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मजहबी जेहादी मानसिकता

(मनोज कुमार अग्रवाल-हिफी फीचर)

दिल्ली से करीबी हरियाणा के मुस्लिम बहुल जिले नूंह में हिंदू संगठनों द्वारा निकाली जा रही धार्मिक यात्रा को कई सौ हथियारबंद गुंडों ने जिस तरह निशाना बनाकर हिंसा व आगजनी की, वह न सिर्फ कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाना है वरन् एक शांत परम्परागत यात्रा पर हमला कर देश प्रदेश के साम्प्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने की घिनौनी साजिश भी है। नंूह में जिस तरह नियोजित ढंग से हिंसक उपद्रवियों ने पथराव के साथ कई राउंड गोलियां चलाई ऐसा तो जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा पर भी नहीं किया गया वहां सिर्फ आतंकवादी हमले करते थे इस तरह मजहबी जेहादी नहीं। मौजूदा हिंसा में होमगार्ड के दो जवानों समेत छह लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकडों श्रद्धालु व अन्य लोग घायल हुए। हमलावरों की नफरत और विद्वेष भरी हिंसक हमले की तीव्रता व गम्भीरता को इससे समझा जा सकता है कि मौके पर एक डीएसपी के सिर और इंस्पेक्टर के पेट में गोली मारी गई है। मरने वालों में विहिप के कई कार्यकर्ता शामिल हैं। पुलिस प्रशासन को इस यात्रा पर किसी हमले का गुमान नहीं था क्योंकि यह यात्रा हर साल परम्परागत मार्ग पर दशकों से निकाली जाती रही है।
जाहिर है इस बार यह सामान्य यात्रा दिलों में नफरत की आग छिपाए बैठे एक समुदाय विशेष के कट्टरपंथी असामाजिक तत्वों की हिंसा का निशाना बना दी गई हिंसक हमलावरों ने महिलाओं-बच्चों को भी नहीं बख्शा। हजारों लोगों ने मंदिर में छिप कर जान बचाई। यह लोग सात घंटे तक मंदिर परिसर में कैद रहे। देर रात तक 2500 लोगों को मंदिर से निकाला जा सका था।
नफरत की इस हिंसा की तैयारी पहले से गई थी। हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज ने माना है कि पुलिस फोर्स को घटनास्थल पर जाने नहीं दिया गया, जिस कारण केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के सहयोग से तीन कंपनियों को हेलीकॉप्टर से एयरड्राप कराया गया है, ताकि अराजकता के बीच फंसे लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। देर रात तक 500 जवान नूंह पहुंच गए थे। जिले में कफ्र्यू लगाने के साथ ही इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी। जाहिर है कि एक समुदाय के लोगों ने देश के भीतर ही हिन्दू समाज के धार्मिक आयोजन को न सिर्फ नफरत हिंसा व आगजनी में झोंक दिया वरन फंसे लोगों की मदद के लिए पुलिस व फोर्स के पहुंचने के रास्ते भी मोर्चाबंदी कर बंद कर दिए गए। यह अराजकता की चरम स्थिति कही जा सकती है।
जब नल्हड़ स्थित शिवमंदिर में जलाभिषेक करने के बाद यात्रा गांव सिंगार की ओर जा रही थी तभी अराजक तत्वों ने सोची-समझी साजिश के तहत यह हिंसक हमले किए। आततायी भीड़ ने नंूह अनाज मंडी स्थित साइबर क्राइम थाने के परिसर में दर्जनों वाहनों को आग लगा दी। पुलिसकर्मियों ने भागकर जान बचाई। इसके बाद भीड़ ने दर्जनों दुकानों में लूटपाट की। उपद्रवियों ने बहुत से वाहन फूंक दिए 50 से अधिक निजी और सरकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। कुछ ही देर में हिंसा पूरे नूंह जिले में फैल गई। विहिप के केंद्रीय संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने बताया कि उन्हें निशाना बनाकर चलाई गई गोली उनके सिर के पास से होकर निकली, जिसमें वह बाल-बाल बच गए, लेकिन उनकी गाड़ी को उपद्रवियों ने फूंक दिया। उन्होंने कहा कि सूचना के बावजूद पुलिस की कोई तैयारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि वे लोग मंदिर में सुरक्षित थे, लेकिन मंदिर से बाहर निकालकर पहाड़ के नीचे खेतों में खड़ा कर दिया गया, जबकि ऊपर से गोलियां बरसाई जा रही थीं।
मिली रिपोर्ट्स के अनुसार मेवात में सावन के महीने जलाभिषेक यात्रा लम्बे समय से निकलती आ रही है। पूर्व तक इसमें मुस्लिम समाज के लोग भी सहयोग देते थे, लेकिन इस बार मजहबी जेहादी लोगों ने इस यात्रा पर हमला कर दशकों के सौहार्द को हिंसा में तब्दील कर दिया। यह यात्रा नूह के नल्हड़ महादेव मंदिर से शुरू होकर पुन्हाना के भंगार मंदिर में खत्म होनी थी। तय मार्ग के मुताबिक यह यात्रा नूह स्थित मनसा देवी मंदिर पहुंचती फिर झीर मंदिर फिरोजपुर झिरका जाती और वहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन व जलाभिषेक के बाद यात्रा पुन्हाना के गार मंदिर के लिए रवाना होती।
सवाल उठता है कि ये कौन मजहबी जेहादी लोग हैं जो आज एक धर्म निरपेक्ष शासन व्यवस्था में सोलहवीं सदी की हमलावर लुटेरी व तलवार के बल पर दूसरे धर्म समुदाय को नियंत्रित करने व नष्ट करने की मानसिकता को पाले बैठे हैं और देश भर में समय समय पर हिन्दू समुदाय के पर्व त्योहार व विशेष आयोजनों पर हमले व हिंसा कर खून खराबे पर आमादा हो जाते हैं। क्या वजह है कि मुट्ठी भर मजहबी जेहादी तालिबानी मानसिकता के असामाजिक तत्व बहुसंख्यक समाज के पूजा स्थलों व संस्थानों, कार्य स्थलों रिहायशी मकानों पुलिस थानों और वाहनों तक को तोड़ फोड़ कर आग के हवाले करते हैं? यह कोई एक बार की वारदात नहीं है गाहे-बगाहे हर दो चार महीने के अंतराल पर देश के किसी न किसी हिस्से में इस तरह के मजहबी उन्माद की पुनरावृत्ति की जाती है। कथित सेकुलर राजनीति के अलंबरदार ऐसी जेहादी घटनाओं पर बगले झाकते है या प्रतिक्रिया बतौर हुयी जवाबी वारदात को मुद्दा बनाकर बैलेंस करने के लिए आगे आ जाते हैं। यह पिछले सात दशक से हो रहा है। तमाम घटनाएं प्रमाण हैं कि अभी भी कुछ लोग औरंगजेब और गजनी गौरी की आतंकी मानसिकता को पाले हुए हैं और उसी तर्ज पर अन्य धर्मावलंबियों के प्रति नफरत और हिंसा फैलाने की कोशिश करते हैं। वोट की राजनीति और सत्ता के भूखे राजनीतिक दलों के सत्ताधारियों ने कई दशकों तक आततायी मजहबी जेहादी तत्वों की करतूतों पर गोबर लीप कर सत्ता में बने रहने की जुगत की। इस सबके चलते उन्मादी तत्वों का हौसला बढ़ता चला गया और नौबत हरियाणा के नलहड जैसे जेहाद तक पहुंच गई। जरूरत इस बात की है कि किसी भी तरह देश के सांस्कृतिक धार्मिक व लोकतांत्रिक स्वरूप को बचाया जाए। आवश्यकता इस बात भी की है कि नूंह की घटनाओं में शामिल एक-एक जेहादी की शिनाख्त कर सख्त से सख्त कार्रवाही की
जाए। केंद्र व राज्य सरकारों को इस मामले की जांच कराकर जिम्मेदार तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि देश में छिपे
गद्दारांे को सामने लाकर सबक सिखाया जा सके और भविष्य में कोई भी इस तरह की हिंसा करने की जुर्रत न कर सके। (हिफी)

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