाजपा को मिलेगा। इसके साथ ही संघ को यह शिकायत भी नहीं रहेगी कि भाजपा संघ की उपेक्षा करने लगी है।

बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख पदाधिकारी राम माधव को जम्मू-कश्मीर का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री और तेलंगाना से पार्टी अध्यक्ष जी किशन रेड्डी को भी जम्मू-कश्मीर का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया है। जम्मू-कश्मीर का प्रभारी पद संभालते ही राम माधव एक बार फिर सक्रिय राजनीति में वापस लौट आए हैं। पार्टी की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने माधव और रेड्डी को जम्मू-कश्मीर के चुनाव प्रभारी के रूप में नियुक्त किया है। इसमें कहा गया है कि यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। सूत्रों के मुताबिक माधव की वापसी पर पिछले कुछ दिनों में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने चर्चा की थी और उन्हें लगा कि पार्टी को इस क्षेत्र के प्रभारी के रूप में उनके अनुभव का लाभ उठाना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भाजपा में आए राम माधव की जम्मू-कश्मीर में भी अहम भूमिका रही है। 2014-19 के दौरान भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार बनाने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस गठबंधन सरकार में मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने थे और भाजपा को उपमुख्यमंत्री का पद मिला था। देश में 2019 में हुए आम चुनाव में भाजपा की जीत के बाद नड्डा को जब अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्होंने राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम में माधव को शामिल नहीं किया था। वर्तमान में राम माधव इंडिया फाउंडेशन नामक थिंक टैंक के अध्यक्ष हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए तीन चरण में चुनाव होंगे। 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और चार अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। बीजेपी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख पदाधिकारी राम माधव को जम्मू-कश्मीर का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। इस पूर्ववर्ती राज्य में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त किए जाने के बाद लगभग एक दशक बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में पहले चरण में 24 सीटों पर जबकि दूसरे और तीसरे चरण में क्रमशः 26 और 40 सीटों पर मतदान होगा। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 के नवंबर-दिसंबर में पांच चरणों में हुआ था। तब यह एक राज्य था और लद्दाख इसका हिस्सा था।

विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रशासित प्रदेश में सरकार बनाने की तगड़ी रणनीति बनाई है। बीजेपी इस चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल से गठबंधन नहीं करेगी। पार्टी की नजर जम्मू की 43 विधानसभा सीटों पर टिकी हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि जम्मू रीजन से उसे करीब 35-37 सीटें मिल सकती हैं। बहुमत के लिए कश्मीर रीजन से जीतने वाले 8-10 निर्दलीय विधायकों पर दांव लगाएगी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के लिए ऐसे चेहरों को मौका देगी, जिनकी उम्र 40 साल से कम होगी। कश्मीर के लिए बीजेपी ने दूसरे दलों के अल्पसंख्यक नेताओं पर नजरें टिका दी हैं। पीडीपी नेता और महबूबा मुफ्ती की सरकार में मंत्री रहे चैधरी जुल्फिकार अली पार्टी बीजेपी में शामिल भी हो गए।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान होते ही राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। केंद्रशासित प्रदेश में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे। 4 अक्टूबर को तय हो जाएगा कि 10 साल बाद हो रहे चुनाव के बाद किसकी सरकार बनेगी। इस बीच बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष रविंदर रैना ने कहा कि पार्टी इस विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेगी। कश्मीर घाटी में पार्टी 8-10 निर्दलीय उम्मीदवारों से बात कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य की पार्टी अपने दम पर कैंडिडेट उतारेगी और सरकार बनाएगी। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, उधमपुर के सांसद जितेंद्र सिंह और भाजपा महासचिव तरुण चुग ने जम्मू में पार्टी नेताओं के साथ चुनावों की रणनीति पर चर्चा की।

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। मुख्य चुनाव राजीव कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों पर तीन चरणों में चुनाव होंगे। वहीं चुनाव परिणाम चार अक्टूबर का आएंगे। चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की सभी 90 सीटों पर तीन चरणों- 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा। चुनाव परिणाम 4 अक्टूबर को आएंगे। बता दें कि कश्मीरी प्रवासियों के लिए दिल्ली, जम्मू और उधमपुर में स्पेशल पोलिंग बूथ बनाए गए हैं। पहले चरण के लिए नामांकन 27 अगस्त, दूसरे चरण के लिए 5 सितंबर और तीसरे चरण के लिए 12 सितंबर से दाखिल किए जाएंगे।मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हमने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में चुनाव तैयारियों का जायजा लेने के लिए दौरा किया था। लोगों में काफी उत्साह देखा गया। वे चुनाव प्रक्रिया में भाग लेना चाहते थे। लोग चाहते हैं कि चुनाव जल्द से जल्द हों।जम्मू-कश्मीर के 90 निर्वाचन क्षेत्रों में 42.6 लाख महिलाओं सहित 87.09 लाख मतदाता हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल 90 निर्वाचन क्षेत्र हैं जिनमें से 74 जनरल, 9 अनुसूचित जाति और 7 अनुसूचित जनजाति के लिए हैं।

उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश में मतदाताओं की संख्या कुल 87.09 लाख हैं जिसमें 44.46 लाख पुरुष और 42.62 लाख महिला मतदाता हैं। जम्मू-कश्मीर में युवा मतदाताओं की संख्या 20 लाख है। जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 को हटाया गया था। आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में 87 सीटों पर हुआ था, जिनमें 4 सीटें लद्दाख की थीं। जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद सात विधानसभा सीटें बढ़ गई हैं। 90 विधानसभा सीटों में से 74 सामान्य, 7 एससी और 9 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। जम्मू-कश्मीर सरकार का कार्यकाल पहले 6 साल होता था, अब 5 साल का होगा। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)

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