तीज-त्योहार

मन के तम को दूर कर लाएं प्रकाश

प्रकाश पर्व दीपावली हमें मन के तम को दूर कर ज्योति से भरने का संदेश देती है। अमावस्या के घने अंधकार को दूर करने के लिए जिस तरह हम दीपक जलाते हैं, उसी तरह मन के कलुष को जलाने के लिए सौहार्द और प्रेम के दीपक जलाने होंगे। समाज में आपराधिक प्रवृत्ति दिन पर दिन बढ़ रही है। दुराचार जैसे घने अंधेरे बढ़ते ही जा रहे हैं। इनके लिए हमें जागरूकता के दीपक जलाने होंगे। एक दीपक जिस तरह अंधेरे को दूर नहीं कर पाता, उसी तरह हमंे सामूहिक प्रयास करने होंगे। इस बार दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। हम सभी मिट्टी के दीपकों के साथ ज्ञान के दीपक भी जलाएं।
दीपावली सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कुछ और देशों में भी मनाई जाती है। हालांकि इसका नाम और इससे जुड़ी परंपराएं अलग-अलग हैं। सिर्फ भारत के आस-पास के देशों में ही नहीं यूरोपियन देशों में भी कुछ त्यौहार दीपावली की ही तरह रोशनी और आतिशबाजी के उजाले में सराबोर कर देने वाले हैं। पड़ोसी देश श्रीलंका में दीपावली का त्यौहार भारत की ही तरह घर में मिट्टी के दीये जलाकर मनाया जाता है। पहले दीये जलाकर सब रोशनी करते हैं और फिर एक साथ मिलकर खाना खाते हैं। कनाडा में हर साल 5 नवंबर को दीपावली मनाई जाती है। ये दिन भारत की ही तरह दीपकों की रोशनी और आतिशबाजी के बीच मनाया जाता है। ये त्यौहार खासतौर पर न्यूफाउंड लैंड में मनाया जाता है। थाइलैंड में दिवाली जैसा जो त्यौहार मनाया जाता है, उसे क्रियोंघ कहते हैं। इस दिन केले की पत्तियों से सुंदर दीपक बनाया जाता हैं। रात में दीपकों में धूप रखकर जलाया जाता है और इसे कुछ पैसों के साथ नदी में बहा दिया जाता है। दीपावली मनाने का यहां ऐसा ही रिवाज है। चीन और ताइवान में दीपावली की ही तरह लैंटर्न फेस्टिवल मनाया जाता है। ये त्यौहार हवा में उड़ती हुई लैंटर्न्स का होता है। शुरुआती दौर में आसमान में लैंटर्न उड़ाना शहर के सुरक्षित होने का संकेत माना जाता था। बाद में ये परंपरा त्यौहार बन गई। 8 दिन-रात तक मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। ये त्यौहार नवंबर के अंत से दिसंबर तक चलता है। 8 मोमबत्तियों के साथ त्यौहार शुरू होता है और दिन के साथ मोमबत्तियों की भी संख्या बढ़ती जाती है। दिसंबर को फ्रांस में हर साल प्रकाश का त्यौहार मनाया जाता है। ये त्यौहार जीसस क्राइस्ट की मां मेरी के प्रति शुक्रिया अदा करने के लिए मनाया जाता है। दीपावली की ही तरह लोग 4 दिन तक अपने घरों के सामने मोमबत्तियां जलाते हैं। मलेशिया में दीपावली को हरि दिवाली के तौर पर जाना जाता है।
भारत मंे दिवाली के त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन बर्तन और आभूषण खरीदने की परंपरा है। साथ ही इस दिन धन के देवता कुबेर, आयुर्वेद के जन्मदाता भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है। माना जाता है कि देवताओं और असुरों द्वारा किये गए समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि सोने का अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तभी से इस दिन को मनाये जाने की परंपरा है। इस दिन सोने-चांदी और बर्तन की खरीदारी शुभ मानी जाती है। धनतेरस 29 अक्टूबर को उल्लास के साथ मनायी गयी। अगले दिन नर्क चतुर्दशी होती है जिसको छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घर के साथ खुद के तन की सुंदरता भी निखारी जाती है। इसी वजह से इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है। माना जाता है कि सूर्योदय से पहले उबटन और स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त करवाया था और नरकासुर का वध किया था, तब भगवान के स्वागत में उस दिन दीपक जलाये गए थे। इसी वजह से इस दिन घर में और मुख्य द्वार पर दीपक जलाये जाते हैं।
इस त्योहार का तीसरा और मुख्य दिन होता है दिवाली का, जिसके नाम से ये पांच दिवसीय त्योहार जाना जाता है। माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी भी कार्तिक माह की अमावस्या को प्रकट हुई थीं। इसी वजह से दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का स्वागत और उनका भव्य पूजन-अर्चन किया जाता है। घरों को सजाया जाता है और दीप जलाये जाते हैं। इसके साथ ही ये भी मान्यता है कि रावण का वध करके चौदह वर्षों के वनवास के बाद इस दिन भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। तब उनका स्वागत घर-घर दीप जला कर किया गया था। तब से ही दिवाली के दिन दीप जलाने की परंपरा है। भगवान राम की नगरी अयोध्या मंे दीपावली को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया रूप दिया है। इस बार भी वहां 12 लाख दीप जलाने की योजना है। राम की पैड़ी पर ही नौ लाख दीप जलाए जाएंगे।
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन को अन्नकूट, पड़वा और प्रतिपदा भी कहा जाता है। इस दिन घर के आंगन, छत या बालकनी में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं। इसके बाद 51 सब्जियों को मिलाकर अन्नकूट बनाकर गोवर्धन बाबा को भोग लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन कहा जाता है। मान्यता है कि द्वापर में भगवान इन्द्र ने गोकुलवासियों से नाराज होकर मूसलाधार बारिश की थी। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गांववासियों की मदद की थी और उनको पर्वत के नीचे सुरक्षा प्रदान की थी। तब से ही भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन के रूप में पूजने की परंपरा है। पांचवें दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं।
इस प्रकार दिवाली यानी दीपों का त्योहार हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। अगर इसके मनाने के पीछे के उद्देश्य की बात की जाए तो यह हमारे अंदर मौजूद सत्य के विजय और अंधकार पर उजाले की जीत का सेलेब्रेशन है। इस दिन घर को सजाने और दीये जलाने की पुरानी परंपरा है। खुशियों को सेलिब्रेट करने के लिए लोग घरों में अल्पना, रंगोली बनाते हैं, लाइटिंग करते हैं, नए कपड़े आदि पहनकर पूजा पाठ करते हैं। वहीं शाम को देवी लक्ष्मी और गणेश की पूजा होती है और पटाखे जलाए जाते हैं। पटाखों की वजह से हमारे आस पास का पर्यावरण काफी दूषित होता है और वातावरण को काफी नुकसान होता है। ऐसे में ईको फ्रेंडली दीवाली को बढावा दिए जाने की बात की जाती है। बढते प्रदूषण को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने यहां पटाखों पर बैन लगा रखा है। ऐसे में आप पटाखों की बजाए बलून या रंगीन कागज के गुब्बारों से बच्चों को खेलना सिखाएं। वे इन्हें फुलाकर एक दूसरे के साथ फोड़कर मजे कर सकते हैं। यह एक क्रिएटिव और मजेदार तरीका हो सकता है। घरों को सजाने के लिए इन दिनों बाजार में तरह तरह के दीये और एलईडी लाइट मिल रहे हैं। ऐसे में आप मोमबत्तियों की बजाए इनका प्रयोग करें। मोमबत्तियों में पेट्रोलियम पदार्थ होते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुचाते हैं जबकि मिट्टी के दीपक रोशनी के साथ कुंभकारों को रोजगार भी देते हैं। (हिफी)

(मनीषा-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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