लेखक की कलम

वसुंधरा राजे के संदेश का यथार्थ

(अशोक त्रिपाठी-हिफी फीचर)
राजनीति में अब बिना सोचे-समझे भी बयान दिये जाने लगे हैं जिनके चलते पार्टी नेतृत्व को कभी-कभी शर्मिन्दगी झेलनी पड़ती है। इसके विपरीत दिग्गज नेता जब कोई संदेश देते हैं और अपनी वफादारी साबित करने का प्रयास करते हैं, तब उसके तार दूर-दूर तक फैले होते हैं। अभी 25 जून को जब भाजपा ने आपातकाल (इमरजेंसी) के 50 वर्ष पूरे होने पर जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किये, तब उत्तर प्रदेश के आगरा में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा का संदेश दिया। आपातकाल मंे कांग्रेस की करतूत से ज्यादा वसुंधरा राजे का संदेश चर्चित रहा। भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच राजस्थान की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा कि भाजपा ही उनका घर है। यहां से उनकी अर्थी ही जाएगी। वह कहीं भी (अन्य पार्टी मंे) जाने वाली नहीं है। राजनीतिक गलियारे मंे इस पर चर्चा ज्यादा इसलिए हो रही है क्योंकि वसुंधरा राजे को असंतुष्ट नेता माना जाता है। भजन लाल शर्मा की जगह उनको ही मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा हो रही थी। अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस पद पर भी वसुंधरा राजे के नाम की चर्चा हो चुकी हैं इसलिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वसुंधरा राजे के बारे मंे जब कुछ भी कहा जाता है तो राजनीतिकों का ध्यान उधर चला ही जाता है। अभी हाल मंे राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ ऐसा ही बयान दिया था। गहलोत के अनुसार राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटाने की साजिश चल रही है। जाहिर है यह साजिश कांग्रेस की तरफ से नहीं हो सकती क्योंकि उसके पास संख्या बल ही नहीं है, तब इशारा वसुंधरा राजे की तरफ ही जाता है। माना जा रहा है कि वसुंधरा राजे सिंधिया के संदेश का यथार्थ भी यही है कि पार्टी में उनके आलोचकों को जवाब मिल सके।
भाजपा की दिग्गज नेता और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने एक बार फिर अपने विरोधियों को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि वे कहीं नहीं जाने वाली हैं। बीजेपी ही उनका घर है। यहां से उनकी अर्थी ही जाएगी। राजे ने सख्त लहजे में यह संदेश आपातकाल के 50 साल पूरे होने के मौके पर उत्तर प्रदेश के आगरा में आयोजित कार्यक्रम में दिया। कार्यक्रम में उन्होंने आपातकाल पर बरसते हुए कांग्रेस पर जमकर हमले किए। राजे ने कहा कि मैं उन्हीं राजमाता विजय राजे की बेटी हूं जो इंदिरा गांधी के सामने नहीं झुकीं। राजे ने कहा कि मैं ताउम्र उन्हीं की बताई राह पर चलूंगी। भाजपा मेरा घर-परिवार है। जब भी जाएगी यहां से मेरी अर्थी ही जाएगी।
राजे ने आपातकाल के काले
अध्याय के 50वें वर्ष पर आगरा में आयोजित एक कार्यक्रम में बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। राजे ने आपातकाल को लेकर कहा कि इंदिरा गांधी को यह वहम था कि जेल की असुविधाओं से विचलित हो कर महलों की जिंदगी जीने वाली राजमाता एक दो दिन में उनके सामने सरेंडर हो जायेंगी लेकिन राजमाता साहब अपने सिद्धांत पर अडिग थीं। राजस्थान ही नहीं बल्कि देश के दूसरे हिस्सों में भी राजे की कितनी लोकप्रियता है इसका अंदाजा इस कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ को देखकर लगाया जा सकता है। राजे को सुनने के लिए कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बीजेपी कार्यकर्ता जुटे थे। राजे ने कहा कि मेरी मां राजमाता विजय राजे सिंधिया को इंदिरा गांधी ने आपातकाल के समय संदेश दिया कि हमारे साथ आओ वरना जेल जाओ लेकिन मां ने इंदिरा गांधी को कहलवा दिया कि वे न उनसे डरती है और न उनकी जेल से। जनसंघ उनका परिवार है। उसे वे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ सकतीं। एक नहीं 100 इंदिरा गांधी आ जाएं तो भी वो विचारधारा नहीं बदलने वाली। इस दौरान राजे काफी आक्रामक मूड में दिखीं। राजे ने कहा कि मां राजमाता को इंदिरा गांधी ने तिहाड़ जेल भेज दिया था। उनके सभी बैंक खाते भी सीज कर दिए थे। इंदिरा गांधी ने उनको झुकाने के लिए जेल में उन पर खूब जुल्म किए लेकिन राजमाता ने उनको साफ कह दिया कि हश्र कुछ भी हो वे जनसंघ के दीपक की लौ को कम नहीं होने देंगी। राजे ने कहा कि मैं उन्हीं राजमाता की ही बेटी हूं। उन्हीं के सिद्धांतों पर चलूंगी। राजे ने आपातकाल के दौरान के कई किस्से बताए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस वक्त भेष बदलकर जेल में लोकतंत्र के रक्षकों की मदद करते थे। हमारी भाजपा सरकार ने आपातकाल में लोकतंत्र के जिन सेनानियों को जेल में डाला गया था उनके लिए लोकतंत्र सेनानी सम्मान निधि योजना शुरू कर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी है।
वसुंधरा राजे के इस संदेश को अशोक गहलोत के बयान से जोड़ा जा रहा है। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने आज मौजूदा सीएम भजनलाल शर्मा को हटाने के ‘षड़यंत्र’ वाला का बयान देकर सूबे की सियासत में अच्छी खासी हलचल मचा दी है। गहलोत ने यह बयान अपने गृहक्षेत्र जोधपुर में दिया। गहलोत के इस बयान के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या राजस्थान बीजेपी में सबकुछ ठीक चल रहा है या फिर कुछ उठापटक हो रही है? हालांकि अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन राजनीति के जानकारों का कहना है कि यह सियासी ‘उकसावा’ भी हो सकता है। वहीं इसमें भी कोई दोराय नहीं है कि हर पार्टी में चक्रव्यूह तो रचे ही जाते रहते हैं। यह दीगर बात है कि कुछ चक्रव्यूह समय पहले ही टूट जाते हैं और कुछ में किरदार फंसकर रह जाते हैं। इस तरह के कई चक्रव्यूह पूर्व में राजस्थान के सियासी खेल में सामने आ चुके हैं। विधानसभा चुनाव 2023 में राजस्थान में बीजेपी ने धमाकेदार वापसी की थी। सीएम फेस पहले से तय नहीं था। लिहाजा सबकी नजरें इसी बात पर टिकी थीं कि आखिरकार राजस्थान की कमान किसे मिलेगी? जब वह दिन आया तो लोग हैरान रह गए। पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा सीएम पद के दावेदार माने जा रही पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी समेत तमाम दिग्गजों को पछाड़कर अंतिम पंक्ति से प्रथम पंक्ति ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंच गए। सीएम के नाम की घोषणा होते ही भजनलाल शर्मा के साथ तीन शब्द जुड़ गए और वे थे ‘पर्ची वाले सीएम’। बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष
और दिग्गज नेता राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भजनलाल के नाम की घोषणा की गई। सिंह के साथ उस समय मंच पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे भी उपस्थित थीं। हालांकि सभी ने भजनलाल शर्मा का तालियां बजाकर स्वागत किया लेकिन राजे की बॉडी लैंग्वेज को लेकर मीडिया में काफी चर्चा रही। कहा गया कि उस वक्त वह काफी असहज दिखीं।
अब पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भजनलाल शर्मा को हटाने का षड़यंत्र वाला बयान देकर सियासत में भूचाल ला दिया है। गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है। राजस्थान में पूर्व सीएम भैरोंसिंह शेखावत के बाद अशोक गहलोत को काफी खास नेता माना जाता है, जिनकी राजनीति को समझ पाना हर किसी के बूते की बात नहीं है। यही कारण है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में सब कुछ कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट के फेवर में होते हुए भी वे सीएम नहीं पाए। गहलोत की राजनीति का जादू ऐसा चला कि वे फिर से सीएम की कुर्सी पर काबिज हो गए। ऐसे में राजनीति विश्लेषक गहलोत के बयान को गंभीरता से ले रहे हैं। (हिफी)

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