यूएनएससी में ईरान को नहीं बचा सके रूस व चीन

रूस और चीन मिलकर भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में ईरान को नहीं बचा सके। यूएनएससी ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कारण उसपर फिर से तत्काल प्रतिबंध नहीं लगाने संबंधी कुछ देशों के अंतिम प्रयास को समय सीमा से एक दिन पहले खारिज कर दिया। इससे ईरान समेत रूस और चीन को भी बड़ा झटका लगा है। इसके बाद ईरान ने कई देशों से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। चीन और रूस ने ईरान पर बैन लगाने के खिलाफ मिलकर प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन यूएनएससी ने उसे अस्वीकार कर दिया। यूएनएससी द्वारा यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया, जब पश्चिमी देशों ने दावा किया कि हफ्तों की बैठकों के बावजूद कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। रूस और चीन के इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए नौ देशों का समर्थन चाहिए था, जो संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को शनिवार से प्रभावी होने से रोकने के लिए आवश्यक था। संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोल्यान्स्की ने बैठक के दौरान कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि यूरोपीय सहयोगी और अमेरिका दो बार सोचेंगे और ब्लैकमेल के बजाय कूटनीति व बातचीत का रास्ता चुनेंगे। मगर ऐसा नहीं किया गया। इससे क्षेत्र में स्थिति और बिगड़ेगी।’’ ईरान ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा परमाणु प्रतिबंध दोबारा लगाए जाने से पहले फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। इससे ईरान और पश्चिमी देशों के बीच भारी तनाव पैदा होने की आशंका जाहिर की जा रही है। रूस और चीन द्वारा ईरान को बचाने का अंतिम प्रयास खारिज होने के बाद अब यूएनएससी कभी भी ईरान पर बैन लगा सकता है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के प्रतिबंधों की बहाली के बाद विदेश में ईरानी संपत्तियों को फिर से जब्त कर लिया जाएगा, ईरान के साथ हथियारों के सौदे रुक जाएंगे और बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम जारी रहने पर ईरान पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इन कदमों से ईरान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ेगा। वहीं ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान ने शुक्रवार दोपहर एक साक्षात्कार में इस फैसले को ‘‘अनुचित, अन्यायपूर्ण और अवैध’’ करार दिया। इस कदम से ईरान और पश्चिमी देशों के बीच पहले से जारी तनाव के और बढ़ने की आशंका है। ईरान के राष्ट्रपति डॉ। मसूद पेजेशकियन परमाणु अप्रसार संधि से हटने की पिछली चेतावनियों के बावजूद एक साक्षात्कार में कहा कि देश का अभी ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है। 2003 में इस संधि को छोड़ने वाला उत्तर कोरिया परमाणु हथियार बनाने में लगा हुआ है। चार देशों- चीन, रूस, पाकिस्तान और अल्जीरिया ने एक बार फिर ईरान को यूरोपीय देशों और अमेरिका के साथ बातचीत करने के लिए अधिक समय देने का समर्थन किया। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने मतदान के बाद कहा, ‘‘अमेरिका ने कूटनीति का पालन नहीं किया, लेकिन यूरोपीय देशों ने तो कूटनीति को दफन ही कर दिया। यह रातोंरात नहीं हुआ।