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आरआरटीएस परियोजना : सुप्रीम कोर्ट ने अपने हिस्से का भुगतान नहीं करने पर दिल्ली सरकार पर जताई नाखुशी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अलवर और पानीपत तक ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (आरआरटीएस) कॉरिडोर के लिए धन मुहैया नहीं कराने पर दिल्ली सरकार पर नाखुशी जताई। न्यायालय ने कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर बकाया धन का भुगतान नहीं किया जाता है तो विज्ञापन के लिए आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा आवंटित धन परियोजना में लगाया जाएगा।
आरआरटीएस परियोजना में दिल्ली को उत्तर प्रदेश में मेरठ, राजस्थान में अलवर और हरियाणा में पानीपत तक जोड़ने वाले सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर बनाये जाने हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि बजटीय प्रावधान ऐसी चीज है जिस पर राज्य सरकार को गौर करना चाहिए, लेकिन अगर ऐसी राष्ट्रीय परियोजनाएं प्रभावित होती हैं और विज्ञापनों पर पैसा खर्च किया जाता है, तो वह यह निर्देश देगी कि उस कोष को इस परियोजना के लिए हस्तांतरित कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील ने 24 जुलाई को शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया था कि परियोजना के लिए भुगतान किया जाएगा। पीठ ने कहा, ‘‘हम यह निर्देश देने को बाध्य हैं कि विज्ञापन के लिए आवंटित धन उक्त परियोजना के लिए भेज दिया जाए।’’ उसने कहा, ‘‘दिल्ली सरकार के वकील के अनुरोध पर हम एक सप्ताह तक इस आदेश को लंबित रख रहे हैं और यदि पैसा नहीं दिया गया तो आदेश लागू किया जाएगा।’’

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